January 22, 2009

आप के विचारों का इंतज़ार हैं ।

हर जगह आप और हम बस यही पढ़ते और लिखते हैं की
नारी शोषण का शिकार हैं , नारी को बराबरी का दर्जा नहीं दिया गया हैं ।
आज भी बहुतायत मे नारी को शिक्षित ना करने की प्रथा हैं ।
नारी को शादी के लिये बाध्य किया जाता हैं । इत्यादि इत्यादि ।
काफी समय से ब्लॉग पर भी इसी प्रकार की चर्चा होती आ रही हैं लेकिन अभी तक कोई भी सार्थक संवाद नहीं शुरू हुआ हैं की आख़िर हम सब किस प्रकार का बदलाव चाहते हैं और इस बदलाव को लाने के लिये हम क्या करते हैं और क्या कर सकते हैं । क्या कोई भी ये सुझाव देना चाहेगा की आख़िर किस प्रकार से नारी की स्थिति मे बदलाव आ सकता हैं और वो बदलाव होगा क्या ????
आज सार्थक संवाद हो की क्या सच मे नारी अपनी स्थिति मे बदलाव चाहती हैं या हम केवल हम मुद्दे पर एक बौधिक बहस ही करना जानते हैं

व्यक्तिगत रूप से मेरा मानना हैं की
बराबरी की बात करना मतलब हर वो काम उतनी सक्षमता से करना जैसे दूसरा करता हैं ।
बराबरी की बात यानी संरक्षण को भूल कर अपने आप को स्थापित करना ।
बराबरी की बात यानी कोई लाइन नहीं { कोई आरक्षण नहीं }
बराबरी की बात का मतलब चुनना जो ख़ुद को अच्छा लगे और अपने उस चुनाव से सम्बंधित हर लड़ाई को लड़ने के लिये तैयार रहना । चुनाव का अधिकार सबके पास होता हैं पर उसको अमल नहीं किया जाता जिसकी सब से साधारण वजह हैं वो डर की "लोग क्या कहेगे "


आप के विचारों का इंतज़ार हैं ।

5 comments:

  1. मुझे लगता है कि नारी को हर उस क्षेत्र में अपने आपको स्थापित करना चाहिए जहान नारी का अभाव है या कमी है ....चाहे वो राजनीति हो, प्रशासनिक सेवा में, डॉक्टर, इंजिनियर, व्यवसाय, ....इत्यादि ...सभी क्षेत्रों में नारी को आगे आना चाहिए ...खासकर राजनीति ......अपने हक़ के लिए लडाई लड़नी चाहिए जब तक कि जीत हासिल न हो जाए ....बाधाएं तो आएँगी लेकिन उन से डर कर घबरा कर रुके ना ..... नारी अपने बच्चों खासकर लड़की को पूरी आज़ादी से जीना सिखाये ...उसे हर वो बात समझाए ...सिखाये जो उसके लिए जरूरी है .... और इन सबके लिए जरूरी है नारी का शिक्षित होना ....इसकी शुरुआत शिक्षा से होनी चाहिए .....अगर आगे बढ़ना ही है तो तमाम रुकावटों और कारणों को पीछे छोड़ते हुए नारी को जीत हासिल करनी ही होगी ...चाहे इसके लिए नारी को कितनी ही मेहनत क्यों न करनी पड़े .....अपने आपको तो साबित करना ही पड़ेगा तभी नारी अपना मुकाम हासिल कर सकेगी

    अनिल कान्त
    मेरा अपना जहान

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  2. अनिल जी अपने विचार इतने स्वाभाविक तरीके से रखने के लिये थैंक्स

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  3. स्त्री और पुरूष, दोनो ही एक दुसरे से न कम है न ज्यादा. बस शारीरिक व मानसिक रूप से भिन्न है. यह बात दोनो ही सहजता से स्वीकार ले तो समानता आ जाएगी.

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  4. naari har us adhikar ki hakdaar hai jo purush ke paas hain lekin nari ki garima ko banaaye rakhna bhi jaroori hai kyon ki naari hi ek svsth aur sbhya samaaj kaa nirmaan kar sakti hai

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