November 28, 2009

१९७७ - १९७८

१९७७
आल इंडिया इंस्टिट्यूट के डॉ क्वाटर्स
डॉ पाठक का निर्जीव शरीर
कारण दिल का दौरा
उम्र ५६ साल
cardiolojist

हाथ मे फ़ोन का चोगा
एक पेपर स्लिप
मुझे लगता हैं दिल का दौरा पडा हैं हो सकता हैं ना बचूं कोई जिम्मेदार नहीं हैं

१ महीने बाद
श्री डॉ पाठक ने अपने से ३० वर्ष छोटी लड़की से दूसरा विवाह किया । श्री डॉ पाठक ने इस लड़की का इलाज ६ महीने लिया था । श्री डॉ पाठक की बेटी { पहली पत्नी से } ने उसी दिन अपनी पहली संतान को जनम दिया और दूसरी श्रीमति पाठक , पहली श्रीमती पाठक के गहने पहन कर उस से मिलने गयी ।
८ महीने बाद श्रीमती पाठक ने जुड़वाँ बच्चो को जनम दिया

१९७८
श्री पाठक का बड़ा बेटा और बेटी उनसे विमुख हैं कोई पारिवारिक रिश्ता नहीं

लोग आज भी श्रीमती डॉ पाठक की ह्रदय गति रुकने के कारण के बारे मे बात करते हैं

4 comments:

  1. श्रीमती पाठक द्वितीय महिलाओं के नाम पर दाग हैं. क्या उन्हें खुद ऐसे हत्यारे के साथ रहने तैयार होना चाहिए था, जिसने उसके लिए अपने पहले जीवनसाथी की हत्या कर दी. पाठक जैसे नीच विकृत लोग इस तरह की हरकत करते हैं, पर महिलाऐं ऐसे लोगों का साथ छोड़ने तैयार क्यों नहीं होती? ऐसे आदमी के साथ रहना भी तो खुद के साथ साथ सारी महिला शक्ति का भी अपमान है.

    हां अगर 'श्रीमती पाठक द्वितीय' अनपढ़ या कुछ मंदबुद्धि थीं तो उनकी कोई गलती नहीं.

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    इनके केस का क्या हुआ, आज ये लोग कहाँ हैं? क्या सच्चाई सामने आ पाई?

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  2. सचाई उतनी ही हैं जितनी आप के सामने है
    और यहाँ कोई हत्या नहीं हुई थी मैसिव हार्ट अटैक था
    बाकि सब वही हैं जो लिखा हैं पर जो दिखता हैं क्या हमेशा सच होता हैं श्रीमती पाठक द्वितीयएक नोर्मल सामान्य रंग रूप की और औसत पढी लिखी स्त्री थी , जिनका ६ महीने श्री पाठक ने बीमारी का इलाज किया था
    सच्चाई सब के सामने ही होती हैं

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  3. इस शादी में भी पुरुष की कोई चल थी महिला को फंसाने की, दूसरी महिला (30 वर्ष छोटी और शायद वो भी मेडिकल में?) पढ़ी-लिखी तो थी ही?

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  4. आप जो देखना चाहे वो देख सकते हैं मैने केवल तथ्य उपलब्ध किये हैं और उन्ही तत्यों मे दर्ज हैं की दूसरी महिला के मरीज थी श्री डॉ पाठक की

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