tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post7927691719357389399..comments2023-12-02T14:56:14.755+05:30Comments on नारी , NAARI: शादी जिसकी , निर्णय उसका पर कितना प्रतिशतरेखा श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-58190716403823863862011-11-18T09:40:33.108+05:302011-11-18T09:40:33.108+05:30rachna ji,
jo mere mata pita ne diya , mai use da...rachna ji,<br /><br />jo mere mata pita ne diya , mai use dahej nahi kahungi, ghar ka sab samman, jo koi bhi maa -baap apni beti ko dena chahte hai wo sab diya, yaha tak ki kanya daan ke paise jo ladki ko milte hai maine unse wo bhi nahi liye, or mere sasuraal walo ke kharche ki baat,to aajkal jitna paisa ladki ki shadi mei lagke utna hi ladke mei bhi lag jata hai, waise bhi meri love marriage hui thi , to demands or dahej tak to baat nahi pahuchi,Geetahttps://www.blogger.com/profile/07916683052983770611noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-47137896079066991432011-11-17T17:07:01.976+05:302011-11-17T17:07:01.976+05:30बिल्कुल सही सवाल उठाया आपने.वैसे आजकल युवाओं को सब...बिल्कुल सही सवाल उठाया आपने.वैसे आजकल युवाओं को सब पता रहता है और वैसे भी शादी कि तैयारियों को लेकर बहुत दिनों पहले ही घरों में चर्चा होती रहती है.युवा अपनी पसंद और राय भी बताते है.लेकिन यदि कोई स्वभाव से ही लापरवाह है तो बात अलग है.लेकिन उन्हें फिर भी खर्चे के बारे में बताया जाना चाहिये.राजनhttps://www.blogger.com/profile/05766746760112251243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-2927516945816311352011-11-17T16:22:18.644+05:302011-11-17T16:22:18.644+05:30... ताकि आगे अगर शादी / परिवार में क़ोई समस्या हो ...... ताकि आगे अगर शादी / परिवार में क़ोई समस्या हो तो वो अपने अभिभावकों को दोष दे सके।<br />@ नहीं ... मेरी समझ से लड़के की ऎसी सोच बिलकुल नहीं होती होगी.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-29369790297244033592011-11-17T16:19:22.670+05:302011-11-17T16:19:22.670+05:30शादी का खर्चा, लेन देन ये सब बाते क्यूँ उनके सामने...शादी का खर्चा, लेन देन ये सब बाते क्यूँ उनके सामने नहीं की जाती हैं ?<br />@ इसके कई जवाब हो सकते हैं....<br />— 'शादी घोटाला' बिना पारदर्शिता के ही संभव है<br />— शायद अपने बेटे के अति विश्वास का लाभ लेने का यह आखिरी मौक़ा हो सकता है.<br />— अधिक लाड़ के कारण माता-पिता बेटे को 'शादी' मौज-मस्ती का प्रोग्राम मानकर उसे केवल हँसी-ठट्टा करते देखना चाहते हैं... उसे कतई महसूस नहीं कराना चाहते कि यह जीवन की एक बड़ी जिम्मेदारी की ओर कदम है.<br />— शायद कुछ और भी जवाब हो सकते हैं....प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-49778646634447883322011-11-17T16:09:51.053+05:302011-11-17T16:09:51.053+05:30सुधार के साथ :
वह अपने रहते आखिरी कार्यक्रम की महत...सुधार के साथ :<br />वह अपने रहते आखिरी कार्यक्रम की महती व्यवस्था से उसे दूर ही रखते हैं...प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-70541880283873358292011-11-17T16:08:23.116+05:302011-11-17T16:08:23.116+05:30पहले शादियाँ एक तरह से बाल विवाह होते थे इस लिये ज...