आज कल टी वी के हर धारावाहिक मे नारी पात्रो के साथ निरंतर यौनिक हिंसा दिखाई जा रही हैं उस से में मे हमेशा एक ही प्रश्न उठता हैं की ये सब क्यूँ दिखाया जाता हैं ।
हर जगह बलात्कार और मोलेस्टेशन ऐसे दिखाया जाता हैं जैसे ये एक आम बात हैं और नीचे लिखा होता हैं
"हम नारी पर हो रही हिंसा के विरोधी हैं और ये सब काल्पनिक हैं "
हिंसा दिखा कर हर बार डराया भी जाता हैं और फिर उसको कप्ल्प्निक भी कह दिया जाता हैं ।
ये सब गलत हैं क्युकी इस से तो यही सन्देश जाता हैं की जो भी लड़की समाज की गलत बातो का विरोध करेगी उसके शरीर को नोच कर उसको सबक सिखाया जायेगा ।
जिस बात को ख़तम करना कहिये उसको ग्लमराइज किया जाता हैं और इस से बहुत से लड़कियों को नुक्सान होता हैं ।
आप क्या कहते हैं ??
बात आपने सही कही है , आजकल हमारी फिल्मों में भी नारी को सिर्फ भोग की वस्तु के रूप में उसके यौन शोषण को दिखाया जाता है और सबसे चिंताजनक बात तो ये है की theater में बैठी हुई ज़्यादातर audience उसका स्वागत करती हुई दिखती है अपनी सीटियों और गंदे ,अश्लील एवं भद्दे कमेंट्स के द्वारा, समाज की कुछ जगहों की हकीकत को बयान करते जिस दृश्य पर उन्हें अफ़सोस होना चाहिए उस पर वे प्रसन्न होते हैं
ReplyDeleteलेकिन एक बात और है ,ये सब काल्पनिक तो बिलकुल नहीं है ,बहुत सी जगहों पर ऐसा होता है लेकिन उसे महिमामंडित करते हुए नहीं बल्कि राष्ट्ट्रीय शर्म के रूप में प्रस्तुत किया जाए और जनता की भी मानसिकता ऐसे दृश्यों के प्रति बदली जानी आवश्यक है
और Censor Board नामक वस्तु का तो आजकल नामों-निशान भी नहीं दिखता
सचमुच कल्पनाशीलता के नाम पर कुछ भी परोसा जा रहा है। ज्यादातर धारावाहिकों में केंद्रीय किरदार महिला का ही होता है जिसके चलते उनसे जुडी कई बातें इस तरह की दिखाई जाती है जो गलत सन्देश देती है।
ReplyDeleteटी.वी.पर तो जैसे महिला अत्याचार दिखाना ही सारे सीरिअल का मुख्य धेय्य है। और बहुओं पर तो जिस तरह की ज्यादती दिखाते है कि अफ़सोस होता है कि आज टी.वी कहाँ जा रहा है। जबकि एक जमाना था जब हम लोग जैसे सीरिअल भी होते थे ।
ReplyDeleteऔर ये अच्छा तरीका है कि काल्पनिक लिखकर कुछ भी दिखा दो।
हम तो सब टीवी (Sub TV चैनल) के अलावा दूसरे फूहड धारावाहिक कम ही देखते हैं।
ReplyDeleteवैसे लाडो, बालिका वधू, उतरन, झांसी की रानी आदि में कई औरत विलेन या वैम्प के रूप में दिखाई गई हैं और अत्याचार करती भी दिखाई देती हैं।
प्रणाम स्वीकार करें
धारावाहिक में जो भी दिखाया जा रहा है, वह काल्पनिक नहीं बल्कि यथार्थ है और ये काल्पनिक लिखने का एक कानूनी पक्ष है की कोई भी उनके ऊपर मानहानि या फिर अपनी कहानी पर धारावाहिक बनाने का आरोप न लगा दे. इस लिए वे इस तरह प्रसारित करते हैं. हम किसी के ऊपर क्यों जाएँ इस दुनियाँ में रहते हैं तो इस सब से दो चार होते ही रहते हैं. इसके विरोध का तरीका भी इसी में दिखाया जाना चाहिए. तभी अत्याचार और उसके प्रति दिखाई गयी बगावत कुछ सन्देश दे सकती है.
ReplyDeleteरेखाजी की बात से सहमत |
ReplyDeleteरक्षा बंधन पर हार्दिक शुभकामनाएँ.
ReplyDeleteTV chanal aur Cinema mein naari ko kuch jyada hi hinsak roop mein prosana nisandeh dukhad hai... hinsa kisi ke bhi prati ho sirf naari hi nahi sabhi ko eska apne-apne star par virodh karna hi chahiye..
ReplyDeletesaarthak prastuti ke liya dhanyavaad
bilkul sahi kaha hai aapne...
ReplyDeleteA Silent Silence : tanha marne ki bhi himmat nahi
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अच्छी प्रस्तुति .
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