ऋचा और शेखर की शादी धूमधाम से हुई|दो साल से दोनों एक ही कम्पनी में साथ काम कर रहे थे ,दोनों की जाति में भी काफी समानता थी तो घरवालो को कोई आपति नही थी शादी में | ,दादा दादी, नाना नानी ,ताऊ ताई ,चाचा चाची ,मामा मामी, मोसा मोसी ,ढेर सारे अंकल अंटी दूर दूर से शादी में सम्मिलित होने आए खूब आशीर्वाद दिए बधाई दी उपहार दिए |
दो साल सब कुछ अच्छा चला घर में ऋचा की साँस ऋचा की नन्द और शेखर कुल चार प्राणी | ऋचा की तनखा घर की किश्ते भरने में दी जाती रही ओर नन्द की पढाई में खर्च किया जाता रहा नौकरी के आलावा घर के kसारे काम ऋचा ने खुशी खुशी अपनी जिम्मेवारी पर ले लिए मसलन बिल भरना ओर घर के जो भी mentens हो |क्योकि ये सब काम करने में उनके लडके शेखर को धुप ओर धूल की एलर्जी है ओर वो बहुत नाजुक है बीमार हो जाएगा ?धीरे शेखर ने सारी जिम्मेवारी अपनी पत्नी पर डाल दी|ख़ुद शाम को आना दोस्तों के साथ तफरीह करना |माँ के परिवार मामा मोसी के साथ समय बिताना यही दिनचर्या हो गई |ऋचा ओर शेखर की दूरियां बढती गई |आज ऋचा की शादी को पॉँच साल हो गये पिछले तीन सालो में उसने बहुत कोशिश की शेखर को समझने की उसके साथ अपने वैवाहिक जीवन को बचाने की | लेकिन शेखर के परिवार ने और शेखर ख़ुद ने उसे उसे घर में काम वाली जैसा समझकर व्यवहार किया घर के सारे महत्वपूर्ण निर्णय माँ बेटे लेते ऋचा को दरकिनार कर देते |रिचा बीमार रहने लगी उसे घर में सहानुभूति के दो बोल भी न मिले जिसके लिए उसने इन बातो की भी परवाह नही की वही उसको अपनी सहधर्मिणी नही बना सका |तनाव में आज वो थायराइड से पीड़ित हो गई है और अब वो इस कारण से पिछले ६ महीनो से अपने माँ बाप के पास रह रही है |शेखर ने उसे एक बार कहा -बचपना और नाटक छोड़ दे और घर आ जा |रिचा नही जाना चाहती उस घर में |
अब रिचा क्याकरे?
शोभना जी,
ReplyDeleteबहुत ही जीवंत और ज्वलंत आलेख...
ऐसी कई ऋचाएं मिलेंगी आपको...अपने आस-पास...और कभी-कभी अपने अन्दर...
दरअसल हम खुद ही अपने पाँव पर कुल्हाडी मार लेती हैं..अच्छी बहू बनने की इतनी फिल्में देख ली हैं सबने कि बस उसी को अपने जीवन में उतार लेतीं हैं...होश तब आता है जब पानी सर के ऊपर से चला जाता है...बहुत देर हो चुकी होती है...और रिश्ते टूटने की कगार पर आ चुके होते हैं...लड़कियों को खुद अपने सामर्थ्य की हद्द तय करनी होगी...और वो भी शुरू में ही...तभी कुछ होगा.....'नहीं' बोलना सीखना होगा...बस यही एकमात्र उपाय है...और कुछ नहीं..
अच्छा लगा पढ़ कर...
अदा की टिपण्णी बहुत कुछ कह गयी ...मेरी करीबी रिश्तेदार है ...लायक बहु , समर्पित पत्नी, लाडली भाभी बन्ने के चक्कर में अपने स्वास्थ्य का सत्यानाश कर चुकी है ...मगर अब जब उनके सेवा भाव को कोई भाव नहीं मिल रहा तो दिन रात यही रोना ...मैंने सबके लिए इतना किया और आज ये हो रहा है ...
ReplyDeleteसबके लिए कीजिये हुजूर ..मगर कुछ ख्याल तो अपना भी रखना ही होगा ...सही समय पर हद से अधिक लाभ लेने वालों को ना कहना ही होगा ...!!
अब स्त्री को अपनी सामाजिक सुरक्षा के लिये कुछ न कुछ "कीमत " तो देनी ही होगी , दीदी । काम काजी महिलाए वही कीमत देती हैं और बहुत से घरो मे या भी सुना ही जाता हैं " हम तो अपनी बहू के काम करने से कोई आपत्ति नहीं हैं , जो चाहे करे " , यानी बहू का काम करना एक आपत्ति करने की बात के दायरे मे ही आता हैं
ReplyDeleteपहले सारी जिम्मेदारी ले गलत किया जैसा दिखाया वैसा सबने समझा अब जब भ्रम तोडना है तो मां बाप के पास है किसी को इतना चाहना एक कमजोरी है अब अपने बारे में सही ढंग से सोचे।
ReplyDeleteघरेलू हिंसा पर पढे ,आखिर कब तक संहूगी....
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