May 29, 2009

आर. अनुराधा को पढिये और जीना सीखिये

आर. अनुराधा के इन्द्रधनुष पर आज के कविता पोस्ट की गयी हैं कविता का सन्दर्भ आर. अनुराधा के शब्दों मे

पिछले ग्यारह साल से हर दिन मेरे लिए कुछ आशंकाएं लिए आता है। मई 1998 में पहली कार मुझे कैंसर होने का पता चला। पूरा इलाज कोई 11 महीने चला। इसके बाद लगातार फॉलो-अप, चेक-अप, ढेरों तरह की जांचें, तय समयों पर और कई बार बिना तय समयों पर भी, जब भी कैंसर के लौट आने की जरा भी आशंका हुई। उसके बाद सारे एहतियात के बाद भी मार्च 2005 में कैंसर का दोबारा उभरना। इन सबके बीच इन छोटी-छोटी मोहलतों की हसरत बनी हुई है, जिनमें से कुछेक पूरी हुईं भी, लेकिन उस इत्मीनान के साथ नहीं, जो मैं दिल से चाहती हूं। इसलिए जिंदगी से इजाजत मांगने का मन है कि क्या कभी हो पाएगा। और मुझे उम्मीद है कि होगा।
मै आर. अनुराधा को निरंतर पढ़ती हूँ क्युकी एक कैंसर से सम्बंधित हर जानकारी मिल जाती हैं जो कहीं ना कहीं किस के काम सकती हैं और दूसरा जिन्दगी जीने का सलीका भी जाता हैं
कविता यहाँ हैं आप जरुर पढे और कमेन्ट भी वही दे इस पोस्ट पर कमेन्ट देने की सुविधा नहीं हैं ताकि उस कविता पर आया हर कमेन्ट इन्द्रधनुष के सातो रंगों मे रंगा रहे