पहले शादियाँ एक तरह से बाल विवाह होते थे इस लिये जिनकी शादी होती थी वो "नासमझ " माने जाते थे पर आज के समय में जिनकी शादी होती हैं वो ना केवल बालिग़ होते हैं बल्कि आर्थिक रूप से सक्षम भी होते हैं फिर क्यूँ उनको सबसे महत्व पूर्ण बातो से ही अलग रखा जाता हैं<br /><br />@ पहले यदि बाल-विवाह होते भी थे तो उन बाल-गृहस्थियों की समझ अधिक पारिवारिक होती थी.... आज के 'समझदार' युवा जोड़े बड़ी समझदारी से अपने पालकों से दूर होने की युक्ति सोच लेते हैं.... माता-पिता जानते हैं कि विवाह बाद बेटा धन और व्यवस्था में उलझेगा ही इसलिये वह अपने रहते आखिरी कार्यक्रम की महती व्यवस्था से उसे दूर ही रह्कते हैं... यह उनके सामाजिक लाड़-प्रदर्शन का द्योतक भी है... बेटे की दृष्टि से सोचूँ तो यह हो सकता है कि 'माँ-पिता को अपने इस कार्यक्रम का सम्पूर्ण दायित्व देकर उन्हें बड़प्पन की अनुभूति कराना और आदर देना' उसकी सोच में हो सकता है..."अरे आपके रहते मुझे क्या चिंता" यह सुनकर ही घर के बड़े फूले नहीं समाते.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-16244959911576869242011-11-17T16:07:30.942+05:302011-11-17T16:07:30.942+05:30सुधार के साथ :
माता-पिता सामाजिक व्यवहार की अधिक स...सुधार के साथ :<br />माता-पिता सामाजिक व्यवहार की अधिक समझ रखते हैं...प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-24923776552913032922011-11-17T15:55:12.454+05:302011-11-17T15:55:12.454+05:30शादी के तय करते समय लडके और लड़की दोनों को एक दूसरे...शादी के तय करते समय लडके और लड़की दोनों को एक दूसरे को दिखाया जाता हैं ..... क्यूँ वो अनिभिज्ञ रखे जाते हैं या रहते हैं शादी के खर्चो से ।<br />@ यह सही है कि जिनका विवाह होने वाला होता है उनको शादी से जुड़े सभी मसलों में शामिल नहीं किया जाता... इसका कारण साफ़ है... हर व्यक्ति अपनी भूमिका स्वयं तय कर लेता है... 'विवाह' जैसे जीवन के एक महत्वपूर्ण संस्कार (कार्यक्रम/घटना) से जिसका भविष्य सबसे अधिक प्रभावित होने जा रहा होता है उसे कुछ विचार करने योग्य अवसर (समय) चाहिए होता है... इसलिये वह चाहकर भी घोड़ी और बैंड-बाजे बुकिंग, गहने-कपड़े, मित्रों और सम्बन्धियों को आमंत्रण देने में शामिल नहीं हो पाता.... प्रायः देखा गया है कि वह अपने निकटस्थ मित्रों तक को निमंत्रण देना भूल जाता है... यह उसकी मनःस्थिति का दोष ही जानना चाहिए.... वैसे कुछ युवा अपने विवाह से जुड़े सभी फैसले खुद लेते भी देखे जाते हैं... <br />इस बात पर मेरा यह कहना है कि यथासंभव 'विवाह' जैसे सामूहिक उत्सव में सभी की भागीदारी रखनी चाहिए.... यह केवल व्यक्तिगत उत्सव/संस्कार नहीं.... माता-पिता का सामाजिक व्यवहार की अधिक समझ रखते हैं... इसलिये वे ही सभी खर्चों की झंझटों में शामिल रहते हैं... इस तरह वे व्यस्त भी रहते हैं... यदि लड़का खुद ही सगाई तय करने में, व्यवस्था करने में और सगे-सम्बन्धियों को निमंत्रण देने में आगे दिखायी देता है तो उसकी सामाजिक छवि निर्लज्ज की बनती है... सभी को साथ लेकर आगे बढ़ने वाला अधिक सामाजिक और अधिक व्यवहारिक माना जाता है.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-14716043056869022382011-11-17T14:55:08.081+05:302011-11-17T14:55:08.081+05:30गीता
अच्छा लगा की आप के अभिभावकों ने आप से कुछ नही...गीता<br />अच्छा लगा की आप के अभिभावकों ने आप से कुछ नहीं छुपाया<br />क्या आप की शादी में दहेज़ और अन्य लेनदेन हुए थे क्या आप ने उनका विरोध किया था ???<br />क्या आप की शादी में जितना पैसा खर्च हुआ था उतना ही आप के पति के घर वालो ने भी किया था ??<br /><br />अगर हाँ तो वाकई आप का विवाह आदर्श हैंरचनाhttps://www.blogger.com/profile/03821156352572929481noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-59442231788119781592011-11-17T14:49:38.461+05:302011-11-17T14:49:38.461+05:30mai to aapki battoein ka matlab nahi samjhi, humar...mai to aapki battoein ka matlab nahi samjhi, humare mummy papa ne to humse kuch bhi anhi chupaya humari shaddi ko lekarGeetahttps://www.blogger.com/profile/07916683052983770611noreply@blogger.com