June 01, 2008

गुलाबी गैंग

गैंग गुलाबी के बारी में सुना है.यह बहुचर्चित गैंग कोई दस्यु गिरोह नही है,अपितु नाम है एक ऐसे नारी संगठन का जिसका ताल्लुक उत्तरप्रदेश के एक बहुत ही पिछडे हुए,गरीब जिले बान्दा से है.आपको याद दिला दूं, कुख्यात दस्यु ददुआ भी बान्दा जिले का ही है.जातिवाद,अमीरों द्वारा किये जाने वाले अत्याचारों और भ्रष्ट सरकारी तन्त्र के खिलाफ़ आवाज और लाठी उठाने वाले इस संगठन में सिर्फ़ और सिर्फ़ महिलायें शामिल हैं.इस संगठन का नाम गुलाबी गैंग इसलिये पडा क्यूंकि इस के सब सदस्यों को गुलाबी साडी पहनना ज़रूरी है.सर को शालीनता से ढांके,हाथ में लाठी लिये ये महिलायें अपने आक्रामक तेवर के लिये कुख्यात हैं.गुलाबी गैंग की स्थापना २००६ में सम्पत देवी पाल नाम की एक अशिक्षित महिला ने की. सम्पत देवी बान्दा जिले के अटर्रा गांव की रहने वाली है.४९ वर्ष की यह महिला पहले एक आदिवासी महिला उत्त्थान परियोजना के साथ जुडी हुई थी और साथ ही चाय की दुकान चलाती थी.५ बच्चों की मां, सम्पत देवी पाल अपने इस गैंग में अब तक लगभग ३५-४० महिलाओं को शामिल कर चुकी है.अब इस संगठन से जुडने के लिये प्रत्येक महिला को २०० रु रेजिस्ट्रेशन फ़ीस के रूप में देना अनिवार्य है.
गुलाबी गैंग प्रकाश में तब आया जब सबसे पहले इस ने राशन के गेंहू से भरे तीन ट्रैक्टर बाहर बिकते हुए पकड लिये.इस जुर्म के लिये राशन के होलसेलर की जम कर पिटाई हुई.सताई हुई औरतों के हक और न्याय के लिये लडना इस संगठन का मुख्य उद्देश्य है.जहां जहां महिलाऒं पर अत्याचार होता है, जहां गरीब तबके की महिलाओं की बात अनसुनी की जाती है, जहां सरकारी मुलाजिम रिश्वत मांगते पकडे जाते हैं या पुलिस की ज़्यादती होती दिखती है, वहां इस गुलाबी गैंग की महिलायें लाठी, चप्पलों और थप्पडों से अपने मुजरिमों की आरती उतार देती हैं.बान्दा जिले का समूचा पुलिस विभाग और सरकारी तन्त्र गुलाबी गैंग से कांपता है.सबसे अच्छी बात इस गैंग की ये है कि यह किसी राजनीतिक पार्टी से नहीं जुडा है,हांलाकि समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी दोनों ही ने गुलाबी गैंग की तरफ़ दोस्ती का हाथ बढाया है.खराब बात ये है कि इस संगठन के पास कोई ठोस रणनीति या कार्यक्रम नही है.साथ ही इस की ज़्यादातर सद्स्यायें बिना पढी लिखी हैं.भ्रष्ट शासन से लडने का यह तरीका निश्चित तौर पर गांधीजी को पसन्द नही आयेगा किन्तु वीर भगत सिंह की आत्मा ऊपर से गुलाबी गैंग को आषीश दे रही होगी.सच ही है न्याय के लिये यदि नारी को हाथ में लाठी भी लेनी पडे तो वो पीछे नहीं हटती है, दुर्गा का रूप ले लेती है.

8 comments:

  1. धन्यवाद इस जानकारी के लिए. इस गुलाबी गैंग को किसी भी हालत में किसी भी राजनितिक पार्टी से नहीं जुड़ना चाहिए. मेरी शुभकामनाएं.

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  2. गुलाबी गैंग के बारे में लिख कर आपने अच्छा किया। नारी सशक्तिकरण के नाम पर हल्ला मचा रहीं फशनेबेल महिलाओं को कुछ सीखने को मिलेगा संपत से। राजनीति मे प्रवेश को लेकर उस पर कितना प्रेशर है ये तो बांदा जाकर ही पता चलेगा। मैं वहाँ से बहुत पास उरई में होने के नाते वास्तविकता को पड़ता, सुनता, देखता हूँ। फ़िर भी आप बधाई की पात्र हैं। अपने ब्लॉग पर नारियों के साथ-साथ नारियों के लिए संघर्ष कर रहे पुरुषों को भी निमंत्रण दे।

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  3. इला ने अच्छी जानकारी दी है। राजनीति दल से न जुड़े क्यों कि आज के हालात में जुड़ने लायक राजनैतिक दल मिलेगा नहीं। लेकिन यह संगठन खुद गरीब महिलाओं की राजनीति है। ऐसे ही सैंकड़ों संगठन देश में मौजूद हैं और निरन्तर अस्तित्व में आ रहे हैं। समय इन्हें आपस में जोड़ कर भविष्य के जनता के राजनैतिक दल का निर्माण करेगा।

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  4. गुलाबी गैंग के बारे में जानकर अच्छा लगा.

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  5. जानकर अच्छा लगा.

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  6. यह तो आज ही जाना इस गुलाबी गैंग के बारे में ..बहुत ही रोचक और सार्थक लेख है यह ..अपन बलबूते पर अपनी लड़ाई लड़ना एक सार्थक कदम है और आगे बढ़ने की बेहतरीन कोशिश ..इस गुलाबी गैंग को हमारी शुभकमानाये

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  7. इला जी ,गुलाबी गैंग के बारे में पढ़ा !सच ही बहुत ज्ञानवर्धक लेख है !मैं संपत देवी की हिम्मत की दाद देती हूँ जिन्होंने अनपढ़ होने के बावजूद ऐसा साहसिक कदम उठाया !मुजरिमों को उनकी गलती की सजा देने का तरीका भी यही दर्शाता है कि हमारे समाज के पुरुषों के अत्याचारों से इनका मन कितना आहत हुआ होगा जिस कारण ये इस प्रकार का कदम उठाने को मजबूर हुई होंगी !

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  8. गुलाबी गैंग के बारे मे पढ़ा और न्यूज़ मे देखा था पर पूरी जानकारी आपसे मिली। शुक्रिया।

    न्याय के लिये यदि नारी को हाथ में लाठी भी लेनी पडे तो वो पीछे नहीं हटती है, दुर्गा का रूप ले लेती है।

    बहुत सही कहा है।

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