१९७७
आल इंडिया इंस्टिट्यूट के डॉ क्वाटर्स
डॉ पाठक का निर्जीव शरीर
कारण दिल का दौरा
उम्र ५६ साल
cardiolojist
हाथ मे फ़ोन का चोगा
एक पेपर स्लिप
मुझे लगता हैं दिल का दौरा पडा हैं हो सकता हैं ना बचूं कोई जिम्मेदार नहीं हैं
१ महीने बाद
श्री डॉ पाठक ने अपने से ३० वर्ष छोटी लड़की से दूसरा विवाह किया । श्री डॉ पाठक ने इस लड़की का इलाज ६ महीने लिया था । श्री डॉ पाठक की बेटी { पहली पत्नी से } ने उसी दिन अपनी पहली संतान को जनम दिया और दूसरी श्रीमति पाठक , पहली श्रीमती पाठक के गहने पहन कर उस से मिलने गयी ।
शादी के ७ महीने बाद श्रीमती पाठक ने जुड़वाँ बच्चो को जनम दिया
१९७८
श्री पाठक का बड़ा बेटा और बेटी उनसे विमुख हैं कोई पारिवारिक रिश्ता नहीं
लोग आज भी श्रीमती डॉ पाठक की ह्रदय गति रुकने के कारण के बारे मे बात करते हैं
शायद समझ कर भी कोई पहली श्रीमती पाठक के दिल की वेदना समझना नही चाहता।----
ReplyDeleteश्रीमती पाठक की मानसिक वेदना को समझ सकती हु जो उनका दिल बर्दास्त नहीं कर पाया |
ReplyDeleteitni vednaa hai in kuchh panktiyon mein
ReplyDeleteसच में यह वेदना कैसे सह पता एक पत्नी का ह्रदय ....
ReplyDeleteएक लोम-हर्षक घटना!
ReplyDeleteक्या पता हृदयगति रुकी थी, या रोकी गयी थी ??
क्या इस वेदना को उस लड़की ने समझा था? कम शब्दों में सटीक हालात बयान हैं. हृदयगति रुकना या रोकना बाद की बात है, क्यों ऐसा हुआ, इसके पीछे कौन है ये जरूरी है. कारण आपने खुद साफ़ किया है फिर भी चर्चा होती है, आश्चर्यजनक.............
ReplyDeleteजय हिन्द, जय बुन्देलखण्ड