January 17, 2012

ये सब साइंस की तरक्की हैं या संस्कृति का पतन हैं या महज डिमांड एंड सप्लाई ??

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ये एक विज्ञापन हैं जिस ने इस समय काफी हल चल मचा रखी हैं ।
चेनेइ में एक पति पत्नी ने दिया हैं ये विज्ञापन ।
कुछ दिन पहले इसी ब्लॉग पर इसी विषय से सम्बंधित पोस्ट भी पुब्लिश हुई थी

आप का क्या ख्याल हैं इस प्रकार का विज्ञापन देना कितना जरुरी हैं किसी दंपत्ति के लिये ?
क्या टेलर मेड बच्चे पैदा करने की कामना सही हैं ??
क्या भविष्य में केवल पत्नी को अधिकार होगा की वो अकेले भी इस प्रकार का विज्ञापन दे सके । { जैसे गर्भपात करवा सकने का अधिकार उसका होता हैं } ?

ये सब साइंस की तरक्की हैं या संस्कृति का पतन हैं या महज डिमांड एंड सप्लाई ??

आप के विचारों का स्वागत हैं



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7 comments:

  1. ये सब साइंस की तरक्की हैं या संस्कृति का पतन हैं या महज डिमांड एंड सप्लाई ??

    आप के विचारों का स्वागत हैं .

    sochne ki baat he.

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  2. ये साइंस की तरक्की है...
    आने वाले युग की यह तस्वीर है...
    परिवार का स्वरूप क्या होगा...कोई नहीं जानता...
    संस्कृति नए अध्याय रच रही है.

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  3. ऐसा हो सकता तो हर घर में आइंस्टाइन ही पैदा होते. लेकिन मानव मन के लिए कुछ नहीं कहा जा सकता. सब भ्रम है, मति का फेर है.

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  4. ये सब महज डिमांड एंड सप्लाई हैं .

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  5. इसे हमें परिवर्तित होती सामयिक स्थितियों के सन्दर्भ में देखना चाहिए ...संस्कृति कालातीत न होकर समय सापेक्ष होती है,इसलिए इसे संस्कृति का पतन तो कतई नहीं कहा जा सकता है .....परिवर्तन तो इस विश्व की शाश्वत प्रक्रिया है ........

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  6. इ़समे विज्ञान कहां से आ गया ? माचिस से कोई घर जलाये तो इसमे माचिस का क्या दोष ?

    ये नैतिक, सामाजित, सांस्कृतिक मुद्दा हो सकता है, वैज्ञानिक नही!

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  7. परिवर्तन हमेशा समाज के लिए उत्तम ही होता है यह जरुरी नहीं है. ऐसा ना हो की IIT छात्रों के लिए नया पैकेज शुरू हो जाए.

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