November 11, 2008

सतरंगी चर्चा के बाद शायद हो पचरंगी खट्टी-मीठी अचारी

मिला हमें जब नेह निमंत्रण,
जा पहुँचे हम दिल्ली हॉट,
टिकिट कटा भागे भीतर को,
जहाँ सब देख रहे थे बाट।

सबने बोला हल्लो हाय
हाथ मिले और गले लगाय,
बैठा अपने पास हमें फ़िर
शुरू किया अगला अध्याय।

जान-पहचान हुई सबकी
नये पुराने सब फ़रमायें
कौन लगा किसको कैसा
बिना डरे सच-सच बतलायें।

प्रेम ही सत्य है प्रेम करो
मीनाक्षी जी ने समझाया
उठो नारी के सम्मान में सब
सुजाता जी ने फ़रमाया।

रन्जू जी कविता के जैसे
महक रही थी महफ़िल में
अनुराधा भी दिखा रही थी
रंग-बिरंगे जीवन के सपने।

मनविन्दर जी आई मेरठ से
सबका स्नेह बतायें
चेहरे से था रोब झलकता
भीतर-भीतर मुस्कायें।

रचना जी ने कहा सभी से
अब सक्रिय हो जायें
योगदान दें सभी लेखन में
अपना फ़र्ज निभायें।

काव्य की गंगा में बही जब
सुजाता जी की मीठी बोली
छेड़ा तार मीनाक्षी जी ने
गीतों में मिश्री सी घोली।

रन्जू जी की प्यारी कविता
सुनकर रचना जी भी जागी
सपने तो सपने होते है
झट पुरानी कविता दागी।

छेड़ हृदय की सरगम तब
मन पखेरू फ़िर उड़ चला
हुई सभा सम्पन्न और ये
सौहार्द मिलन लगा बहुत भला।

आधी मीटिंग ही कर पाये थे
सो चर्चा रही अधूरी हमारी
सतरंगी चर्चा के बाद शायद हो
पचरंगी खट्टी-मीठी अचारी।


सुनीता शानू

9 comments:

  1. हम से मिल कर आप को जो खुशी हुई
    आपने शब्दों मे बयाँ की
    आप से मिल कर हमे जो खुशी हुई
    शब्द ही नहीं हैं कैसे बयां करे

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  2. वाह! क्या मिलन को कविता का रूप दिया
    शामिल उसमें आपने सभी को किया
    हम तो बिन जाए ही उसमें शामिल हो गए
    मन कि आँखों से ही सबसे मिल गए.

    इस वर्णन के लिए शुक्रिया....

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  3. " wow very beautifully drafted, enjoyed reading it"

    Regards

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  4. रचना जी, रेखा जी, सीमा जी आप सभी का शुक्रिया। रेखा जी, सीमा जी अगर वक्त ने साथ दिया तो ऎसी मुलाकात होती रहेंगी...हो सकता है आप भी उस पल हमारे साथ हों...:)

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  5. aap sabhee ko baDHAIYA
    MILANE OR IS REPORT KE LIE
    RACHANA JI KO
    THANKS

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  6. इन्द्रधनुषी काव्य में सुन्दर भाव प्रभावशाली भी और खूबसूरत भी...

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  7. इन्द्रधनुषी काव्य में सुन्दर भाव प्रभावशाली भी और खूबसूरत भी...

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  8. आप ने तो इस मिलन को इन्द्रधनुश के सतरँग़ी रंगोँ सॆ भर दिया है. दीपा

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