December 16, 2009

नाइक की टिप्पणी को कार्यवाही में से निकाल दिया

राज्यसभा
में मंगलवार को गोवा से कांग्रेसी सांसद के बयान पर हंगामा हो गया। गोवा में रेप के
मामलों का जिक्र करते हुए शांताराम नाइक ने जीरो आवर के दौरान टिप्पणी की कि कुछ बलात्कार पीड़ितों ने खुद ही मुसीबत को न्योता दिया था क्योंकि वे देर रात तक अजनबी लोगों के साथ घुलमिल रहती थीं।

सांसद की इस टिप्पणी पर विपक्ष खासकर, महिला सांसदों ने विरोध जताया। उनका विरोध नाइक की इस बात पर ज्यादा था कि अगर रेप पीड़िता आधी रात के बाद अजनबी लोगों के साथ घूमती रही हो तो ऐसे मामलों में बलात्कार के केसों को अलग तरह से ट्रीट किया जाना चाहिए। नाइक ने गोवा में रूसी लड़की के साथ राज्य के एक नेता द्वारा डिनर करने के बाद चलती कार में कथित रेप के मामले को बढ़ा चढ़ाकर पेश करने के लिए मीडिया को भी आड़े हाथ लिया।

नाइक के बयान पर सीपीएम की वृंदा कारत, बीजेपी की नजमा हेपतुल्ला, माया सिंह और एसपी की जया बच्चन ने विरोध जताया। उन्होंने डिप्टी चेयरमैन के. रहमान खान से यह कहकर हस्तक्षेप करने की मांग की कि नाइक को महिलाओं के प्रति असम्मान दिखाने वाली भाषा का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। रविशंकर प्रसाद ने कहा कि ऐसा लग रहा है जैसे नाइक रेप को जायज ठहरा रहे हों। खान ने नाइक से जीरो आवर के टेक्स्ट को एग्जामिनेशन के लिए सबमिट कराने का निर्देश दिया और कहा कि ऐसा लग रहा है कि सांसद इस मुद्दे को जितना उठाना चाहते थे, उससे ज्यादा बोल गए हों। बाद में नाइक की टिप्पणी को कार्यवाही में से निकाल दिया
आभार खबर यहाँ हैं

अब प्रश्न ये हैं कि अगर "नाइक की टिप्पणी को कार्यवाही में से निकाल दिया"
तो हम सब ब्लॉग जगत मे उन टिप्पणियों को क्यूँ नहीं पूर्णतः हटा देते हैं जिनमे किसी के प्रति व्यक्तिगत / जातिगत / लिंग प्रधान आक्षेप होते हैंऐसी बहसों मे क्यूँ नहीं उस प्रथम टिप्पणी से लेकर उस अंतिम टिप्पणी तक जहां बहस का मुद्दा गलत हैं या गलत दिशा मे जाता हैं पूरा हटा दिया जाएपूरा हटाने का मतलब हैं कि हम वो नाम भी हटाये जिन्होने ने टिप्पणी दीकिसी कि टिप्पणी मिटा दे और उसका नाम छोड़ दे तो क्या फायदा , पूरा का पूरा डिलीट क्यूँ ना किया जायाअगर लोग सभा , राज्य सभा जैसी जगह अभिव्यक्ति कि स्वतंत्रता पर "सफेदी पोती " जा सकती हैं तो ब्लोग्पर क्यूँ नहीं
क्यूँ बेकार कि टिप्पणियों को हम अभिव्यक्ति कि स्वतंत्रता के नाम पर अपने अपने ब्लोग्पर पडा रहने देते हैं

आप क्या कहते हैं ??

6 comments:

  1. पहला मुद्दा पहले -
    1) इस कांग्रेसी सांसद "नाईक" को हमें रूस और ऑस्ट्रेलिया की गलियों में रात के 12 के बाद दारु पिलाकर छोड़ देना चाहिये फ़िर इसके साथ जो भी हो इसकी जिम्मेदारी उसी पर डाल देना चाहिये… और ऐसे केस को अलग से "ट्रीट" करना चाहिये। मजा तो तब है जब इस प्रकार के सांसदों को भारत में भी थोड़ा हटकर ट्रीट किया जाये, जैसे इटली के प्रधानमंत्री की नाक तोड़कर उन्हें ट्रीट दिया गया… :)

    दूसरा मुद्दा -
    2) ब्लॉग पर टिप्पणी रखना न रखना पूर्णतः ब्लॉग मालिक का विशेषाधिकार है, कोई टिप्पणी जाति-लिंग-धर्म विरोधी है या नहीं यह ब्लॉग मालिक के तय करने की बात है। जैसा कि आपने कहा कि "जब टिप्पणी मिटाई जाती है तब नाम सहित पूरी मिटाई जाना चाहिये", इसमें भी आंशिक असहमति हो सकती है, क्योंकि शायद ब्लॉग मालिक दूसरे पाठकों को प्रदर्शित करना चाहता हो कि उसने किस-किस की टिप्पणी हटाई है, यह भी उसी का विशेषाधिकार है…

    बहरहाल, पहला मुद्दा अधिक गहन-गम्भीर है, उस पर बहस होनी चाहिये… जिसमे मुख्य बात यह हो कि 1) आखिर गोआ में राजनीति-अपराध-नशे के कारोबार-माफ़िया के चक्रव्यूह को कैसे तोड़ा जाये, और 2) कांग्रेसी मंत्रियों के पुत्रों के अय्याशियों-कारनामों पर "नैतिकता ब्रिगेड" नरम रुख क्यों अपनाती है, जबकि यही ब्रिगेड संघ-भाजपा के मामले में उबल-उबल पड़ती है।

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  2. मैं पूरी तरह आपसे सहमत हूँ और आपके साथ हूँ

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  3. हां सच ऐ रचना जी. यदि कोई अशोभनीय टिप्पणी है तो उसके लेखक के नाम सहित उसे हटाया जाना चाहिये.

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  4. aapsi sahammti ho to naari kisi ke bhi saath ghoom sakti hai. usakee marzi ke bagair usake saath kuchh bhi karana rep hai iska samarthan nahi ho sakta. kanoon-vyavastha ki kamjori balaatkar jaisi sthitiyo ko janm deti hai. fir bhi yah savdhani rakhana hi chahiye ki aurate samooh me hirahe. shikari bhediyo ka kya bharosa...? hame bach kar bhi rahana hoga.

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