April 10, 2008

मशालवाहक महादेवी वर्मा




अपनी माँ से महादेवी जी के बारे मे बहुत सुना हैं । आज मेरी माँ डॉ मंजुलता सिंह की हस्तलिपि मे ये पोस्ट डाली है { आप उनकी हस्त लिपि पर क्लिक करे और इस लेख को जरुर पढे }। केवल लिखना या कहना ही सब कुछ नहीं बदल सकता , जरुरी हैं हम अपने जीवन मे उसको माने ।

12 comments:

  1. इस तरह की जानकारिया लोगो का उत्साह बढाती है, प्रेरित करती है कुछ करने के लिये

    ReplyDelete
  2. aisi swakartutvavan nari ko hamari salami jinhone sau saal pehle yeh niv dali thi nari shoshan ke khilaf.

    ReplyDelete
  3. काश मै भी join कर सकता..

    ReplyDelete
  4. अच्छा लगा इसको पढ़ के ...यह सच है की वह उस वक्त में यह सब कर पायी जो शायद आज की नारी भी करने से पहले कई बार सोचेगी ..फ़िर भी जागरूकता आ रही है कम से कम अपने अधिकारों के प्रति तो आज कल की पढी लिखी नारी जागरूक हो रही है ..!!

    ReplyDelete
  5. हार्दिक शुभकामनाएँ । प्रेरणास्पद चिट्ठा है ।

    ReplyDelete
  6. अच्छा लगा.यदि फ़ुरसत लगे तो देख लें महादेवी के बारे कुछ यहां भी है
    http://karmnasha.blogspot.com/2008/04/blog-post.html

    ReplyDelete
  7. केवल लिखना या कहना ही सब कुछ नहीं बदल सकता , जरुरी हैं हम अपने जीवन मे उसको माने. --- शतप्रतिशत सत्य वचन

    ReplyDelete
  8. मंजुला जी ने बिल्कुल सही कहा है कि महादेवी जी ने वास्तव में पश्चिम जगत से पहले ही नारी की स्वतन्त्रता की बात आरम्भ की थी। साहित्य कुंज पर महादेवी संकलन में डॉ. कविता वाचक्नवी के आलेख का लिंक दे रहा हूँ।
    http://www.sahityakunj.net/LEKHAK/K/KavitaVachkneev/Mahadevi_Chintan_kee_kadiyan.htm
    अगर संभव हो तो डॉ. राजेन्द्र गौतम का भी आलेख पढ़ें।
    आप बहुत ही बढ़िया काम कर रहीं हैं। करते रहिए।

    सुमन कुमार घई

    ReplyDelete
  9. बहुत अच्छा है ! वैसे भी एक ही तरीका नही है किसी चीज़ को हासिल करने का ... अपना विरोध या समर्थन दिखाने के और भी रास्ते है ... शायद कुछ लोगे इस से सबक ले तो आपकी मेहनत भी सफल हो ... शुभकामनाये

    ReplyDelete
  10. इसे एक सार्थक प्रयास कहा जायेगा.बहुत उम्दा.

    ReplyDelete
  11. वाकई उनके जीवन से बहुत कुछ सीखने को मिलता है। आभार!

    ReplyDelete

Note: Only a member of this blog may post a comment.