March 25, 2010

*प्रयास से परिवर्तन संभव*
बहुधा हम अपने आस-पास गलत घटित ,लिखित,सुनी बातों या घटनाओं को पढकर-देखकर-सुनकर विचलित हो जाते हैं. हम जितना आगे बढ़ते हैं उतने ही कुछ लोग पीछे लोग धकेलने की कोशिश करते हैं. चाहे वो ब्लोगर्स हों ,पेपर्स में हों, या किसी की बातें हालाँकि इनकी संख्या ऊँगली पर गिनने वालों की रहती है. ये वे लोग होते हैं जो कुंठित रहते हैं या अपने आप में असफल रहकर निराश रहते हैं , हम इनको *मानसिक विकलांग* कह सकते हैं ,जो दूसरों को पीड़ा पहुंचाकर खुश होते हैं. हालाँकि ऐसी ओछी मानसिकता वाले लोग हमारे ही घर या बाहर कहीं भी हो सकते हैं. ये कुछ लोग अपने आप को श्रेष्ट साबित करने का कितना भी दंभ भरें इसकी कोशिश में वे स्वयं निम्न विचारों के बन जातें हैं. "तो इनको नजरंदाज न करके इनपर पैनी निगाह तो रखें " साथ ही अपने हक या अधिकार के लिए सदैव आगे बढें. अपने संकीर्ण विचार त्यागकर ,अपनी आवाज बुलंदकर कोई जुल्म या अत्याचार न सहें पर अपने धैर्य का परित्याग कभी न करें ,निराश न हों सदैव आशावादी द्रष्टि रहे स्वनिर्णय लेने की क्षमता रहे. अपना आत्मसंयम-अनुशासन हमें बड़ी से बड़ी समस्या, विकट कठिनाइयों व विपरीत परिस्थितियों में भी हमें आसानी से विजय दिलाता है. बस योजनाबध्द तरीके से अपने कार्य को करें.
NEVERDOUBT THAT A SMALL GROUP OF THOUGHTFUL ,COMMITED CITIZENS CAN CHANGE THE WORLD .
INDEED ITS THE ONLY THING THAT EVER HAS.
वर्त्तमान समय में हमारी *नवयुवा पीढ़ी* स्वयं स्फुटित ज्योतिपुंज स्वरुप बनकर सशक्त हो रही है। संपूर्ण चेतना से जागरूक ,चैतन्यशील व सुशिक्षित होकर अपना मार्ग निर्धारण करने का साहस बटोरकर निरंतर उज्जवल भविष्य की ओर अग्रसर होती जाती है.
जीवन के संघर्ष-कड़े रास्ते, कटु वचन-मानसिक या शारीरिक हिंसा भी उनको डिगा नहीं पाते बल्कि उत्क्रष्टता के मार्ग को प्रशस्त करते हैं ।

"योग्यता व सफलता" एक ही सिक्के के दो पहलू हैं ,"सफलता" के आकाश को विस्तृत करने के लिए अपनी "योग्यता" को निरंतर विकसित करते रहना आवश्यक है.
*बहुत विशाल होता है ख्वाहिशों का आसमां-----और उतना ही मुश्किल होता है ,हर इच्छा को साकार कर पाना ,लेकिन जब कुछ हासिल करने का जज्बा दिल में रहे नई राहें मिल जातीं हैं व मंजिलें करीब आ जातीं हैं आपके प्रयास से सफलता आपके कदम छूने को आतुर हो जाती है.*
हाँ निस्वार्थ भाव से हमें अपने भाई-बहिनों को भी पीछे न धकेलकर ,दुर्व्यवहार न कर उनकी योग्यता के अनुरूप सबको साथ लेकर सतत सहयोग को तत्पर होना होगा . हमारा प्रयास सार्थक होगा व जैसा परिवर्तन हम चाहते है अवश्य होगा . समय के साथ बदलना होगा ,स्वाभिमानी-स्वावलंबी-साहसी बनने के लिए समर्पित -संकल्पित यज्ञ की प्रगति में सहायक होना है.
*इस अँधेरी रात को हरगिज मिटाना है हमें. इसलिए हर खेत से सूरज उगाना है हमें.*
अलका मधुसूदन पटेल
*लेखिका व साहित्यकार*

3 comments:

  1. bahut hi prerna dayi aalekh chunotiyo ko sweekar karke hi aage bdha ja skta hai

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  2. बहुत ही उत्साहवर्धक पोस्ट है आपकी. मैं आपकी बात से सहमत हूँ. आज की पीढ़ी निश्चित ही बहुत ही सशक्त और ऊर्जावान है. उसे अपनी योग्यता का निरन्तर परिष्कार करते रहना चाहिये और अपने भीतर की ललक को सकारात्मक रूप देना चाहिये.

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  3. बहुत ही उत्साहवर्धक पोस्ट है आपकी. मैं आपकी बात से सहमत हूँ.

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