October 11, 2009

"एकल नारी शक्ति संस्थान "

भारत मे "सिंगल वूमन" की संख्या आज ३६ मिलियन हैं । ये वो नारियां हैं कानून तलक शुद्दा या विधवा हैं या छोड़ी हुई हैं । इन सभी को अपनी जिंदगी मे वो अधिकार नहीं हैं जो मूलभूत अधिकार माने जाते है । इनका राशन कार्ड , बी पी अल कार्ड या जॉब कार्ड नहीं बनता हैं अगर वो किसी भी रिश्तेदार के यहाँ रहती है । इसके आलवा उनको कोई भी स्वास्थ्य संभी सुविधाए भी अधिकार से नहीं उपलब्ध होती हैं । सम्पत्ति मे अधिकार भी बहुत कठिन हैं उनके लिये ।

वूमन एक्टिविस्ट ये मानते हैं की ३६ मिलियन संख्या केवल एक संख्या हैं क्युकी इसमे अविवाहित और गैर कानूनी रूप से पति या पिता के घर से अलग की गयी नारियों की गिनती नहीं की गयी हैं । ३६ मिलियन की आबादी कनाडा जैसे देश की आबादी हैं और आज भी हमारे देश मे इन महिला के लिये कानून और सारकार मे कोई बदलाव और जाग्रति नहीं हैं । सारकार की कोई भी पॉलिसी इनके लिये अलग से नहीं बनी हैं जिसमे इनके मूल भुत अधिकारों का ध्यान रखा गया हो ।


"एकल नारी शक्ति संस्थान " की स्थापना राजस्थान मे हो चुकी हैं और इस संतान ने भीर , गुजरात , हिमाचल प्रदेश और झारखंड मे सिंगल वूमन के लिये अलग राशन कार्ड की सुविधा को शुरू करवाया हैं ।

इस संस्थान की एक रैली नयी दिल्ली मे भी हुई हैं और २४००० हस्ताक्षर के साथ अपनी मांगो का एक मेमोरेंदम
प्रधान मंत्री को दिया गया हैं । इसमे प्रोपटी मे अधिकार , राशन कार्ड , जॉब कार्ड के अलावा और भी बहुत से अधिकारों के बारे मे बात की गयी हैं ।

सिंगल महिला होना कोई अजूबा नहीं हैं , कभी ये मज़बूरी थी और कभी ये अपनी चोइस भी हैं और समाज को अब इनकी तरफ़ ध्यान भी देना होगा ।

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3 comments:

  1. नारी हमेशा शक्तिशाली होती है चाहे वह अकेली हो या परिवार में उसकी मजबूरी उसकी लाचारी केवल पुरूषों की देन है वह उसे कभी पिता, भाई,प्रेमी,दोस्त व बेटा बन उसे ताकतवर या कमजोर बना सकता है.....

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  2. swagat hai is sangharsh ka .aur sunita jee se poorn sahamat.

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