" जिसने घुटन से अपनी आज़ादी ख़ुद अर्जित की "
"The Indian Woman Has Arrived "
एक कोशिश नारी को "जगाने की " ,
एक आवाहन कि नारी और नर को समान अधिकार हैं और लिंगभेद / जेंडर के आधार पर किया हुआ अधिकारों का बंटवारा गलत हैं और अब गैर कानूनी और असंवैधानिक भी . बंटवारा केवल क्षमता आधारित सही होता है
बहुत ही सम्मान के साथ ये सवाल पूछने का मन करता है कि आखिर कई मामले में किसी महिला के विरुद्ध अपराध में दूसरी महिला कैसे शामिल हो जाती है!!! हद हो गयी बलात्कार जैसे घृणित कर्म की गलाज़त में भी उसने अपने पति का कैसे साथ दिया....
बलात्कार की ये घटनाएं क्या बतातीं हैं? पुरुषों के समर्थन और महिलाओं के विरुद्ध मुंह खोलने वालों को ऐसी ही घटनाओं से बल मिलता है. इस तरह की घटनाओं को अंजाम देने वालों और साथ देने वालों का सामाजिक बहिष्कार होना चाहिए पर........................... जय हिन्द, जय बुन्देलखण्ड
यही बात मैंने अपने ब्लॉग पर बहुत पहले लिखी थी रचना जी, और इसका स्थाई हल भी...
उसका कुछ अंश मैं आपको और आपके ब्लॉग के माध्यम से यहाँ लिखना चाहता हूँ !!!
"अगर एक व्यक्ति 125 बार बलात्कार की घटनाओं में लिप्त हो तो केवल एक बार ही उसे सज़ा दी जाने की संभावना हैं बहुत से लोग इसे अच्छा जुआ समझेंगे रिपोर्ट से यह भी अंदाज़ा होता है की सज़ा दिए जाने वालों में से केवल 50 प्रतिशत लोगों को एक साल से कम की सज़ा दी गयी है हालाँकि अमेरिकी कानून के मुताबिक सात साल की सज़ा होनी चाहिए उन लोगों के सम्बन्ध में जो पहली बार सज़ा के दोषी पाए जातें हैं, जज़ नरम पद जाते हैं
ज़रा विचार करें एक व्यक्ति 125 बार बलात्कार करता है लेकिन उसके विरुद्ध मुकदमा चलने का अवसर केवल एक बार ही आता है और फिर पचास प्रतिशत लोगों को जज़ की नरमी का फायेदा मिल जाता है और एक साल से भी कम मुद्दत की सज़ा किसी ऐसे बलात्कारी को मिल पाती है जिस पर यह अपराध सिद्ध हो चूका हो"
"बलात्कार की सज़ा मौत: लाल कृष्ण आडवानी:::हालाँकि मैं श्री लाल कृष्ण आडवानी जी की अन्य नीतियों और विचार से बिलकुल भी सहमत नहीं हूँ लेकिन मैं सहमत हूँ लाल कृष्ण आडवानी के इस विचार से कि बलात्कारियों को सज़ा-ए-मौत देनी चाहिए उन्होंने यह मांग उठाई थी कि बलात्कारी को मृत्युदंड दिया जाना चाहिए "
अपराधी, अपराधी होता है, चाहे स्त्री हो या पुरुष. बलात्कार का अपराधी न सिर्फ़ बलात्कृत महिला का बल्कि सारे समाज का अपराधी है. कठोर दंड की व्यवस्था जब तक नहीं होगी, तब तक उनके मन में इस अपराध को करने में भय नहीं होगा. ऐसे ही साल दो साल की सजा पाकर, बाहर आकर वे फिर वही अपराध करेंगे. इसलिये कठोर दंड ही एकमात्र उपाय है.
अपराधी सिर्फ अपराधी होता है उसके स्त्री या पुरुष होने से कोई भी फर्क नहीं होना चाहिए. हम अपने कानून से संतुष्ट ही नहीं है, यहाँ सब बिकाऊ है और पुलिस से लेकर ..............तक सभी भ्रष्ट मिल जायेंगे. ऐसी महिलाएं निंदनीय ही नहीं बल्कि सामाजिक बहिष्कार के लायक हैं.
बहुत ही सम्मान के साथ ये सवाल पूछने का मन करता है कि आखिर कई मामले में किसी महिला के विरुद्ध अपराध में दूसरी महिला कैसे शामिल हो जाती है!!!
ReplyDeleteहद हो गयी बलात्कार जैसे घृणित कर्म की गलाज़त में भी उसने अपने पति का कैसे साथ दिया....
ऐसी घटनाओं कि जितनी मज़म्मत की जाय कम है!
मनुष्य पता नहीं कौन सी योनी में चल रहा है चौरासी लाख योनियों में ऐसी अमानुषिक हरकतें शायद और कहीं ना होती हो .......
ReplyDeleteइतनी घिन आ रही है सोच कर भी ....
