May 16, 2008

नारी कब हारी है ...

जब से या संसार बना नारी की शक्ति से कोई अपरिचित नही रहा है ..उसने जब भी कोई काम किया पूरी लगन केसाथ किया और अपने पूरे जोश के साथ किया ...शायद तभी पुरूष समाज में धबराहट शुरू हुई होगी कि यदि यह यूंही ही चलता रहा तो हमारा तो पत्ता ही कट जायेगा ..तभी उसने कायदे कानून बनाये अपनी सुविधा के हिसाब सेअब नारी भावुक और भोली भी बहुत है ...उसके दिल दिमाग में भर दिया गया कि बाहर तुम जो चाहे काम करोपर घर कि जिम्मेदारी तो पूर्ण रूप से तुम्हारी है नारी के अन्दर यह गुण प्रकृति ने ही कूट कूट के भर दिया है कि वहएक साथ कई रिश्ते ,कई जिम्मेदारी और कई काम एक साथ संभाल सकती है ...मैं यह नही कहती कि उसको ईश्वरने सुपर पावर दे के भेजा है बलिक वह कुदरती ही ऐसी है और कई पुरूष भी इस बात को अब मानने लगे हैं ...परजो दिल दिमाग में भर दिया गया है कि उसको घर भी देखना है और कुदरती उसको अपने बनाए आशियाने से भीउतना ही लगाव होता है जितना वह अपना काम मतलब अपने प्रोफेशन से करती है और जब वह घर को नही देखपाती है या उस से जुड़ी कोई जिम्मेदारी पूरी नही कर पाती है तो एक अपराधबोध उसके अन्दर जन्म लेने लगता हैइसका एक ताजा उदाहरण अभी घटित हुआ .. मेरी छोटी बहन जो एक स्कूल में वाइस प्रिसिपल है स्कूल कीजिम्मेवारी वाली इस पोस्ट के साथ वह घर का भी सब काम ख़ुद ही संभालती है क्यूंकि उसके पति देव अक्सर टूरपर रहते हैं ... अब स्कूल वाले तो काम पूरा लेंगे पर घर पर कई बार वह ढंग से बच्चो को नही देख पाने के कारणवह अपराधबोध से घिर जाती है हालांकि उसके दोनों बच्चे पढ़ाई में और बाकी चीजो में आगे ही रहते हैं ...पर उसकोकई बार लगता है कि वह पूरा समय उनको नही दे पा रही है ...और इस अपराध बोध का उसके अन्दर कितनाअसर हुआ यह हमे कुछ दिन पहले देखने को मिला जब वह स्कूल में सीबीएसई की परीक्षा में व्यस्त थी और इधरउसके बच्चो का रिजल्ट आने के कारण उसने स्कूल से उस दिन छुट्टी ले ली पर स्कूल से अचानक बुलावा आने केकारण वह अपने बच्चो के स्कूल नही जा पायी ..और उधर स्कूल में कोई परेशानी होने के कारण उस पर इतनामानसिक दबाब पड़ा कि वह वही पर बेहोश हो कर गिर गई ..कुछ समय के लिए लिए लगा की वह गई हाथ सेहमारे ..उसकी हालत बहुत ही नाजुक हो गई और जब जब उसको होश में लाया गया तो वह कहीं अंदर बैठे अपनेअवचेतन मन से जो बोली तब जाना कि हम ऊपर से कितना ही ख़ुद को मजबूत दिखाए पर अन्दर ही अन्दर जाने कितने भाव कितनी बातें अपने अन्दर मन में दबाये रखते हैं जो वक्त आने पर यूं विस्फोट करती हैं जितनेसमय वह बेहोश रही वह उसी बेहोशी में यही बोलती रही कि मैं अपने बच्चो का ध्यान नहीं रख पाती उनको समयपर खाना नही दे पाती हूँ ....देखो आज मैं उनके स्कूल उनक रिजल्ट लेने तक नही जा पायी ...आई .सी .यू में कईदिन तक रही पर अब ईश्वर की कृपा से वह बिल्कुल ठीक है और स्कूल घर और अपने नए खोले शिक्षा और डांस केसंस्थान को भी बखूबी संभाल रही है ..घर पर सबका सहयोग है उनके साथ ..उनका साल का बेटा भी रोटी बहुतअच्छी बना लेता है ... १४ साल की बिटिया भी माँ की पूरी मदद करती है ....
एक औरत अन्दर से जानती है कि बच्चे और परिवार उसकी पहली जिम्मेदारी है और यह उसको विरासत औरपरम्पराओं में मिला हुआ है ... और फ़िर वह काम पूरे होने पर ख़ुद में ही कहीं कमी महसूस करती है जबकिअसल में शक्ति का सही रूप है वह ...वक्त अब बदल रहा है और उसकी इस शक्ति से अब कोई इनकार हो भी नही रहाहै आज हर जगह वह आगे हैं पर कहीं कहीं यह कुछ पीछे रह जाता है जैसे लड़की को आज भी घर के काम कीशिक्षा भी साथ साथ दी जाती है पर लड़कों को आज भी कुछ ऐसा नही सिखाया जाता है ॥तभी तो जब भी खानाबनाने कि बात आती है तो यह कमेंट्स हैरान करते हैं कि अपनी श्रीमती जी से कहेंगे कि बनाए ..क्यों भाई आपनेपढ़ा और आपको वह पसंद भी आया तो क्यों नही अजमाते ख़ुद रसोई में जा कर और उसको बना कर क्यों नहीअपनी श्रीमती को हैरानी में डाल देते एक बार कुछ ऐसा कर के तो देखिये इस से स्नेह और आपस में मिल जुल केकाम करने का जज्बा ही बढेगा और कुछ काम हलका भी हो जायेगा घर के काम बंट जाए तो फ़िर कहीं कोईमुश्किल नही रहेगी ..और सुपर वूमेन दोनों मोर्चे सही ढंग से संभाल लेगी ..और अच्छे से सही ढंग से साबित करदेगी ।कि वह आज की नारी है जो चाँद सितारों तक को छू के सकती है ...

रंजू
..

1 comment:

  1. आपकी दीदी की हिम्मत की दाद देनी होगी।

    अब तो लड़के फ़िर भी घर मे काम मे मदद करते है।

    ReplyDelete

Note: Only a member of this blog may post a comment.