September 08, 2011

क्या autistic पुरुष या स्त्री का विवाह होना चाहिये ?? रश्मि को बताये

कल की पोस्ट विकलांग से विवाह - क्या सब ठीक हो जाता हैं
नारी ब्लॉग की रेगुलर पाठक रश्मि ने पूछा हैं की उनका भाई autistic हैं और इस समय १५ वर्ष का हैं । एक स्पेशल स्कूल में जाता हैं । जिन्हे इस बीमारी की जानकारी नहीं हैं वो यहाँ पढ़ सकते हैं
रश्मि जानना चाहती हैं की क्या उनके भाई का विवाह , उसी की तरह की लड़की से करना उचित होगा या कुछ कम मानसिक स्तर की लड़की से करना सही रहेगा ।

मैने अपनी राय रश्मि को ईमेल करदी हैं पर उसको यहाँ नहीं दे रही हूँ क्युकी मै भी उत्सुक हूँ की और पाठक क्या सोचते हैं ।

इस प्रश्न पर राय देते समय हम दायरा और बढ़ा ले की क्या autistic पुरुष या स्त्री का विवाह होना चाहिये अगर हाँ तो किस प्रकार का जीवन साथी उनके लिये होने चाहिये और इस विवाह के दूरगामी परिणाम क्या होगे


All post are covered under copy right law . Any one who wants to use the content has to take permission of the author before reproducing the post in full or part in blog medium or print medium .Indian Copyright Rules

5 comments:

  1. यह प्रश्न दो अहम् बातों से सम्बन्ध रखता है - (१) क्या हम उस व्यक्ति के साथ अन्याय कर रहे हैं जिसका इस परिस्थिति में अपना स्वयं का कोई दोष नहीं - यह कह कर कि उसका विवाह ना हो ? (२) क्या हम उस होने वाले जीवन साथी से अन्याय करें - जिसके भी सपने कई हद तक अधूरे रह जायेंगे ? (३) क्या हम उन बच्चों के बारे में न सोचें - जो इस सम्बन्ध से जन्म लेंगे ? जिन्हें आगे जा कर वैसी देख रेख मिलनी संभव न हो पाएगी जैसी कि एक साधारण माता पिता उन्हें दे पाते ?

    इससे पहले - क्या हमें यह नहीं सोचना चाहिए कि - क्या हर एक स्थिति में विवाह करना आवश्यक है ? क्यों यह सुझाव कि "विवाह नहीं किया जाए " कहना एक अन्याय की तरह सुना जाता है ? हाँ - यदि किसी व्यक्ति में (जैसा रश्मि जी ने पिछली पोस्ट में काकेंत में कहा ) को सिर्फ सीमित समस्या है और वह बाकी हर तरह से नोर्मल है - तो - क्या बेहतर नहीं होगा कि उस व्यक्ति को - जो मानसिक रूप से सशक्त है - यह समझाया जाये कि "विवाह कोई ऐसी चीज़ नहीं जिसका "ना" हो पाना कोई पहाड़ सी समस्या हो "...... यदि विवाह नहीं भी हुआ तो क्या हुआ ? जीवन विवाह के बिना भी पूर्ण हो सकता है | आखिर विवाह की संस्था बनाई गयी है मनुष्य को कई तरह की खुशियाँ उपलब्ध कराने के लिए - जिसमे से प्रमुख वजह है - साथ , और आगे की संतति | परन्तु यह समझा जा सकता है कि उस होने वाली संतान को ही इस स्थिति से तकलीफ ही अधिक होगी |

    दूसरा - यदि वह व्यक्ति समझदार है - तो उसे यह भी समझाया जा सकता है कि - विवाह "जीवनसाथी के साथ, प्रेम" के लिए हो, परन्तु यह ऑप्शन भी खुला रखा जाए कि संतानोत्पत्ति न की जाए ? that option also may be considered

    ReplyDelete
  2. मैं शीलपा जी की बात से कुछ हद तक सहमत हूँ मेरे विचचर से विवाह न ही हो तो ही अच्छा होगा क्यूंकि जैसा की शिल्पा जी ने कहा है। यदि विवाह नहीं भी हुआ तो क्या हुआ ? जीवन विवाह के बिना भी पूर्ण हो सकता है। किन्तु हम एक वक्ती के सपने पूरे करने के लिए उसकी और उसके होने वाले जीवन साथ दोनों की ज़िंदगी को दाऔ पर नहीं लागा सकते।
    हमें कोई हक नहीं बना की हम सिर्फ सपने पूरे करने के लिए आने वाली नस्ल के जीवन के साथ खिलवाड़ करें।
    कभी समय मिले तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है
    http://mhare-anubhav.blogspot.com/

    ReplyDelete
  3. yadi vadhu mansik roop se sudhrid hai, hur uski ichha se shaadi ho rahi hai to ZAROOR hona chahiye!

    ReplyDelete
  4. rachana,

    isa bare men mera kahana hai ki "autism" ke shikar bachchon kee lambi shrinkhla hoti hai , ve kis sthiti par hain isa bat par nirbhar karta hai aur isamen yah bhi sthiti hoti hai ki unaki shadi kee ja sakati hain. isa bare men maine apani beti jo aise hi bachchon ko treatment deti hai usase ray lene ke bad hi kah rahi hoon. vaise isamen isa sthiti ko usa skool ka teacher ya doctor hi sahi raay de sakata hai. vaise vivah sambhav hai.

    ReplyDelete
  5. Thanku so much Rachna ma'am for posting this here and thanx all for their thoughtful comments.. mai kya kahu.. bas soch me hi pad gayi hoon.. filhaal zyada important hai ki prateek puri tarah atm nirbhar ho sake.. sach hai.. baki sab baate baad ki hain.. uski stithi par depend karti hain..

    Thanx.. :)

    ReplyDelete

Note: Only a member of this blog may post a comment.