January 21, 2013

कौन जिम्मेदार हैं इस दर्द ??? पोस्ट पर एक कमेन्ट आया हैं

कौन जिम्मेदार हैं इस दर्द ??? पोस्ट पर एक कमेन्ट आया हैं 
हमारा समाज ,हमारा परिवार , और कहीं न कहीं हम खुद ....एक सच्चाई जो मैंने खुद देखी है ...
"हमारे मोहल्ले में एक भैया हैं ..मतलब जिन्हें सब भैया कहतें हैं ...मैं जब कुछ दिनों के लिए अपने घर गई तो मेरे मम्मी ने कहा वो देखो बेचारा बिना किसी बात के जेल में है , तो मैंने पुछा क्या हुआ मम्मी बिना बात के तो किसी को जेल नहीं होती इस पर मम्मी का कहना कुछ यूं था ...पांच साल का केश खुलवाया है मायावती ने उसमें गैंग रेप केश में फंस गया बेचारा ....तो मैंने मम्मी से कहा उनको देखकर ही डर लगता है तुम उनकी तरफदारी क्यों कर रही हो, ऐसे इंसान को तो सजा मिलनी ही चाहिए, इस पर मम्मी तपाक से बोल पड़ी कि हाँ तुमको ज्यादा पता है तुम तो यहाँ रहती भी नहीं हो तुम्हे क्या पता बेचारे के 2 छोटे -छोटे बच्चे हैं, पांच साल पहले कि गलती की सजा भला अब क्यों, तब मैंने अपनी मम्मी को बहुत समझाया पर नहीं वो नहीं समझी पर अब जब उनकी ज़मानत हो गई है तो वो खुद कहते हैं कि "मेरे कर्मो की सजा मुझे मिल गई" ....बहुत शर्मनाक है ये ....पर उस लड़की की क्या गलती थी जिसको वो सजा मिली ... ऐसे इंसान को खुला खुमने की या समाज में इज्ज़त कुन मिलती है ...सबको सच्चाई पता है आज फिर भी लोग उस इंसान से बात करतें है, हमदर्दी जतातें है , हर सामाजिक कार्यकर्म में बुलातें हैं क्यों ....मैं आज तक न समझ पाई ...और शायद न समझ पाऊँगी ...

4 comments:

  1. शायद सबके भीतर कोई न कोई अपराध बोध छिपा है..

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  2. पालिटिकली मोटीवेटेड केस भी लगाये जाते हैं. लेकिन हमारा चलता है, रवैया बड़ा खतरनाक है. नो टालरेन्स पालिसी होना चाहिये.

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  3. भारतीय समाज, भारतीय पुलिस व भारतीय महिलाओं को यह पूरी तरह से समझ में नहीं आता की महिलाओं व बच्चियों के खिलाफ हुए जुर्म भी सीरियसली लिए जा सकते हैं.

    आख़िरकार जिन्हें हम यूंही गिरवा, जला, डूबा, फ़ेंक, दबा, छोड़, बेच, खो, जुए में गंवा,घर से निकाल, वारिसना हक से बेदखल, पीट, वगैरह सकते हैं, भूखा रख सकते हैं, जिससे चाहे उनकी ज़िन्दगी बाँध सकते हैं (वगैरह, वगैरह ) उनके ऊपर हुई यौन क्रूरता को दंडनीय अपराध माना जाना गले ही नहीं उतरता, लगता है.

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  4. क्या पता लोगों की क्या सोच होती है जो वो ऐसे हैवानों का बहिष्कार नहीं करते ।या तो ये लोग बहुत नासमझ हैं या इनकी खुद की सोच ऐसी ही है या उनका कोई लालच ही है।और फिर ऐसा आदमी सुधर ही गया हो जरूरी नहीं है।हाल ही में दिल्ली की एक जेल में बंद बलात्कार के आरोपी को उसके "अच्छे व्यवहार" के कारण पैरोल पर छोडा गया था पर बाहर निकलते ही उसने फिर एक बच्ची का बलात्कार किया ।बडा अजीब माहौल है।

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