September 21, 2008

विचार आमंत्रित हैं ।

क्या आप अपनी बेटी को ये अधिकार दे सकते हैं ताकि वह केवल नारी , स्त्री या महिला बन कर ना रह जाए वरन मनुष्य कहलाए । आगे यहाँ पढे और ये भी बताये की आप और किस किस अधिकार को दे सकते हैं या आप की बेटी को और कौन कौन से अधिकार मिलने चाहिये । विचार आमंत्रित हैं ।

5 comments:

  1. पहले जब इस पोस्ट को पढ़ा था तो उसके अनुसार अपनी राय दी थी. अब जबकि आपने अधिकार देने की बात की है तो इसका बहुत व्यापक क्षेत्र हो जाता है. इसके पीछे मानव समाज की सोच काम करती है. अपनी ही नहीं हमें तो और दूसरी बेटियों के लिए भी अधिकार की लड़ाई लड़नी होगी. वे लोग जो कहते हैं कि बेटों से वंश चलता है उनको ये समझाना होगा कि नेहरू जी का वंश उनका बेटा नहीं चला रहा है. नाम की आकांक्षा लिए बेटों की खातिर बेटियों को मारते लोगों को समझाना होगा कि भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव, आजाद आदि-आदि का नाम हम जिस जोश से लेते हैं उसके पीछे उनके किसी बेटे हा कोई योगदान नहीं है. (ऐसा न हो कि बहुतों को ये भी न मालूम हो कि इन वीरों ने देश की खातिर शादी ही नहीं की थी)
    बेटियों को अधिकार के साथ स्वाभिमान की बात सिखानी होगी. ख़ुद हर काम के लिए सक्षम है ये अधिकारपूर्ण बात बतानी होगी. छोटे भाई का सहारा लेकर बाज़ार, कॉलेज जाने वाली बेटी आज अपने भाइयों को आसमान से तारे तोड़ कर दिखा देगी ये भावना जगानी होगी.
    अंत में एक बात ये कि बेटी के पाहिले उनके माता-पिता को बेटियों के अधिकार बताने होंगे, बेटियों की शक्ति को बताना होगा.

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  2. अच्छा प्रयास है, सफलता की कामना है। ..... विचार / सुझाव फिर कभी !

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  3. आप किस अधिकार की बात कर रहे है -बच्चियों को लगभग सभी अधिकार है ,संपत्ति में ,पढ़ाई लिखाई में , नौकरी में , क्लब में , पार्क में ,पहनने ओड़ने में ,लिवास में ,ड्रेस में ,खाने में ,पीने में ,क्लब में जाकर शराब पीने में ,नाचने में ,कहीं भी वेरोक टोक आने जाने में ,शादी अपनी मर्जी से करने में ,माँ बाप का कहना नहीं मानने में ,उनको आउट डेटेड कहने में -बिल्कुल बेटों की तरह / उनको यह भी अधिकार है की पुलिस में झूंठी शिकायत करके लड़के के माँ बाप ,भाई बहिन और यहाँ तक कि जिस ननद की शादी हो चुकी है और वह दूसरे शहर में रहती है उसका और उसके पति का भी नाम लिखादे / जो ग्रामीण क्षेत्रों में वाकई त्रस्त है ,जो शराबी पतियों से मार खाती रहती है और भी जाने कितने प्रकार के शोषण से त्रस्त है (विचार बहुत ज़्यादा हो जाएगा ) उनकी और किस लेखक का ध्यान जाता है /एयर कंडीशंड रूम में बैठ कर नारियों के अधिकार वावत लेख लिख देना या किसी क्लब में मीटिंग करके चाय नाश्ता करलेना और अखवार में समाचार छपवा देना या किसी पत्रिका में लेख लिख्देना इससे सुधार नहीं हो जायेगा / ये पञ्च बना देने से अधिकार नही मिल जाता सरपंच में महिला का नाम है और पंचायत किसी और के इशारे पर चल रही है जाकर किसी ने जाँच की
    ज्यादा गालिया मुझे न खाना पड़े इसलिए कम ही निवेदन कर रहा हूँ

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  4. बेटियों को हर अधिकार मिलना चाहिए। चाहे कोई भी हो।

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  5. मैं यह मानता हूँ कि भले ही नारी और पुरूष शारीरिक रूप से अलग दिखते हों पर दोनों मनुष्य हैं. दोनों अपने आप में एक व्यक्तित्व हैं. बेटी केवल नारी , स्त्री या महिला नहीं है वरन एक मनुष्य है. इसलिए बेटा और बेटी दोनों समान अधिकारों के अधिकारी हैं. इस विश्वास के अंतर्गत मैं अपनी बेटी को हर वह अधिकार दूँगा जिस से वह केवल नारी , स्त्री या महिला बन कर ना रह जाए वरन मनुष्य कहलाए.

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