August 27, 2008

स्त्री को अभी भी परिवार के सुरक्षित दायरे में ही बांधे रखना बेहतर समझा जाता है।


आज की स्त्री के पास कामयाबी के उच्चतम स्तर को छूने की क्षमता है। उसके पास अनगिनत अवसर हैं लेकिन आज के प्रतियोगिता और चुनौतिपूर्ण कार्यक्षेत्रा में समाहित कर देने के बजाय स्त्री को अभी भी परिवार के सुरक्षित दायरे में ही बांधे रखना बेहतर समझा जाता है। उसे खुल कर खिल कर उड़ने का मौका नहीं दिया जाता है। ऐसा करने से उसकी प्रतिभा कहीं न कहीं प्रतिभावित हो रही है लेकिन कोई इस ओर ध्यान नहीं देता है। कहीं सास को यह डर है कि उसकी बहू बेटे से आगे न निकल जाये तो कहीं पति को भी अपने वजूद का भय सताने लगता है। आये दिन अखबारों की सुिर्खयों में ऐसे किस्से पढ़ने को मिल जाते है। स्त्री को उसकी क्षमता के अनुसार फलने फूलने का मौका कुछ लोगों की सोच के कारण नहीं मिल पा रहा है। आखिर कब तक इस तरह पारिवारिक मनाहियों के बीच स्त्री समझौते करती रहेगी???

5 comments:

  1. स्त्री को उसकी क्षमता के अनुसार फलने फूलने का मौका कुछ लोगों की सोच के कारण नहीं मिल पा रहा है। आखिर कब तक इस तरह पारिवारिक मनाहियों के बीच स्त्री समझौते करती रहेगी???
    " a wonderful article giving consederation with emotions to woman their life with struggle...... yes the question raised in the end is really critical required thought to be given"

    Regards

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  2. अधिकांश आबादी का ये कड़वा सच है लेकिन आज बहुत बदलाव आया है।

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  3. हमें इन्हीं दायरों को ही तो तोड़ना है। पर उसके लिए हिम्मत चाहिए। तो हिम्मत करो और तोड़ डालो।

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  4. परिवार न केवल स्त्री को बल्कि पुरूष को भी सुरक्षा प्रदान करता है. यह सही है कि आज की स्त्री के पास कामयाबी के उच्चतम स्तर को छूने की क्षमता है और उस के पास अनगिनत अवसर हैं, पर कया यह सारे अवसर बाहर जा कर नौकरी करने तक ही सीमित हैं? आज घर में रह कर भी बहुत कुछ किया जा सकता है. बहुत सी स्त्रियाँ घर में रह कर ही अपना व्यवसाय चला रही हैं.

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  5. @सुरेश्गुप्ता
    हर किसी को अपना रास्ता चुनने का अधिकार हो समानता का मतलब यही होता हैं . अपने हिसाब से जिन्दगी जीना , स्वतंत्रता से . और स्वतंत्रता मे आर्थिक स्वन्तान्त्रता , स्वाबलंबन सबसे जरुरी हैं . घर मे रह कर क्यूँ नहीं या घर मे रह कर क्यों का इस पोस्ट से कोई लेना देना नहीं हैं क्युकी यहाँ बात क्षमता की हैं की अगर स्त्री मे क्षमता हैं तो क्यूँ उसके लिये घर मे ही रहना जरुरी हैं , क्यूँ उसके लिये बंदिश और मन्हाइयां हैं . क्यूँ समझोते करे वो

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