बलात्कार की ये घटनाएं क्या बतातीं हैं? पुरुषों के समर्थन और महिलाओं के विरुद्ध मुंह खोलने वालों को ऐसी ही घटनाओं से बल मिलता है.
ReplyDeleteइस तरह की घटनाओं को अंजाम देने वालों और साथ देने वालों का सामाजिक बहिष्कार होना चाहिए पर...........................
जय हिन्द, जय बुन्देलखण्ड
sonal ji ne bilkul sahi kaha hai......
ReplyDeleteघिन आ रही है सोच कर भी .
बलात्कार की ये घटनाएं क्या बतातीं हैं? पुरुषों के समर्थन और महिलाओं के विरुद्ध मुंह खोलने वालों को ऐसी ही घटनाओं से बल मिलता है.
ReplyDeleteIs yug mai ek or Parshuram ki jaroorat hai humko. Jinhonay 21 baar dharti ko kshtriya viheen kar diya thaa. Ek or Parshuram.
ReplyDeleteयही बात मैंने अपने ब्लॉग पर बहुत पहले लिखी थी रचना जी, और इसका स्थाई हल भी...
ReplyDeleteउसका कुछ अंश मैं आपको और आपके ब्लॉग के माध्यम से यहाँ लिखना चाहता हूँ !!!
"अगर एक व्यक्ति 125 बार बलात्कार की घटनाओं में लिप्त हो तो केवल एक बार ही उसे सज़ा दी जाने की संभावना हैं बहुत से लोग इसे अच्छा जुआ समझेंगे रिपोर्ट से यह भी अंदाज़ा होता है की सज़ा दिए जाने वालों में से केवल 50 प्रतिशत लोगों को एक साल से कम की सज़ा दी गयी है हालाँकि अमेरिकी कानून के मुताबिक सात साल की सज़ा होनी चाहिए उन लोगों के सम्बन्ध में जो पहली बार सज़ा के दोषी पाए जातें हैं, जज़ नरम पद जाते हैं
ज़रा विचार करें एक व्यक्ति 125 बार बलात्कार करता है लेकिन उसके विरुद्ध मुकदमा चलने का अवसर केवल एक बार ही आता है और फिर पचास प्रतिशत लोगों को जज़ की नरमी का फायेदा मिल जाता है और एक साल से भी कम मुद्दत की सज़ा किसी ऐसे बलात्कारी को मिल पाती है जिस पर यह अपराध सिद्ध हो चूका हो"
"बलात्कार की सज़ा मौत: लाल कृष्ण आडवानी:::हालाँकि मैं श्री लाल कृष्ण आडवानी जी की अन्य नीतियों और विचार से बिलकुल भी सहमत नहीं हूँ लेकिन मैं सहमत हूँ लाल कृष्ण आडवानी के इस विचार से कि बलात्कारियों को सज़ा-ए-मौत देनी चाहिए उन्होंने यह मांग उठाई थी कि बलात्कारी को मृत्युदंड दिया जाना चाहिए "
Agree with Shahroz Bhai!!!
ReplyDeleteऐसी घटनाओं कि जितनी मज़म्मत की जाय कम है!
रचना, स्त्री भी अपराध करती है/कर सकती है। अपराधी को सजा मिलनी ही चाहिए। यह अपराध बहुत ही निन्दनीय है।
ReplyDeleteघुघूती बासूती
घुघूती दी की बातों को ही दुहराना चाहूंगी...
ReplyDeleteक्या कहा जाय इस निकृष्ट घोर भर्त्सनीय कर्म को.......
अपराधी, अपराधी होता है, चाहे स्त्री हो या पुरुष. बलात्कार का अपराधी न सिर्फ़ बलात्कृत महिला का बल्कि सारे समाज का अपराधी है. कठोर दंड की व्यवस्था जब तक नहीं होगी, तब तक उनके मन में इस अपराध को करने में भय नहीं होगा. ऐसे ही साल दो साल की सजा पाकर, बाहर आकर वे फिर वही अपराध करेंगे. इसलिये कठोर दंड ही एकमात्र उपाय है.
ReplyDeleteKYA KOI NAARI BHI AISA KAR SAKTI HAI?SHAME!!SHAME!!!
ReplyDeleteअपराधी सिर्फ अपराधी होता है उसके स्त्री या पुरुष होने से कोई भी फर्क नहीं होना चाहिए. हम अपने कानून से संतुष्ट ही नहीं है, यहाँ सब बिकाऊ है और पुलिस से लेकर ..............तक सभी भ्रष्ट मिल जायेंगे. ऐसी महिलाएं निंदनीय ही नहीं बल्कि सामाजिक बहिष्कार के लायक हैं.
ReplyDeleteक्या कहा जाय इस निकृष्ट घोर भर्त्सनीय कर्म को......
ReplyDeleteThe lady who supported her rapist hubby is a blot in the name of women !
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