September 24, 2011

विपदा प्रबंधन

अगर आप किसी के नॉमिनी हैं तो आप उसके उत्तराधिकारी नहीं हो जाते हैं । नॉमिनी महज ट्रस्टी होता हैं । नोमिनेशन होने के बाद भी जिन उत्तराधिकारियों का नाम नहीं हैं वो क़ानूनी प्रक्रिया का सहारा ले कर नॉमिनी को मजबूर कर सकते हैं की वो मिली हुई वस्तु को उनके साथ बांटे ।

बैंक में की गयी अफ डी हो या विरासत में मिला मकान , नोमिनेशन का मतलब कभी भी कहीं भी उत्तराधिकार नहीं होता हैं ।

जो लोग अपने ना बालिग बच्चो का नाम नोमिनेशन में डालते हैं उनको पता होना चाहिये की अनहोनी अगर हो गयी तब भी बैंक या जहां भी आप ने बच्चो को नॉमिनी बनाया हैं आप के नाबालिक बच्चे को वो सम्पत्ति / रुपया पैसा नहीं सौपेगा जब तक बच्चा बालिग़ नहीं हो जाता हैं । इस लिये कोशिश रहनी चाहिये की अपने बच्चे के लिये एक लोकल गार्डियन हमेशा रखे । कुछ ऐसे लोगो के साथ बच्चे का जुड़ाव रहे वो वक्त पडने पर उसकी मद्दत के लिये कानून का सहारा ले सके ।

एक जानकार परिवार में एक दुर्घटना हो चुकी हैं , पति की बीमारी से मृत्यु हो गयी , तकरीबन ३ महीने बाद पत्नी ने आत्महत्या कर ली और ७ वर्ष के बच्चे को अनाथ बना दिया । परिवार की आर्थिक स्थिति सही नहीं थी पर फिर भी पति का कुछ पैसा जहां वो काम करते थे वहाँ जमा था और कुछ बैंक में । पर बच्चे को नहीं मिला जो बालिग़ होने पर मिलेगा ।

उस बच्चे के परिवार में नाना , मामा , मौसी , चचा , ताऊ सब थे पर किसी ने भी उस बच्चे का क़ानूनी गार्डियन बनना मंजूर नहीं किया । इस कारण आज १० साल बीतने के बाद भी वो पैसा उस बच्चे को नहीं मिला । बच्चा अपनी बुआ के घर रहता हैं ।

ईश्वर ना करे इतना दुःख किसी पर आये पर विपदा प्रबंधन अगर पहले से हो जाए तो शायद कुछ बेहतर स्थिति हो ।

विदेशो में इस प्रकार की स्थिती आने पर सरकार का दईत्व हो जाता हैं और सरकार प्रबंध कर के कानूनन एक गार्डियन अपोइन्ट करती हैं । बच्चा बड़े होने तक उनके साथ रहता हैं और सरकारी निगरानी भी रहती हैं ।

हमारे यहाँ अभी इस प्रकार का क़ोई सिस्टम नहीं है इस लिये क्युकी अब न्यूक्लियर फॅमिली का चलन होगया हैं तो विपदा प्रबंधन का ध्यान रखना जरुरी हो जाता हैं ।

जिन विवाहित महिला ने अपना लॉकर अपनी माँ के साथ खोल रखा वो हमेशा ध्यान दे की किसी भी आपदा में अगर वो या उनकी माँ नहीं रहती हैं तो माँ के उत्तराधिकारी उस पर अपना भी अधिकार जाता सकते हैं । नोमिनेशन बहुधा लॉकर में होता ही नहीं हैं और होता भी हैं तो फिर ट्रस्टी वाली बात आ जाती हैं ।




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3 comments:

  1. अच्छी जानकारी देती पोस्ट।

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  2. थैंक्स रचना ....

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  3. धन्यवाद - अच्छी और काम की जानकारी | thanks :)

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