पता नहीं क्यों लोग रोल रिवर्सल कि बात करते हैं कि प्रगतिशील नारी चाहती हैं कि पुरुष घर का काम सभाले और नारी बाहर का ।
शायद प्रगतिशील नारी का अर्थ हैं वो नारी
जो शिक्षित हैं ,
सशक्त हैं ,
समर्थ हैं और समान अधिकार कि बात करती हैं
वो काम काजी भी हो सकती हैं और गृहणी भी
मैने तो जितनी भी इन प्रगतीशील नारियों के लेखो को पढ़ा है जिनमे समान अधिकार कि बात है वो सब ये मानती हैं कि
नारी को क्या करना है इसका फैसला वो खुद करेगी ।
नारी के लिये समान अधिकार का मतलब होता है संविधान और कानून से मिले समान अधिकार यानी वो अधिकार जो नर नारी को इंसान मान कर दिये जाते हैं ।
रोल रिवर्सल कि बात ही बेमानी हैं क्युकी जब नारी समान अधिकार कि बात करती हैं तो वो इस विभेद से हट कर बात करती जिस मे कुछ काम पुरुष के लिये बना दिये गए थे और कुछ नारी के लिये । कामो का विभाजन क्षमता के आधार पर हो , कामो का विभाजन अपनी रूचि के आधार पर हो और नारी को अपनी रूचि से सम्पूर्णता से जीने का अधिकार हो ।
रोल रिवेर्सल कि बात करना गलत हैं क्युकी रोल को डिफाइन अगर गलत किया गया हो और किसी को निरंतर मजबूर किया गया हो कि घर मे रहो क्युकी तुम उसी के लायक हो तो पहले रोल को सही डिफाइन करो , हर प्रगतिशील नारी यही चाहती हैं
इस मूल तर्क से मैं भी सहमत हूं कि समानता का मतलब रोल रिवर्सल नहीं बल्कि अपनी इच्चा से रोल चुनने की उतनी ही छूट जितनी किसी भी इंसान को मिलनी चाहिए और मिलती है, पुरुष या स्त्री। इस छोटी सी पोस्ट में मुद्दे की बात उठाई गई है।
ReplyDeleteसही है रचना, किन्तु हमें पीटने को हाथ में एक नया हथियार आ गया है, नारीवादी कहकर गरियाने का.चलिए, यह भी चलेगा.इस सब की इतनी आदत हो गई है कि कुछ विशेष अन्तर नहीं पडता.
ReplyDeleteघुघूती बासूती
आपका ये कहना बिल्कुल सही है। दरअसल हरेक इंसान जोकि इस तरह से समान अधिकार देने के हक में नहीं है वो यही कहता हैं कि नारी पुरुषों की बराबरी करना चाहती है। पता नहीं किस शास्त्र के मुताबिक़ उन लोगों ने ये तय कर लिया हैं कि ये काम पुरुष के ये काम नारी के।
ReplyDeleteप्रगतिशील होने का मतलब होता है विकास की नई उचाइयाँ छूना.जोकि हो रहा है, महिलाएँ आज आगे जा रही हैं हर क्षेत्र में, इसे एक गुणात्मक रूप में लिया जाना चाहिए . महिला और पुरुष के बीच तुलना करना व्यर्थ है क्योंकि दोनों में कई अन्तर हैं सबसे बड़ा अन्तर तो जीन्स का है जिसे कोई नकार नहीं सकता.
ReplyDeleteएक प्रयास हो रहा है महिला आरक्षण का संसद में . महिलाएँ अगर एक जुट हों तो किसी आरक्षण जैसी बैसाखी की जरूरत ही नहीं है . वे मिलकर एक नयी दिशा प्रदान कर सकती हैं .
आपकी बात से कोई भी समझदार व्यक्ति असहमत नहीं हो सकता. पर कितनी अजीब बात है कि इतनी छोटी-छोटी बातें भी हमें बार-बार कहकर समझानी पड़ती है.
ReplyDeletemini has left a new comment on the post "एक पुरुष डॉक्टर का फरमान- बेटा दो या तलाक दो":
ReplyDeleteplease visit the web page www.mitukhurana.wordpress.com. i need your support in my fight against female foeticide