मैं पढ़-लिखकर डिग्री-विग्री लेकर शादी के लिए तैयार थी। जैसे ही पढ़ाई पूरी होती है, बस एक ही काम बचता है वह है शादी। पिताजी ने कहा कि तुम अब नौकरी भी करने लगी हो तो तुम्हें किसी कम पढ़े और बेरोजगार लड़के से विवाह कर लेना चाहिए। मैं एकदम से चौंक गयी। पिताजी कैसी सलाह दे रहे हैं? लेकिन उनकी सलाह आज ठीक ही लग रही है, काश ऐसा ही किया होता? मेरी एक मित्र ने लम्बा-चौड़ा पहलवान जैसा पति ढूंढ लिया, कारण बताया कि सुरक्षा करेगा। लेकिन कुछ दिन बाद खबर आयी कि वह पत्नी से ही दो-दो हाथ कर रहा है।
एक मेरी अन्य मित्र एम बी बी एस डाक्टर, मैंने उसे एक डॉक्टर पति ही बताया लेकिन वो बोली कि नहीं मुझसे ज्यादा पढ़ा होना चाहिए। ढूंढ शुरू हुई, और एक पी.जी. डाक्टर मिल ही गया। अब पत्नी ग्रेजयूट और पति पोस्ट-ग्रेजुएट। बात-बात में पत्नी को कहे कि तुम्हारी बुद्धि तो चोटी के पीछे रहती है। तब मुझे पिताजी की बात का मर्म समझ आया। ना रहे बांस और ना बजे बांसूरी। अरे किसने कहा कि पहलवान टाइप लड़के से शादी करो या फिर किसी बड़ी डिग्रीधारी से। ये बड़ी डिग्रीधारी मुझे अक्सर बड़े फन-धारी लगते हैं, हमेशा फुंफकारते ही रहते हैं। और फिर कोढ़ में खाज जैसा ही एक और फार्मूला है विवाह करने का, कि लड़का उम्र में भी बड़ा होना चाहिए। जिससे आपको हमेशा छोटा होने का अहसास दिलाया जा सके। आज नारियों ने कितनी ही उन्नति कर ली लेकिन अभी भी वे अपने सर को ओखली में डालने से बाज नहीं आती।
मैंने एक दिन हरियाणा की एक लड़की से कहा, जो पांच फीट आठ इंच थी, कि तू किसी पूर्वांचल के लड़के से शादी कर ले। अब वो बोली कि दीदी आप क्यूं मजाक कर रही हैं? क्या मुझे उसे गोद में उठाकर चलना है? अरे मारपीट का किस्सा एकदम से ही खत्म हो जाएगा बल्कि तू ही कभी एकाध हाथ जड़ सकती है, मैंने उसे समझाने का निरर्थक प्रयास किया। तू क्यों सुरक्षा ढूंढ रही है, तू स्वयं ही समर्थ बन ना। उसने कहा कि नहीं दीदी कुछ मजा नहीं आएगा। तब मैंने कहा चल पूर्वांचल का तो तुझे ज्यादा ही छोटा लग रहा है, तू ऐसा कर कि मध्यप्रदेश आदि का चुन ले कोई पांच फीट पांच इंच वाला। यहाँ भी मारपीट का खतरा नहीं रहेगा।
अब एक आई पी एस लड़की मिली, चौबीस घण्टे की नौकरी। कभी इस गाँव तो कभी उस गाँव। मैंने उससे कहा कि तू बेरोजगार किसी बिना पढ़े-लिखे से शादी कर ले। लेकिन उसने भी मेरी नहीं सुनी। उसने सीनियर आई पी एस से शादी कर ली। अब साहब की अटेची भी पेक करनी और खाना भी बनाकर देना। हो गयी न आई पी एस की ऐसी की तैसी? मैंने क्या बुरा कहा था? अरे पति चाहिए या आस-पड़ोस में रौब दिखाने के लिए बड़ी डिग्री? पड़ोस में तो दिखा लिया रौब लेकिन घर में?
