November 29, 2009

एनआरआई दूल्हे

आजादी के इतने सालों के बाद विदेशी चीजों के प्रति हमारा मोह घटने के बजाय बढ़ा है। हमें हर वो चीज प्रिय है जिसका संबंध विदेश से हो। यहां तक हमारी नज़रों में उन लोगों का दर्जा बढ़ जाता है जो भारतीय होते हुए भी विदेश में बस जाते हैं। वे विदेश में क्या करते हैं, ये हमारे लिए महत्वपूर्ण नहीं होता। और उन मां-बाप की तो बांछे ही खिल जाती हैं जिन्हें अपनी बेटियों के लिए ऐसे एनआरआई वर मिल जाते हैं। ये एनआरआई वर शादी के मौसम में दस पंद्रह दिन की छुट्टी लेकर अपने देश, देशी दुल्हन की तलाश में आते हैं। ये लड़की के मां-बाप को अपने बारे में ज्यादा जानकारी इकट्ठा करने का वक्त नहीं देते। ये तुरत-फुरत शादी रचाते हैं और कभी-कभी दुल्हन को साथ लेकर और कभी जल्दी बुलाने का वायदा कर विदेश वापस चले जाते है।

नसरीन का विवाह भी जो हमारी बहुत अच्छी मित्र है एक एनआरआई के साथ हुआ था। लड़का देखने में सुदंर था और ऐसा बताया जा रहा था कि कनाडा में वह किसी कंपनी में ऊँचे पद पर कार्य करता है। हमारी मित्र के मां बाप के लिए अपने भावी दामाद के बारे में इतनी जानकारी पर्याप्त थी। मैंने एक दो बार दबी जुबान से कहा भी विदेश का मामला है, इतनी हड़बड़ी में काम मत करो। पर आदिल ने पूरे परिवार को अपने मोह-पाश में ऐसा बांध लिया था कि हर आदमी उसकी हर बात पर विश्वास कर रहा था यहां तक की नसरीन को भी उससे कुछ पूछना उसकी तौहीन करने जैसा लग रहा था। मैं खामोश हो गयी।

नसरीन ने अपनी शादी की शॉपिंग बांद्रा के बड़े शॉपिंग मॉल में की। हर अवसर के लिए नवीनतम फैशन के कपड़े खरीदे। यहां तक की आदिल के कहने पर उसने अपना अच्छा खासा जॉब भी छोड़ दिया। शादी खूब धूमधाम से हुई। आदिल ने भी अपनी दुल्हन को खूब सारे जेवर दिए। नसरीन ने अपना हनीमून शिमला की वादियों में मनाया। परिवार का हर सदस्य खुश था।

नसरीन को जल्द बुलाने का वायदा करके आदिल कनाडा लौट गया। शुरू-शुरू में रोज ही फोन आते, जिनमें प्यार भरी बातों के साथ जल्द बुलाने का वायदा होता। फिर धीरे-धीरे फोन की संख्या कम होती गई। नसरीन जब भी फोन करती, लाइन ज्यादातर व्यस्त होती या जब कभी आदिल फोन पर मिल भी जाता, तो वह फोन पर नसरीन को बुरी-बुरी गालियां देने लगता और नसरीन घबरा कर फोन कट कर देती। आदिल बदल चुका था, उसे नसरीन से जो कुछ चाहिए था उसे मिल चुका था। अब नसरीन में उसकी दिलचस्पी नहीं थी। उसका व्यवहार बद से बदतर होता जा रहा था। वह उससे छुटकारा पाना चाहता था। आदिल के इस व्यवहार ने नसरीन के चेहरे की खुशी छीन ली। अब वह अक्सर उदास रहती वह अपने को छला हुआ महसूस कर रही थी। घर वाले भी आदिल के इस रवैये को नहीं समझ पा रहे थे कि आखिर वह चाहता क्या है?

आखिरकार घर के सब सदस्यों ने मिल कर यह फैसला किया उनमें से किसी एक को आदिल की सच्चाई जानने के लिए कनाडा जाना होगा। बच्ची की जिंदगी का सवाल था। नसरीन के मामा और मामी कनाडा गए। वहां पहुंचने पर उन्हें आदिल के बारे में जो जानकारियां मिलीं, उससे उनके पैरों तले की जमीन ही खिसक गई। वह कहीं कोई काम नहीं करता था। वह एक नंबर का आवारा था। इससे पहले भी दो लड़कियों को अपने जाल में फंसा कर उनकी जिंदगी बरबाद कर चुका था। आजकल वह कहां था और क्या कर रहा था किसी को भी ठीक-ठीक नहीं मालूम था।
काफी खोजबीन के बाद आदिल से तो नहीं, हां, उसकी मां से जरूर उनकी मुलाकात हुई। बातचीत से साफ लग रहा था कि वे आदिल के फैलाए इस गोरखधंधे में पूरी तरह शामिल हैं लेकिन रिश्तेदारों में हो रही अपनी बदनामी से थोड़ा घबराई हुई भी है। उन्होंने कहा आदिल बहुत गुस्सैल स्वभाव का है, पर चिंता मत करिए, मैं खुद आकर अपनी बहू को विदा करा कर ले जाऊंगी। सब कुछ ठीक हो जाएगा। मैं खुद आदिल को समझाऊंगी।
मामा-मामी ने उनकी बात सुनी और चुपचाप भारत लौट आए। घऱ पर उन्होंने सब कुछ बताते हुए आदिल की मां का प्रस्ताव सबके सामने रख दिया। लेकिन नसरीन ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया। उसने साफ लफ्ज़ों में कहा कि उसे आदिल से तलाक चाहिए। वह कनाडा नहीं जाना चाहती।

