tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post8542209626731350921..comments2023-12-02T14:56:14.755+05:30Comments on नारी , NAARI: नारी नारी में भेदरेखा श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-50457093311813627102008-07-24T12:03:00.000+05:302008-07-24T12:03:00.000+05:30mai age ki padhai karne ke liye dusre sahar gayi,p...mai age ki padhai karne ke liye dusre sahar gayi,pg ban kar rahi aur baad me naukri bhi ki.love marage kiya to saas ne kharab character hone ka ingit bhi kiya hai.ek rishtedar to ye bhi kaha ki chote saharo ki ladkiyo ka yehi kaam hai ke bahar aao aur affair karo.kya sirf itni si karan ke liye chote saharo ki ladkiya apne ghar ka nirapatta chodna chahti hai?kya ghar baithe affair nahi hota?aap sab itni acchi baate karte hai is baare me kya rai hai?Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-26999790190868531612008-07-23T19:37:00.000+05:302008-07-23T19:37:00.000+05:30ईला जी आप की बातों से शत प्रतिशत सहमत हूँ , हमने भ...ईला जी आप की बातों से शत प्रतिशत सहमत हूँ , हमने भी अपनी पोस्ट पर यही कहने की कौशिश की थी लेकिन शायद इतना स्पष्ट नहीं कह पाये थे। हमारे हिसाब से भी अक्सर नारी ही नारी की दुश्मन होती है खासकर चरित्र पर लाछंन लगाने के मामले में। आप की अगली पोस्ट का इंतजारAnita kumarhttps://www.blogger.com/profile/02829772451053595246noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-1721127784016824442008-07-22T23:05:00.000+05:302008-07-22T23:05:00.000+05:30जय बाबा आइंस्टाइन की। वे कहते हैं कि जहाँ आप खड़े ...जय बाबा आइंस्टाइन की। वे कहते हैं कि जहाँ आप खड़े होंगे वैसी ही दुनियाँ दिखेगी। जैसी दिखेगी वैसी ही देखने वालों की प्रतिक्रिया होगी। यह नियम सभी देखने वालों पर लागू होता है। वे स्त्री हों या पुरुष। यही सब पुरुषों में भी होता है। पर वे एक दूसरे को उन की स्थिति के अनुरूप देखने लगें तो शायद दृष्टिकोण में बदलाव आए। इस के लिए पहले तो सभी को सापेक्षता पढ़ाई जाए। जरा सरल और रोजमर्रा के परिप्रेक्ष्य में। दूसरे ऐसे साहित्य की रचना की जाए जो परिस्थिति सापेक्ष जीवन का मूल्यांकन प्रस्तुत करे। मैं ने काम बांट दिया है अब रचनाकार और लेखक पिल पड़ें तो बहुत सार्थक रचनाएँ एकत्र हो सकती हैं। वैसे एक रचना भी कम नहीं होती।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-55525450772608459622008-07-22T17:33:00.000+05:302008-07-22T17:33:00.000+05:30इला अक संतुलित पोस्ट के साथ विषय को आप ने आगे बढाय...इला अक संतुलित पोस्ट के साथ विषय को आप ने आगे बढाया हैं . इसी विषय पर एक और सदस्य की पोस्ट भी आ रही हैं , अगर किसी और के पास भी कोई और पोस्ट हो इसी विषय पर तो उसको देखने के बाद मे इस बात के विषय मे जरुर लिखुगी . मै इस पोस्ट पर अपना कमेन्ट ना दे कर नयी पोस्ट पर दूंगी क्योकि जो बात पल्लवी कह रही हैं वो भी एक आयाम हैं जिसको मै अपनी पोस्ट में लिखुगी आप भी यहाँ आए प्रश्नों के उतर देती रहेंAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-53801863431715135872008-07-22T16:57:00.000+05:302008-07-22T16:57:00.000+05:30यह बात केवल नारियों पर ही लागू नहीं होती ...चाहे व...यह बात केवल नारियों पर ही लागू नहीं होती ...चाहे वह कोई भी इंसान हो,स्त्री या पुरुष यह प्रवत्ति होती है की सामने वाला व्यक्ति ज्यादा प्रसन्न नज़र आता है!नौकरीपेशा आदमी को बिजनेसमैन ज्यादा सुखी लगते हैं!घरेलु औरत को कामकाजी महिला ज्यादा सुखी लगती है!यह एक स्वाभाविक प्रवृत्ति है जो सभी में पाई जाती है और ऐसा इसलिए है क्योकी सामने वाले की परेशानियों से हम वाकिफ नहीं होते!इसे स्त्री और पुरुष के नज़रिए से सोचना मेरे हिसाब से उचित नहीं है!यदि एक पुरुष कहता है की फलाना पुरुष मुझसे ज्यादा खुश है तो इसे तो कोई पुरुष पुरुष का दुश्मन है के रूप में नहीं लेता? सिर्फ नारियों पर ही ये बात क्यों?pallavi trivedihttps://www.blogger.com/profile/13303235514780334791noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-74184975235521898452008-07-22T16:03:00.000+05:302008-07-22T16:03:00.000+05:30इला जी की बातों से पूरी तरह सहमत होने पर भी लगता ह...इला जी की बातों से पूरी तरह सहमत होने पर भी लगता है अभी और समय लगेगा इस सोच को समाज मे आने मे....!मीनाक्षीhttps://www.blogger.com/profile/06278779055250811255noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-91801622927725291312008-07-22T14:35:00.000+05:302008-07-22T14:35:00.000+05:30baat agar mahila ki aapasi najriye ki ho to je sah...baat agar mahila ki aapasi najriye ki ho to je sahi hai ki mahila ko pahale mahila ki soch ko, sukh ko dukh ko smajhana hoga lekin essa hai nahi, Ghar mai Bahu ko din chadate hai to pahale Saas ko hi fiker hoti hai ki pota hoga ja poti, sasur ja dever , jeth ko je chinta nahi hati hai...<BR/>mahilaaye hi apni jmaat ko nigalne lagengi to samaaj per kaya dosh dena.Ila ji ki je baat damdaar hai ki beton ko agar maa oorat ki ejjat karna sikhaye to kaafi had tak sasaayon se nijaat mil sakti hai.<BR/>ManvinderManvinderhttps://www.blogger.com/profile/11286649687914732408noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-17989068377480399812008-07-22T14:25:00.000+05:302008-07-22T14:25:00.000+05:30आपकी बात सोचने योग्य है।घुघूती बासूतीआपकी बात सोचने योग्य है।<BR/>घुघूती बासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-21637242361686090702008-07-22T13:15:00.000+05:302008-07-22T13:15:00.000+05:30इला जी बिल्कुल सहमत हूँ आपकी बात से .जब तक औरत ही ...इला जी बिल्कुल सहमत हूँ आपकी बात से .जब तक औरत ही औरत के प्रति अपनी नजरिया नही बदलेगी तब तक यह बहस यूँ ही चलेगी ..जब औरते ही औरतो का दर्द नही समझती तो पुरषों से से कुछ उम्मीद रखना बेकार है ..बहुत कुछ ऐसा देखा है अपने आस पास ..अब यह कहना इस बात पर निरथर्क है कि वह औरते भी किसी की सताई हुई है तभी वह इस तरह से व्यवहार करती हैं ....जिस दिन औरते एक हो जायेगी उस वक्त कोई बहस का मुद्दा नही रहेगा यह मेरा अपना ख्याल है ..हो सकता है कई लोग इस से राजी न होरंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.com