tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post8900667155603999929..comments2023-12-02T14:56:14.755+05:30Comments on नारी , NAARI: मंडूक क़ोई शाप से नहीं बनतारेखा श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comBlogger19125tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-26791653473651300112012-07-08T09:18:24.045+05:302012-07-08T09:18:24.045+05:30"वेजिटेबल स्टेट "हटा कर {"वेजिटेटिव..."वेजिटेबल स्टेट "हटा कर {"वेजिटेटिव स्टेट "} लिखना पडा पर क्युकी लोग समझ नहीं सके पञ्च को अब लगा हैं दोनों लिख दूँ तो ही बेहतर हैंरचनाhttps://www.blogger.com/profile/03821156352572929481noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-5695342284336190352012-07-07T23:33:29.398+05:302012-07-07T23:33:29.398+05:30This comment has been removed by the author.सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-90738610542627300242012-07-07T22:36:41.240+05:302012-07-07T22:36:41.240+05:30पहली हिंसा तो यह हुई कि बिना अनुमति अपनी गाळीचता ल...पहली हिंसा तो यह हुई कि बिना अनुमति अपनी गाळीचता लिए किसी की गोद में कूद पड़ो क्योंकि वह महिला है. किसी पुरुष या हठधर्मी बालक की गोद में कूदो फिर देखो हिंसा नज़ारा.<br />Peace,<br />Desi Girlgirlsguidetosurvivalhttps://www.blogger.com/profile/11950975375086800634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-77840733402085975222012-07-07T22:27:32.115+05:302012-07-07T22:27:32.115+05:30shilpa ji
good one ati uttam :)shilpa ji <br /> good one ati uttam :)anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-12271582368546922012-07-07T15:33:36.572+05:302012-07-07T15:33:36.572+05:30thank you for understanding the punch of the comme...thank you for understanding the punch of the commentरचनाhttps://www.blogger.com/profile/03821156352572929481noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-69564861049788327302012-07-07T14:40:37.431+05:302012-07-07T14:40:37.431+05:30:) what follows is a hypothetical analysis only - ...:) what follows is a hypothetical analysis only - nothing to do with frogs / princesses / princes ...<br /><br />यह शायद पहली पोस्ट है जिसपर दोनों पक्षों के पक्ष से सहमत हूँ - हर एक टिपण्णी से सहमत हूँ | <br /><br />original कहानी में तो राजकुमारी ने ( हमारी राष्ट्रपति की ही तर्ज पर ) उस मेंढक को उसके सब अपराधों की सजा से मुक्त कर दिया था, बिना यह देखे की उन्होंने क्या अपराध किया, और उसके शिकारों को कितना संताप होगा इस माफ़ी और सजा मुक्ति से | वही अंशुमाला जी की पोस्ट वाली बात आ जाती है - अपराध किसके प्रति, और माफ़ी कौन दे रहा है ? नृशंस हत्यारों और बच्चियों के बलात्कारियों को भी सजा से मुक्त कर दिया जाना सुन्दर राजकुमारियों द्वारा ( रानी बनने के लोभ में )- अन्याय है |<br /><br />लेकिन मेंढक को मार कर खा लिया जाना हिंसा करने की सीख देने के लिए नहीं, बल्कि राजकुमारी के एलर्ट होने को चिन्हित कर रहा है यहाँ | यदि कोई जबरन रानी बनाने के स्वप्न दखा कर गोद में कूदना चाहे - तो राजकुमारी क्या करेगी - आज के सन्दर्भों की पढ़ी लिखी खुली आँखों वाली राजकुमारी - यह इन्दिकेट करा गया है इस इन्टरप्रेटेशन में | देख तो हम रहे ही हैं की अरुणा शान्बाघ के साथ क्या हुआ | इस गोद में कूदने वाले दिमागी मेंढकों