काफी उठा-पटक के बाद नसरीन को आदिल से तलाक मिल गया। नसरीन फिर से नौकरी करने लगी है। बाहरी तौर ज़िंदगी सामान्य हो गई है, लेकिन इस हादसे ने नसरीन को अंदर तक तोड़ कर रख दिया है। आज उसे शादी के नाम से भी चिढ़ हो गई है।

शादी का मौसम फिर आ गया है। एनआरआई दूल्हे भी घोड़ी चढ़ने को तैयार हैं, पर क्या आप इस घटना को पढ़ने के बाद भी चट मंगनी पट ब्याह करने को तैयार हैं?

-प्रतिभा वाजपेयी

9 comments:

  1. रोज ऐसी घटनाएं होती हैं और होती ही रहेगी क्युकी शादी के लिये लालियत लड़कियों की कोई कमी नहीं हैं । नसरीन जैसी हजारो हैं । एक अनपढ़ लड़की तो ये कह भी सकती हैं की " मै क्या करती " जब पढी लिखी लडकियां ऐसे फैसले करती है तो वो शादी नहीं "नाप तौल " करके एक जुआ खेलती हैं । अब जुये मे जीत उसकी ही होती हैं जिसका पासा सही पड़ता हैं । शादी की संस्था को इतना सस्ता बना दिया गया हैं लेन देन , दान दहेज इत्यादि ने की वो केवल और केवल एक जुआ हो गया हैं । गलती अन आर आई दुल्हों की नहीं हैं गलती हैं लड़कियों की जो शादी को एक नियति की तरह लेती हैं और अपने लिये बेस्ट पति की खोज मे रहती हैं । बहुत सी तो इसलिये भी विदेशी पति ताकि बाहर जा कर अपना भी कैरियर बना सके ।
    आज के ज़माने मे बहुत से लोग बेवकूफ बनाना चाहते हैं तो कोई क्या कर सकता हैं । जानकारी के लिये बता दूँ की इंडियन एम्बसी बहुत मद्दत करती हैं अगर आप उनसे सही तरह से जान करी उपलब्ध कराने के लिये कहें ।

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  2. ऐसी घटनाये अक्सर सुनने में आती है इसीलिए हमारे समाज में खानदान और जान पहचान के के रिश्तो को ज्यादा महत्व दिया जाता है |आपको जानकर आश्चर्य हो सकता है कुछ समाजो में जिसमे हमारे परिवार की कई ऐसी पढ़ी लिखी लडकिया है जिन्होंने विदेशो में नोकरी करने वाले लडको से vivah karne se साफ इंकार कर दिया है ,वे अपने maa बाप परिवार और अपनी नौकरी छोड़कर दूर जाना नही चाहती |

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  3. यह समस्या बहुत दिनों से हमारे यहाँ बनी हुई है. ऐसे मामलों में लड़की को ही सख़्त कदम उठाने चाहिये और लड़के के बारे में पूरी जानकारी ले लेनी चाहिये. ख़ैर इस कहानी में मैं नसरीन के साहस की तारीफ़ करुँगी कि उसने सच्चाई जानने के बाद ऐसे इन्सान के साथ रहने से मना कर दिया.

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  4. एन आर आई दुल्हे को लालायित कन्याओं के लिए अच्छा सबक ....!!

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  6. एक नसरीन ही क्यों? आज ५० प्रतिशत एन आर आई दुल्हे विश्वसनीय नहीं है. उनकी सारी हकीकत पता नहीं लग पाती है. अगर आपके उसके बारे में पता लगने के लिए पर्याप्त साधन हैं तो आप रिस्क ले सकती हैं.
    मैं खुद ऐसी कितनी लड़कियों को जानती हूँ, जिनको अगर वहाँ ले भी गए तो रखा सिर्फ एक नौकरानी बना कर और वहाँ से लौटना भी उनके लिए संभव नहीं हो पता है.
    शायद अब लड़कियों को भी इस बारे में अधिक जागरूकता आ गयी होगी, अगर नहीं तो सोच समझ कर ही रिश्ते को स्वीकार करना चाहिए. वैसे कहीं भी रिश्ता देखें लड़के के बारे में पता लगाना बहुत जरूरी होता है. खासतौर पर वहाँ जहाँ वह नौकरी कर रहा है. आखिर बेटी के भविष्य का सवाल होता है.

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  7. बहुत ही सही बात उठाई गयी है | कुछ लोगों के लिए NRI दुल्हे का इतना महत्वा होता है की वो सिर्फ NRI देख के ही शादी के लिए तैयार हो जाते और ज्यादा छान बिन नहीं करते , इस लापरवाही से बहुत ही ज्यादा नुक्सान होता है | लड़किओं को भी इस बारे में जागरूक होना चाहिए |
    मै सोभना जी की बातों से सहमत उन की अब लोग इस बारे में जागरूक हो रहे है |

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  8. बहुत बढिया सार्थक आलेख.

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