November 02, 2010

लोग आज भी श्रीमती डॉ पाठक की ह्रदय गति रुकने के कारण के बारे मे बात करते हैं

१९७७
आल इंडिया इंस्टिट्यूट के डॉ क्वाटर्स
डॉ पाठक का निर्जीव शरीर
कारण दिल का दौरा
उम्र ५६ साल
cardiolojist

हाथ मे फ़ोन का चोगा
एक पेपर स्लिप
मुझे लगता हैं दिल का दौरा पडा हैं हो सकता हैं ना बचूं कोई जिम्मेदार नहीं हैं

१ महीने बाद
श्री डॉ पाठक ने अपने से ३० वर्ष छोटी लड़की से दूसरा विवाह किया । श्री डॉ पाठक ने इस लड़की का इलाज ६ महीने लिया था । श्री डॉ पाठक की बेटी { पहली पत्नी से } ने उसी दिन अपनी पहली संतान को जनम दिया और दूसरी श्रीमति पाठक , पहली श्रीमती पाठक के गहने पहन कर उस से मिलने गयी ।
शादी के ७ महीने बाद श्रीमती पाठक ने जुड़वाँ बच्चो को जनम दिया

१९७८
श्री पाठक का बड़ा बेटा और बेटी उनसे विमुख हैं कोई पारिवारिक रिश्ता नहीं

लोग आज भी श्रीमती डॉ पाठक की ह्रदय गति रुकने के कारण के बारे मे बात करते हैं

6 comments:

  1. शायद समझ कर भी कोई पहली श्रीमती पाठक के दिल की वेदना समझना नही चाहता।----

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  2. श्रीमती पाठक की मानसिक वेदना को समझ सकती हु जो उनका दिल बर्दास्त नहीं कर पाया |

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  3. itni vednaa hai in kuchh panktiyon mein

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  4. सच में यह वेदना कैसे सह पता एक पत्नी का ह्रदय ....

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  5. एक लोम-हर्षक घटना!
    क्या पता हृदयगति रुकी थी, या रोकी गयी थी ??

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  6. क्या इस वेदना को उस लड़की ने समझा था? कम शब्दों में सटीक हालात बयान हैं. हृदयगति रुकना या रोकना बाद की बात है, क्यों ऐसा हुआ, इसके पीछे कौन है ये जरूरी है. कारण आपने खुद साफ़ किया है फिर भी चर्चा होती है, आश्चर्यजनक.............
    जय हिन्द, जय बुन्देलखण्ड

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