शादी जिसे एक पावन बन्धन माना जाता है पर कई बार यही पावन बन्धन अपना इतना घिनौना रूप दिखाता है कि इंसान ये सोचने को मजबूर हो जाता है कि शादी एक पवित्र बन्धन है या कुछ और। आज की घटना भी कोई तीस साल पहले की ही है।
हम लोगों के पड़ोस मे एक परिवार रहता था क्या रहता है।पिता बहुत बड़े एडवोकेट , और इस परिवार मे ४ लड़कियां है।सभी लड़कियां सुंदर ,पढी-लिखी और तेज मतलब सर्व गुण संपन्न ।जब बड़ी बेटी एम.ए. इंग्लिश के प्रथम वर्ष मे थी तभी से इस के माता-पिता ने शादी के लिए लड़के देखना शुरू कर दिया।क्यूंकि एम.ए.पास करते करते वो बेटी की शादी कर देना चाहते थे। माता-पिता की इच्छा थी की लड़की की शादी आई.ए.एस. से हो और उनकी ये इच्छा भी पूरी हुई।और लड़की की शादी बिहार के रहने वाले एक आई.ए.एस लड़के के साथ तय हो गई।(खूब दान-दहेज़ भी दिया गया था। और कार भी दी गई थी।) और शादी की तैयारियां जोर-शोर से शुरू हो गई। और आख़िर शादी का दिन भी आ गया । खैर शादी संपन्न हो गई और बिदाई के समय जब लड़की चलने लगी तब उसकी ननदें उसका खूब ख़्याल रख रही थी जैसे लहंगा जो दुल्हन के पैर मे बार-बार फंस रहा था उसे वो पीछे से पकड़ कर झुक कर चल रही थी।लड़की की बिदाई के बाद सभी खुश थे कि उसे बड़ा ही अच्छा घर-परिवार मिला है।
अभी २ महीने ही बीते होंगे कि एक दिन पता चला कि उनकी बेटी को ससुराल वाले तंग कर रहे है।ये सुनकर किसी को यकीन नही हुआ था क्यूंकि वो लड़की उस समय के हिसाब से काफ़ी तेज थी यानी की वो जुल्म सहने वालों मे से नही थी।पर शायद हालात इंसान को मजबूर कर देते है। और जब उनकी बेटी घर आई तो कोई उसे पहचान नही पाया क्यूंकि जो लड़की अभी २ महीने पहले तक इतनी खूबसूरत थी उसका ये क्या हाल हो गया था।उसका मुंह कुछ-कुछ जला सा था और तब पता चला कि एक दिन उसकी ननद ने उसके ऊपर गरम पानी फेक दिया था (वही ननद जो शादी मे उसका ख़याल रख रही थी)। और तब उसने अपने ऊपर होने वाले जुल्म बताये जिसे सुनकर दिल दहल गया था ।और शादी के एक साल के अंदर ही उसका तलाक हो गया। पर शायद इस लड़की की मुसीबतों का अंत नही हुआ था।
लड़की ने अपनी जिंदगी को फ़िर से संभाला और उसने law की पढ़ाई की।उस समय law तीन साल का होता था । उसकी पढ़ाई ख़त्म होते-होते माता-पिता को एक बार फ़िर अपनी बेटी का घर बसाने की चिंता होने लगी क्यूंकि उनकी बाकी ३ बेटियाँ भी बड़ी हो रही थी। और संयोग से एक बार फ़िर उसकी शादी एक आई.ए.एस से तय हुई और इस बार लड़का कोई अन्जाना नही था बल्कि उनके एक बहुत ही अच्छे दोस्त का बेटा था और इस बार लड़के वालों ने ही लड़की मांगी थी।(वैसे इस लड़के की भी एक शादी हो चुकी थी और तलाक भी हो चुका था ) लड़की के माता-पिता को कोई ऐतराज नही था क्यूंकि लड़काऔर लड़की दोनों एक-दूसरे को जानते थे और ये भी संतोष था कि इस बार बेटी किसी दूसरे शहर ना जाकर उन्ही के शहर (local) मे रहेगी। एक बार फ़िर उस लड़की की शादी धूम-धाम से हुई और लड़की अपनी ससुराल चली गई । माँ-बाप को खुशी थी कि उनकी बेटी का घर बस गया है। पर अचानक एक दिन वो लड़की वापिस अपने मायके आ गई और उसके साथ फ़िर वही सब दोहराया गया था । और एक बार फ़िर उस लड़की का तलाक हो गया।
