February 07, 2015

मुझे हमेशा लगता हैं हम उनको गरीब कह कर और अपने को अमीर कह कर खुद एक खाई बनाते हैं।

ब्लॉग , फेसबुक और अन्य जगहों पर बातचीत के दौरान जब भी "गरीब" काम करने वालो की बात होती हैं मुझे लगता हैं हम "बड़े" दिखने के लिये उन्हे छोटा होने का एहसास कराते हैं।
मुझे हमेशा लगता हैं हम उनको गरीब कह कर और अपने को अमीर कह कर खुद एक खाई बनाते हैं।
मुझे लगता हैं अब प्रधान मंत्री जन धन योजना के तहत खाते बहुत खुल गए हैं। इसलिये अब जिन घरो में सर्विस प्रोवाइडर यानी आम भाषा में मैड , ड्राइवर , सर्वेंट इत्यादि काम करते हैं और उनकी सैलेरी ५००० रूपए महिने से ऊपर हैं उन सब को हमें चेक से पेमेंट करना चाहिये और महिने की ४ तारीख तक ये हो जाना चाहिये।
इस से दो सुविधा होंगी
१ एडवांस की आदत से छुट्टी दोनों की। एडवांस की वजह से दो नुक्सान होते हैं एक काम करने वाला एक तरह बंधक हो जाता हैं { सोचिये } और दूसरा देने वाला उसको हटा नहीं सकता हैं
२ पैसा बैंक में नियमित जाने से खाताधारी को बैंक की सुविधा भी ज्यादा मिलेगी
इसके अलावा आप इन सब लोगो को एक प्रोफेशनल की तरह मान कर काम लेंगे , गरीब नहीं।
आप सब से आग्रह हैं १४ वर्ष से काम के बच्चो से काम ना करवाये ये कानूनन अपराध हैं। आप काम देना बंद करेगे तभी उनके जीवन में बदलाव संभव हैं। सरकारी योजना का लाभ उनको तब ही मिलेगा जब आप और हम कुछ करेगे
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