जयंती देवी पूर्णिया में महिला सशक्तिकरण की अनूठी मिसाल पेश कर रही है। अपने स्टील के कारखाना में वे न सिर्फ अलमारी को पेन्टिंग करने का काम करती है बल्कि गेट ग्रील को स्वयं वेल्डिंग भी करती है।
पूर्णिया के फार स्टार सिनेमा हाल के बगल वाली गोकुल आश्रम सड़क। कुछ दूर चलने के बाद सड़क के दाहिने ओर अलमारी से पटे जयंती स्टील वर्क्स में एक महिला कभी वेल्डिंग तो कभी अलमारी की रंगाई करती नजर आती है।
1987 में इंटर तक की पढ़ाई करने के बाद अपने परिवार में जयंती देवी व्यस्त हो गयी। उनके पति बस स्टैड में किरानी का काम करते है। जयंती बताती है कि अपने किसी बच्चे को इस काम में नहीं लगाऊंगी। वे पढ़ लिखकर अपने लिये खुद अच्छा रास्ता ढूंढ लेंगे। पर वे यह जरूर कहती है कि हमारे काम में पति हमेशा सहयोग करते है।
आप खुद से वेल्डिंग और अलमारी पेन्टिंग का काम क्यों करती है? वे बताती है कि स्टाफ को काम करते देख हमने सारा काम सीख लिया। पार्टी का आर्डर समय पर पूरा कर लिया जाये इसको ले स्टाफ गंभीर नहीं रहते थे। स्टाफ कभी आता कभी नहीं आता। इसलिये मैंने खुद यह काम करना शुरू कर दिया। अब मैं कारखाना के स्टाफ पर निर्भर नहीं हूं। ऐसा नहीं कि यह काम केवल पुरुष ही कर सकते है। आज के दौर में महिला सभी काम कर सकती है, केवल साहस व प्रोत्साहन की जरूरत है।
हाल ही में वकालत की पढ़ाई करने के लिये ला कालेज में दाखिला करा चुकी जयंती देवी कहती है कि हमारे यहां कोई महिला अगर काम सीखने की नीयत से आये तो उसे मैं काम सीखाने को भी तैयार हूं। जयंती स्वयं भारी हथौड़ा चलाकर चदरा और लोहे को काटने का भी काम करती है। इनके द्वारा प्रेशर मशीन से रंगाई किया हुआ अलमारी देखने में मानों किसी स्तरीय कंपनी जैसा ही मालूम होता है। कहानी यहीं खत्म नहीं हो जाती। मरीजों को सलाईन और इंजेक्शन लगाने के अलावा महिलाओं को प्रसव कराने में भी सक्षम है यह महिला।
पोस्ट आभार अनुभव
जयंती देवी जैसी महिलायें ही इस आन्दोलन को गांव और कस्बों तक ले जाती हैं.. और वास्तव में सशक्तिकरण में योगदान देती है..
ReplyDeleteसलाम उनके जज्बे को!!
पुरुष के हर काम को नारी अंजाम दे सकती है। इस के अलावा वह जननी भी है। इतना पढ़ लिख कर भी जयंती देवी यह कार्य कर रही है और अपने पति के काम में हाथ बंटा रही है, इसे तो वंदनीय एवं स्तुतीय कहा जाएगा ही।
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