की बात कर रही हैं रचना जी, असल मेंढक की नहीं |<br /><br />आखिर यदि राजकुमार को श्राप देकर मेंढक बनाया गया था - तो उसका कोई कारण तो होगा न ? :) | और श्राप देने वाले भी ऐरे गैरे नहीं होंगे - तभी उनका श्राप फलीभूत हुआ होगा :) | तो उसके लिए वह सजा उचित ही रही होगी |<br /><br />@मंडूक कभी भी "वेजिटेबल स्टेट " में नहीं आना है<br />यदि मेंढक वेजिटेबल नहीं बन सकता, तो राजकुमार भी मेंढक नहीं बन सकता :) , और यदि राजकुमार मेंढक बन सकता है, तो मेंढक भी सब्जी बन सकता है | या तो दोनों, या एक भी नहीं :) यह सिर्फ काल्पनिक है |<br /><br />और यदि राजकुमार को किसी इतने ज्ञानी व्यक्ति ने श्राप देकर मेंढक बनाया (ज्ञानी रहे ही होंगे - अन्यथा उनका श्राप फलता ही नहीं ) तो कोई उचित कारण भी रहा ही होगा | तो ऐसे सजा पाए व्यक्ति को राष्ट्रपति (यहाँ राजकुमारी) को माफ़ कर के फिर से पुरुष में परिवर्तित कर देना वैसे भी उचित नहीं है | हाँ - राष्ट्रपति / राजकुमारी (मृत्युदंड की) सजा अवश्य दे सकते हैं यदि वे यह देखें की primary सजा (मेंढक बनाया जाना) मिलने के बाद भी मेंढक जी ने अपने आपराधिक प्रवृत्तियाँ नहीं बदलीं - अब भी लड़कियों की गोद में कूद रहे हैं बिना उनकी अनुमति लिए |Shilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttps://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-77715996926097622902012-07-07T14:39:33.537+05:302012-07-07T14:39:33.537+05:30This comment has been removed by the author.Shilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttps://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-68379349776682174532012-07-07T14:34:41.845+05:302012-07-07T14:34:41.845+05:30यह शायद पहली पोस्ट है जिसपर दोनों पक्षों के पक्ष स...यह शायद पहली पोस्ट है जिसपर दोनों पक्षों के पक्ष से सहमत हूँ - हर एक टिपण्णी से सहमत हूँ |Shilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttps://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-14840939342935786672012-07-06T22:43:32.651+05:302012-07-06T22:43:32.651+05:30इस मुद्दे पर कोई भी पुरुष को मारने, हिंसा की बात न...इस मुद्दे पर कोई भी पुरुष को मारने, हिंसा की बात नहीं कर रहा है मेढक को मारा जाना तो मात्र संकेत है |anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-10353963315869638682012-07-06T22:02:40.697+05:302012-07-06T22:02:40.697+05:30This comment has been removed by the author.सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-39673129833209864432012-07-06T17:52:14.940+05:302012-07-06T17:52:14.940+05:30सुज्ञ जी
हिंसा व हिंसक मनोवृति के पैरोकार तो हम भ...सुज्ञ जी <br />हिंसा व हिंसक मनोवृति के पैरोकार तो हम भी नहीं हैं गीता में प्रभु श्री कृष्ण कहते हैं----<br /><br />कोई भी जीव धारी एक पल के लिए भी कर्म मुक्त नहीं हो सकता … .. गीता - 18.11<br /><br />कोई कर्म ऐसा नहीं जो दोष मुक्त हो … .. गीता - 18.48<br /><br />अतः दोष युक्त कर्म होने पर भी सहज कर्मों को करते रहना चाहिए क्योंकि -----<br /><br />कर्म के बिना नैष्कर्म्य की सिद्धि नहीं मिलती<br /><br />नैष्कर्म्य कि सिद्धि ही ज्ञान योग की परा निष्ठा है गीता - 18.50<br /><br />और ज्ञान परम धाम का द्वार है // saabahar http://gitatatvavigyan.blogspot.in/2012/04/blog-post_05.htmlरचनाhttps://www.blogger.com/profile/03821156352572929481noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-66875211686931081612012-07-06T17:46:08.887+05:302012-07-06T17:46:08.887+05:30बेशक यह एक जोक है...