अब देखिए उम्र के मामले में मुझे ऐश्वर्या की बात समझ आयी, हमेशा आँख दिखाकर कह सकेगी कि बड़ों से तमीज से बात करो। अभी तो बात-बात में छोटा होने का अहसास जताया जाता है।
अब इस देश की बालिकाओं और युवतियों तुम्हारे सोचने का समय शुरू होता है अभी। कि तुम अपने लिए बॉडी-गार्ड ढूंढती हो या फिर अपनी बॉडी का गार्ड स्वयं बनती हो। मैंने अनेक हल दिए हैं परम्परा से चली आ रही इस ...गर्दी के खिलाफ, फैसला आपको करना है। हमारी तो जैसे-तैसे कट गयी लेकिन तुम्हारी बढ़िया कटे इसके लिए मैंने फोकट में ही सलाह दी है। मैं जानती हूँ कि मेरी फोकटी सलाह को आप कोई भी नहीं मानेगा लेकिन जब मैं पैसे लेकर सलाह देने लगूंगी तब आप सब अवश्य मानेंगी। सीता-सीता।
डॉ श्रीमती अजित गुप्ता
अब इस देश की बालिकाओं और युवतियों तुम्हारे सोचने का समय शुरू होता है अभी। कि तुम अपने लिए बॉडी-गार्ड ढूंढती हो या फिर अपनी बॉडी का गार्ड स्वयं बनती हो।
ReplyDeleteपति को सामाजिक सुरक्षा कवच ना बनाये तो बेहतर होगा ज्यादा तर महिला इसी लिये शादी करती हैं कि वो सुरक्षित रहे । समाज मे नारी अपनी सुरक्षा का जिम्मा जब तक किसी पुरुष को देती रहेगी वो समानता कि बात ना ही करे तो बेहतर हैं । आप कि लेखनी सधी हुई हैं हमेशा कि तरह और व्यंग के साथ साथ जो सच हैं वो बहुत गहराई से उभरा हैं
aapaka kathan sahi hai par puravanchal vale itane bhee kamjoor nahee hote
ReplyDeleteMai aapki baat se sehmat hoon... meri apani choice yahi hogi... warna hamesha apne husband ki gulaami hi naseeb aayegii... jaisa ki harek ghar me milta hai...
ReplyDeleteaksar sochti hoon baap re aisi life kategi to isse better hai ki chupchaap kahi kone me dafan ho jaayein...
roman me likhne ke liye maafi chaahti hoon... abhi vivashta hai :)
हाँ, मैं आपकी बात से सहमत हूँ, पर दुनिया को कौन समझाये? लड़कियाँ अपने से छोटे या कम पढ़े-लिखे लड़कों से शादी करने को तैयार हों, तो पहले तो उन्हें लड़के मिलेंगे नहीं और अगर कोई लड़का तैयार हो भी गया, तो दुनिया वाले बोली कस-कस के उसका जीन दूभर कर देंगे. अगर वह पत्नी से कम कमाता हो, तो कहेंगे कि बीवी की कमाई खा रहा है. अगर वह पत्नी को प्यार करने वाला सीधा-सादा आदमी है तो कहेंगे कि बीवी का गुलाम है.
ReplyDeleteमैं यह मानती हूँ कि लोगों के कहने के डर से अगर हम उबर जायें तो अपने मनपसंद लड़के से शादी कर सकते हैं, अपनी मर्ज़ी से और बिना दहेज के.
बहुत खूब...लाजवाब लिखा..बधाई.
ReplyDeleteमैं आपसे बिलकुल सहमत हूँ, विवाह न डिग्री से होता है और न ही उसके स्टेटस से. जो जीवन समान रूप से आपसी समझदारी और सम्मान के साथ जिया जाए, वही बेहतर वैवाहिक जीवन है.
ReplyDeleteवैसे मुक्ति जी से मैं सहमत हूँ, बिलकुल ऐसा ही हमारा समाज है. लेकिन ये समाज न तो जीवन भर साथ देता है. जीवन लड़कियों का अपना होता है. अगर कल को कोई समस्या आती है तो ये समाज नहीं आता है. जाति , धर्म , आयु और शिक्षा इस बात की गारंटी नहीं देती की आपको एक सुखद वैवाहिक जीवन मिलेगा. निर्णय लेने में माता-पिता को भी समझदारी का परिचय देना चाहिए. जीवन एक बेहतर और सुलझे हुए इंसान होने से सुखी होता है न कि समाज और रिश्तेदारों के मानकों पर खरे उतरने वाले इंसानसे.