जब लड़की की दूसरी शादी टूटी थी तब लोगों ने उस लड़की मे ही दोष निकलना शुरू कर दिया था। कुछ लोगों ने तो ये तक कह दिया की हर बार उसके साथ ही ऐसा कैसे हो सकता है। जरुर लड़की का दिमाग ख़राब है। जितने लोग उतनी बातें। कोई उसके ससुराल वालों को दोष देता तो कोई लड़की को।
समाज मे दो-दो बार तलाक शुदा होने का ठप्पा इस लड़की पर लग गया था। लोग मुंह पर तो नही पर पीठ पीछे हजारों बातें करते थे। इस लड़की ने और इसके परिवार ने उस दरमियाँ बहुत कुछ झेला था। इस लड़की ने जिसने सिर्फ़ अपने माता-पिता और बहनों के लिए ही दूसरी शादी की थी उसने इस दूसरी शादी के टूटने के बाद अपने आपको एक बार फ़िर से संभाला । इस बार उसने वकालत शुरू की और आज सुप्रीम कोर्ट मे वो प्रैक्टिस कर रही है।और उसकी अच्छी खासी प्रैक्टिस है।उसकी तीनो छोटी बहनों की शादियाँ हो गई है।
आगे उनके बारे में जानने की इच्छा दिल में ही रह गई.. ऐसा लग रहा है जैसे कुछ छूट गया हो..
ReplyDeletewaise dubara shadi kawane ki itni jaldi samajh nhi aayi.mata pita ko betion ki ichchha par dhyan dena chahiye.aur betion ko chahiye ki apne faisale khud len.
ReplyDeletees mein ladki ka kya dosh,agar dahez ke bhuke use tang karein,magar ladki ne ji himmat se apni padhai puri ki aur apne pairon pe kahdi ho practice kar rahi hai,bahut hi kabile tariff hai.
ReplyDeleteअव्वल दर्जे से पास किया इन्होने ये इम्तिहान. ऐसी विकट कठिनाइयों से गुजरने के बाद भी अपनी मंजिल हासिल करनेवाली इन महिला को सलाम. बढ़िया पोस्ट है.
ReplyDeleteआपकी प्रस्तुति प्रशंसनीय तो है ही ,
ReplyDeleteविचारणीय और उपयोगी भी है.
महिला उत्थान के संगठनों की
अच्छी जानकारी दी गई है.
============================
इस पोस्ट की दास्तान भी संदेश देती है कि -
ज़ज़्बे की कड़ी धूप हो तो क्या नहीं मुमकिन
ये किसने कहा संग पिघलता ही नहीं है.
शुभकामनाएँ
डा.चंद्रकुमार जैन
@dr chander kumar jain
ReplyDeleteaap ko blog pasand aaya yae jaankar achchaa lagaa
thanks
ममता जी
ReplyDeleteहमारा समाज ऐसा ही सोचता है तभी तो दोषी ना होने पर भी नारी विद्रोह नहीं कर पाती। हम सब को मिलकर ऐसी सोच को चुनौती देनी पड़ेगी। तभी नारी को न्याय मिलेगा ।
एक अच्छी पोस्ट नारी के कदमो के आगे बढ़ने की ...हिम्मत नही हारी उसने यह सोच ही कई हारने वाल को नई सोच दे सकती है ..
ReplyDeleteबार-बार शादी करना ही उसकी भूल थी...उसे अपने पैरों पर खड़े हो जाना चाहिये था...जो निर्णय उसने अंत में लिया वही उसका निर्णय होना चाहिये था...
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDelete