September 06, 2013

क्या बलात्कारी को सजा ऐसे भी दी जाती हैं

जयपुर से २५० किलोमीटर की दूरी पर कोटा मे केशवपुरा हैं।  कुछ दिन पहले वहाँ पर एक ६ साल की बच्ची का बलात्कार ४० साल के आदमी ने किया।

बलात्कार की घटना के बाद बच्ची की जाति के बुजुर्गो ने पुलिस में रपट नहीं लिखाई बल्कि पंचायत बुलाई और पंचायत ने उस आदमी को सजा देने के लिये एक नया तरीका खोजा।

पंचायत ने आदेश दिया की बच्ची की शादी उस आदमी के ८ साल के बेटे से कर दी जाए।

आप को क्या लगता हैं की ये करके किस तरह उस आदमी को सजा मिली ??? आप की समझ में क्या कारण हो सकता हैं की इस निर्णय को उस आदमी के लिये सजा मान लिया गया .


क्या बलात्कारी को सजा ऐसे भी दी जाती हैं ? जिस का बलात्कार हुआ उसको उसकी बहू बनाकर ?? कुछ तो कारण रहा होगा हमारे समाज के पास इस निर्णय को सजा मानने का

17 comments:

  1. कैसी बेहूदगी है ये ? किसे सजा दी है उन्होंने ?

    अमूमन सारी जातीय पंचायते पुरुष प्रभुत्व वाली होती हैं उनमें स्त्रियों की भागीदारी लगभग शून्य होती है अस्तु इस तरह के फैसले एक विशिष्ट तरह की मानसिकता का संकेत देते हैं ! इन एकपक्षीय एकांगी अतार्किक निर्णयों को न्याय नहीं कहा जा सकता !

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    1. अली जी आप को क्या लगता हैं इस बेहूदगी के पीछे कारण क्या हैं , किस सोच / मानसिकता के तहत ये निर्णय लिया गया होगा। एक इंग्लिश ब्लॉग पोस्ट पर बड़े सारे कारण लोगो ने इंगित किये हैं मै चाहती थी हम भी कुछ कारण इंगित करे बाद में , उस पोस्ट का लिंक भी दूंगी

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    2. @मै चाहती थी हम
      भी कुछ कारण इंगित
      करे बाद में , उस
      पोस्ट का लिंक
      भी दूंगी
      कृप्या उस पोस्ट का लिंक भी दें।

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    3. @मै चाहती थी हम
      भी कुछ कारण इंगित
      करे बाद में , उस
      पोस्ट का लिंक
      भी दूंगी
      कृप्या उस पोस्ट का लिंक भी दें।

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    4. राजन आज कल समय कम हैं इस लिये पूरा ट्रांसलेशन नहीं कर सकती हूँ कुछ अंश आप कर सके तो आप उसको यहाँ भी दे सकते हैं लिंक नीचे लगा दिया हैं

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  2. इस पोस्ट को पढने के बाद एक बार फिर महसूस हुआ कि भारत के समाज को अभी पुरुष की प्रभुता से उबरने में अभी सदियाँ लगेंगी। ये निर्णय सिर्फ स्त्री जाती को फिर बहलाने का जरिया था और कुछ नहीं। ऐसा ही कुछ हिंदी सिनेमा में भी दिखाया गया है कई बार की प्रताड़ित लड़की की शादी उसी से ही कर दी गयी जिसने उसका मान हनन किया। यहाँ क्यूंकि लड़की अभी बच्ची थी इसलिए दोषी के बेटे से शादी करने का आदेश दिया गया।

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  3. घटिया पुरुष मानसिकता का बेहतरीन उदाहरण...
    जानवर हैं यह लोग !

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  4. वैसे तो ये लोग दो दो रुपये के लिए एक दूसरे की जान के प्यासे हो जाते हैं लेकिन महिलाओं के मान सम्मान की कोई परवाह नहीं।ये सजा तो उस बच्ची को दी जा रही है।इन लोगों को खुद ये डर सताता होगा कि कभी खुद हम या हमारे बाप भाई भी न फँस जाएँ इसलिए इस तरह की सजा दी जाती है।पता नहीं और कितने ऐसे मामले रोज देश में घटित हो रहे हैं।यही कारण है कि आज ये दुनिया का सबसे गंदा और गरीब देश बना हुआ है।

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  5. इस सज़ा की पीछे यह घटिया सोच है कि अब इअ लड़की से शादी कौन करेगा, क्योंकि बलात्कारी खुद अधेड़ है और लड़की के जवान होने के वक़्त तक बुढा हो जाएगा, इसलिए उसके बेटे से शादी कर दी जाए। असल में यह सज़ा लड़की को दी गयी गई, इस घिनौनी सोच के कारण कि वह लड़की है, लड़का होती तो उसका कुछ बिगड़ता ही नही, जैसे कि बलात्कारी का कुछ नहीं बिगड़ा...

    यह और कुछ नही बल्कि एक पुरुषवादी सोच है।

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  6. aise aadmi ko napusnk bana dena chahiye

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  7. ये तो एक जुर्म हुआ ही।
    साथ में पंचायत ने दूसरा भी जुर्म कर लिया
    ''बाल विवाह'' का

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  8. यह कैसी पंचायत .......? जुर्म करने वाले के हाथ में एक तो बच्ची को सोंप दिया और साथ में जुर्म करने का अधिकार भी दे दिया ! उस पंचायत के खिलाफ कार्यवाही होनी चाहिए !................सुदेश पोसवाल

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  9. समाज की एक कडवी सचाई सामने यह भी आयी औरते आज भी आदमी की गुलाम है और वह इस गुलामी से निकलना भी नही चाहती ! वह आज भी वही बोलती है जो आदमी उनसे बुलवाता है ! उनकी अपनी जुबान होती है परन्तु शब्द नही..... साक्षर होकर भी अपनी बात रखने की हिम्मत नही फिर कैसी साक्षरता ! islie aise apradh badh rhe hai

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  10. पुरुष को सजा इस लिये हुई क्युकी समाज पुत्र को वंशज मानता हैं और पुत्र की पत्नी को घर की इज्जत और पुत्र घर की इज्जत के साथ साथ घर में दहेज भी लाता हैं
    अब जिसने बलात्कार किया हैं उसके बेटे से जिसका बलात्कार हुआ उसकी शादी करवा कर पञ्च सोच रहे हैं उन्होने उस बलात्कारी का जीवन बिगाड़ दिया

    लिंक http://indianhomemaker.wordpress.com/2013/09/06/heres-why-a-6-year-old-rape-survivor-was-ordered-to-marry-alleged-rapists-8-year-old-son/

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  11. सही मायने में अगर देखा जाये तो यह पंचायत इस आदमी की अपनी थी और फैसला करने वाले भी आपने ही लोग थे इसलिए उसके तरफदारी में फैसला हुआ यह फैसला नही अपराध हुआ !यह फैसला मुझे करना होता तो ऐसे आदमियों को गांव से हमेशा के लिए निकाल देना चाहिए !और इसकी जायदाद की चल अचल सम्पत्ति का आधा भाग पीडिता के नाम कर देना चाहिए !

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