" जिसने घुटन से अपनी आज़ादी ख़ुद अर्जित की "
"The Indian Woman Has Arrived "
एक कोशिश नारी को "जगाने की " ,
एक आवाहन कि नारी और नर को समान अधिकार हैं और लिंगभेद / जेंडर के आधार पर किया हुआ अधिकारों का बंटवारा गलत हैं और अब गैर कानूनी और असंवैधानिक भी . बंटवारा केवल क्षमता आधारित सही होता है
आपकी यह पोस्ट मुझे बहुत अच्छी लगी.. दूसरी बात इस पोस्ट में मुझे आपकी झलक मिली.. एक सुन्दर मन की झलक जो स्वयं से साक्षात्कार करने को उत्सुक है . यह सृष्टि अभिव्यक्ति का ही प्रबंधन है और कुछ नहीं.. अपनी अभिव्यक्ति को यूं कम करके नहीं आंकना चाहिए ..आपका सुमन कुमार
नारी
समझना एक नारी को शायद........ मुश्किल ही नहीं, असंभव है. नारी, आग का वह गोला है जो जला सकती है, पूरी दुनिया. नारी, पानी का सोता है वह बुझा सकती है, जिस्म की आग. नारी, एक तूफान है वह मिटा सकती है, आदमी का वजूद. नारी, वरगद की छाया है वह देती है, थके यात्री को, दो पल का आराम. नारी, एक तवा है वह खुद जलकर मिटाती है, दूसरों की भूख. नारी, पवित्र गंगा है वह धोती है सदियों से, पापियों का पाप. नारी, मृग तृष्णा है जो पग बढ़ाते ही, चली जाती है दूर. नारी, लाजबन्ती है वह मुरझा जाती है, छु देने के बाद. नारी, सृष्टी है वह रचती है रोज, एक नई संसार.
आपकी यह पोस्ट मुझे बहुत अच्छी लगी.. दूसरी बात इस पोस्ट में मुझे आपकी झलक मिली.. एक सुन्दर मन की झलक जो स्वयं से साक्षात्कार करने को उत्सुक है . यह सृष्टि अभिव्यक्ति का ही प्रबंधन है और कुछ नहीं.. अपनी अभिव्यक्ति को यूं कम करके नहीं आंकना चाहिए ..आपका सुमन कुमार
ReplyDeleteनारी
समझना
एक नारी को
शायद........
मुश्किल ही नहीं,
असंभव है.
नारी,
आग का वह गोला है
जो जला सकती है,
पूरी दुनिया.
नारी,
पानी का सोता है
वह बुझा सकती है,
जिस्म की आग.
नारी,
एक तूफान है
वह मिटा सकती है,
आदमी का वजूद.
नारी,
वरगद की छाया है
वह देती है, थके यात्री को,
दो पल का आराम.
नारी,
एक तवा है
वह खुद जलकर मिटाती है,
दूसरों की भूख.
नारी,
पवित्र गंगा है
वह धोती है सदियों से,
पापियों का पाप.
नारी,
मृग तृष्णा है
जो पग बढ़ाते ही,
चली जाती है दूर.
नारी,
लाजबन्ती है
वह मुरझा जाती है,
छु देने के बाद.
नारी,
सृष्टी है
वह रचती है रोज,
एक नई संसार.