लेकिन समाज को आईना दिखाने के ल...बेशक यह एक जोक है...लेकिन समाज को आईना दिखाने के लिए काफ़ी है..लडकियाँ अब किसी 'बहकावे' या 'दिवास्वप्न' में आने वाली नहीं...'रानी' और 'नौकरानी' का अंतर अब वो समझतीं हैं...और ऐसे किसी भी फंदे में नहीं पड़तीं...जो पुरुष अपनी मानसिक 'मंडूकपने' से बाहर आना नहीं चाहते...उनको दरकिनार कर देने जैसे भुनेपन का ही अहसास दिलाया जाएगा...राजकुमारी को बात समझ में आ गई, एक तो मंडूक को शाप से मुक्ति भी दिलाओ, फिर सारी जिम्मेदारियां भी निभाओ...महज एक खिताब 'रानी' के लिए जो वस्तुतः 'नौकरानी' है...!!<br />अब वो दिन लद गए हैं...<br />अच्छी पोस्ट..<br />आभार..स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-34363722549960706002012-07-06T17:18:30.962+05:302012-07-06T17:18:30.962+05:30This comment has been removed by the author.सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-37781136163732172352012-07-06T16:40:44.148+05:302012-07-06T16:40:44.148+05:30This comment has been removed by the author.सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-54420737215350661672012-07-06T13:07:03.757+05:302012-07-06T13:07:03.757+05:30कहाने व्याख्या बहुत पसंद आई। बहस करना मुझे आता नही...कहाने व्याख्या बहुत पसंद आई। बहस करना मुझे आता नहीं और इन-बिटविन द लाइन्स पढ़ा नहीं जाता।<br />ऐसे मेढ़कों का चोखा बनाना तो बनता ही है। और ज़रूरत पड़े तो निरामिषों को सामिष भी बन ही जाना चाहिए।<br />वैसे हम ज़ूलोजी वाले हैं, बहुत मेढ़कों का सत्यानाश किया है।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-8404494595354652902012-07-06T11:22:42.426+05:302012-07-06T11:22:42.426+05:30अब ये ब्रेन कैंडी है या ब्रायन कैंडी है,चुटकुला है...अब ये ब्रेन कैंडी है या ब्रायन कैंडी है,चुटकुला है या क्या है संदर्भ कहाँ है कुछ नहीं पता पर इतना तो है कि इसे एक बार पढते ही अपने तो समझ में वही आया जो अली साहब ने बताया है.बाकी व्याख्या तो सभी की अपनी है और ये ब्लॉगिंग के लिहाज से अच्छा है.<br />वैसे इस मेंढक का आत्मविश्वास देखकर तो लगता है पक्का इसकी पहले भी कई गर्लफ्रेंड रही होंगी जो इसके झाँसे में आ गई होगी लेकिन इस मूर्ख ने वही डायलॉग राजकुमारी के सामने भी दे मारा.राजनhttps://www.blogger.com/profile/05766746760112251243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-15884225652744237262012-07-06T10:18:46.477+05:302012-07-06T10:18:46.477+05:30मतलब निरामिष के प्रवक्ता मेढक खा सकते हैं यदि उन्ह...मतलब निरामिष के प्रवक्ता मेढक खा सकते हैं यदि उन्हें मेढक को सब्जी में परिवर्तित करने की शक्ति मिल जाय!:)देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-2800598473261697132012-07-06T10:17:45.285+05:302012-07-06T10:17:45.285+05:30उस कथा पर , मेरे आलेख के प्रथम तीन पैरे मेरी प्रति...उस कथा पर , मेरे आलेख के प्रथम तीन पैरे मेरी प्रतिक्रिया / मेरा अभिमत / मेरा पक्ष हैं ! अब मित्रों को कथा की व्याख्या करना है , जो , इसे जैसा समझे !उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-58175765259404415302012-07-06T10:07:11.238+05:302012-07-06T10:07:11.238+05:30interesting:)interesting:)वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.com