हाउस वाइफ क्यों, हाउस मेकर क्यों नहीं। हमारे शब्दकोष में बहुत से ऐसे शब्द हैं जो लैंगिक भेदभाव को बढ़ावा देते हैं। गृहणी यानी हाउसवाइफ शब्द स्त्री की मेहनत, उसकी घर-समाज के प्रति उत्पादकता को नहीं दर्शा पाता और उसकी दिनरात की मेहनत का गृहणी शब्द में कोई मायना नहीं है। अगर हाउस वाइफ की जगह हाउस मेकर शब्द का इस्तेमाल करें तो ये घर के अंदर औरत के दिन-रात की मेहनत को ज्यादा बेहतर तरीके से बता पाता है। एक रिसर्च के बारे में पढ़ा था कि कुछ बच्चों को एक वैज्ञानिक की तस्वीर बनाने का काम दिया गया। ज्यादातर बच्चों ने एक अधेड़ व्यक्ति का चित्र बनाया जिसके हाथ में टेस्ट ट्यूब थी,किसी भी बच्चे के दिमाग़ में वैज्ञानिक के नाम पर किसी औरत का चित्र नहीं उभरा। स्कूल की किताबों में भी सीता सिलाई करती है और राम स्कूल जाता है, जैसे उदाहरण होते हैं। बचपन से ही gender dicrimination का बीज दिमाग़ में बो दिया जाता है।
लंदन में ऐसे शब्दों को पॉलीटिकली करेक्ट करने की मुहिम शुरू हुई है। एक समाचार एजेंसी की ये ख़बर मैंने पढ़ी।
क्लीनिंग लेडी, टेन मैन टीम, वन मैन शो जैसे शब्दों की जगह क्लीनर, टेन स्ट्रॉंग टीम, वन परसन शो जैसे टर्म का इस्तेमाल किया जा सकता है। हमारे यहां पत्नी को अर्धांगिनी तो कहते हैं लेकिन वो पति का आधा हिस्सा बन जाती है, अगर पति-पत्नी को पार्टनर शब्द से रिप्लेस कर दिया जाए तो बराबरी का भाव आता है।
शब्द से भाव उपजते हैं, बनते हैं-बिगड़ते हैं, शब्दों को सुधार कर भाव को भी सुधार जा सकता है। वन मैन शो होता है, वन वुमन शो नहीं। वन परसन शो ज्यादा बेहतर अभिव्यक्ति देता है। अपने शब्दकोष में हम भी कुछ सुधार कर सकते हैं।
bahut accha likha aapne
ReplyDeleteregards
yae sudhar kafii jagah ho rahaa haen
ReplyDeleteexample
BLOGGER
DESIGNER
ACTOR
TEACHER
samasyaa itni gambhir is liyae bhi ho gayee haen kyuki ham
har shabd kaa hindi shabd khojtey haen
ab blogger ko bahut log bloggerani likhnaa chahtey haen
kuch log chitahaeree keh rahee haen
yae sab kewal aur kewal mansiksaata haen
haemy shabod kae saath saath mansiktaa ko bhi badlna hoga aur aap ne is vishy par likha acchaa kiyaa kyuki baar baar kehnae sae hee fark padtaa hean
bilkul sehmat hai aapse
ReplyDeleteगीतिका, वैसे तो रचना ने जवाब दे दिया। मैं ये कहूंगी कि शब्दों का बहुत असर पड़ता है। अंग्रेजी में तो इतनी दिक्कत नहीं है पर हिंदी में है। मिसाल के तौर पर प्रतिभा पाटिल राष्ट्रपति हैं। वन मैन शो की जगह वन परसन शो क्या बेहतर टर्म नहीं है। कहीं अनजाने में ही ये शब्द हमारे ज़ेहन में तस्वीर खींचते हैं। इन्हें कुछ बदलने की जरूरत तो है। अब अंग्रेजी में तो प्रिंसीपल ही होते हैं, हिंदी में प्रधानचार्य लिखें या प्रधानाचार्या इस पर विवाद हो जाता है, फिर चिकित्सक को चिकित्सिका लिखना कितना अजीब है, पर डॉक्टर में ये दिक्कत नहीं आती। फिर शब्द के साथ-साथ उदाहरणों को बदलने की भी जरूरत है।
ReplyDeleteशब्दों में बहुत ताकत होती है. अक्षर को ब्रह्म का एक रूप कहा गया है और अक्षर मिल कर शब्द बनते हैं. आप नए शब्दों का गठन कीजिए और उन्हें अपने ब्लाग्स में प्रयोग करना शुरू करिए. मैं आपका अनुसरण करूंगा.
ReplyDeletekahte hain "One who rules the word ,rules the world" shabd par jiska raj hota hai usi ka sansar par raj hota hai.....is purush pradhan samaj me stree ko nichla darza dilwane mein purushon ne apni lekhni ka hi sabse adhik prayog kiya hai....
ReplyDeleteab mahila bloggers ka vakht hai....is mayajaal ko tod kar naari ki nayi chhavi banane ka...
kahte hain "One who rules the word ,rules the world" shabd par jiska raj hota hai usi ka sansar par raj hota hai.....is purush pradhan samaj me stree ko nichla darza dilwane mein purushon ne apni lekhni ka hi sabse adhik prayog kiya hai....
ReplyDeleteab mahila bloggers ka vakht hai....is mayajaal ko tod kar naari ki nayi chhavi banane ka...
शब्दों में बहुत ताकत होती है
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