November 27, 2012

अगर कभी आप को कहीं कोई { ईश्वर ना करे } ऐसा केस दिख जाए तो आप उस परिवार को उसके अधिकारों से अवगत करा सके

साफिया खातून की मृत्यु एक सड़क हादसे मे होगयी थी . साफिया खातून एक गृहणी थी और उनकी कोई भी आर्थिक आय नहीं थी . इस कारण से रिलायंस बिमा कम्पनी ने उनके परिवार को किसी भी तरह का हर्जाना देने से इनकार कर दिया क्युकी वो कोई भी ऐसा काम नहीं करती थी जिस से आर्थिक आय होती हो .
बिमा कम्पनी का मानना था की उनकी मृत्यु से परिवार की कोई आर्थिक हानि नहीं हुई हैं तो बीमा की कोई भी राशि के वो हकदार नहीं हैं { ध्यान दे यहाँ साफिया खातून के पर्सनल बीमे की बात नहीं हो रही हैं , एक्सीडेंट होने के कारण बिमा कम्पनी से मिलने वाले हर्जाने की बात हैं } .

Motor Accident Claim Tribunal ने बिमा कम्पनी की इस बात को नहीं माना और Rs 2,68,500 का हर्जाना देने को कहा .  बिमा कम्पनी ने हर्जाना ना देकर कोर्ट में अर्जी दाखिल कर दी इस के आर्डर खिलाफ . 

 Justice Sunil Ambwani और  Justice A N Mithal, ने इलाहाबाद में रिलायांस कम्पनी की अर्जी को ना मंजूर कर दिया और अपने फैसले में कहा की 

गृहणी अपने घर में जितना काम करती हैं वो एक आर्थिक आय कमाने वाले से कहीं ज्यादा होता हैं . एक गृहणी अपने घर को सक्षम रूप से चलाने के लिये जितना काम करती हैं आज की तारीख में वो 1000 रूपए प्रति दिन हुआ . यानी 30000 रूपए महिना . यहाँ कोर्ट ने सरला वर्मा के केस को आय निर्धारित करने का आधार माना . 

कोर्ट ने रिलायस बिमा कम्पनी को तुरंत हर्जाना देने को कहा हैं . 


ये पोस्ट नारी ब्लॉग पर दे रही हूँ ताकि अगर कभी आप को कहीं कोई { ईश्वर ना करे } ऐसा केस दिख जाए तो आप उस परिवार को उसके अधिकारों से अवगत करा सके 

8 comments:

  1. कोर्ट ने सही निर्णय किया। इस पोस्ट को यहां लगाने का शुक्रिया।

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  2. गृहणी अपने घर में जितना काम करती हैं वो एक आर्थिक आय कमाने वाले से कहीं ज्यादा होता हैं. एक गृहणी अपने घर को सक्षम रूप से चलाने के लिये जितना काम करती हैं आज की तारीख में वो 1000 रूपए प्रति दिन हुआ.

    बिलकुल सही, बल्कि इससे भी ज्यादा। बीमा कंपनियों की ही तरह की सोच पुरुषों के द्वारा रखने के कारण ही अक्सर महिलाओं को कमतर आँका जाता है, जबकि वास्तविकता बिलकुल उलट है।

    मैं महिलाओं को काम के मामले में पुरुषों से आगे मानता हूँ, महिलाएं घर तो बखूबी संभाल ही सकती हैं, बल्कि कार्यालय / व्यापार में उतनी ही सक्षमता से काम कर सकती हैं, बल्कि कई बार पुरुषों से भी अधिक। जबकि पुरुष केवल कार्यालय में कार्य अथवा व्यापार ही कर सकते हैं, पुरुषों में दक्षता ही नहीं होती कि महिलाओं की तरह घर संभाल सकें।




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  3. इस पोस्ट को यहाँ लगाने का शुक्रिया।

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  4. ऐसी जानकारी तो सभी को होनी चाहिये ।

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  5. जानकारी के लिए शुक्रिया !
    न्यायालय का निर्णय बिल्कुल सही है।

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  6. न्यायालय के प्रति सम्मान और भी बढ़ा !

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