tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post7481504739711537326..comments2023-12-02T14:56:14.755+05:30Comments on नारी , NAARI: किसके खिलाफ़ आवाज उठाऊँ...रेखा श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-28946527702461975012008-05-09T20:40:00.000+05:302008-05-09T20:40:00.000+05:30घुघूति जी की बात से मै पूर्णतः सहमत हूँ...आप सभी न...घुघूति जी की बात से मै पूर्णतः सहमत हूँ...<BR/>आप सभी ने अपने विचार प्रस्तुत किये बहुत-बहुत धन्यवाद!सुनीता शानूhttps://www.blogger.com/profile/11804088581552763781noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-38553602766550339932008-05-08T10:10:00.000+05:302008-05-08T10:10:00.000+05:30what ahorrible incident,and again the people who d...what ahorrible incident,and again the people who did the crime r libing out of jail?ya to sari umar ke liye jail mein rakha jaye ya,siddha phiansi?they hv taken lives of 2 people,there bahu and her child.<BR/>how can any other family give their daughter in that house again?ladke ka phir bhyah bhi ho gaya,thats truly disgusting.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-59315286036013815612008-05-07T11:55:00.000+05:302008-05-07T11:55:00.000+05:30किसीको भी दोष देना सरल है। हम जब तक अपनी सोच नहीं ...किसीको भी दोष देना सरल है। हम जब तक अपनी सोच नहीं बदलते तब तक समाज में बदलाव की आशा नहीं कर सकते। समाज हम ही बनाते हैं । यदि किसी भी प्रकार से अपनी बेटी को हम किसीके मत्थे मढ़कर उसके प्रति उदासीन हो जाएँगे तो हम कैसे आशा कर सकते हैं कि वे उसका आदर करेंगे। जब वह स्वयं हमारे घर में हमपर बोझ थी तो वह दूसरे के घर में भी वही मानी जाएगी। संसार का कोई कानून हमारी सहायता नहीं कर सकता क्योंकि कानून का दुरुपयोग करने वाले भी हैं।<BR/>उपाय केवल यही है कि पुत्री को सशक्त बनाएँ, उसमें त्याग, संयम व सहनशीलता की भावना उतनी ही भरें जितनी कि अपने बेटे में। न उसे देवी बनाएँ ना दासी, केवल मनुष्य ही बने रहने दें। उसे अपने अधिकारों के प्रति सजग बनाएँ। जहाँ तक हो सके विवाह अपनी इच्छा से करने दें। यदि ऐसा ना हो सके तो कमसे कम अपने ही शहर या उसके जान पहचान के शहर में ही उसका विवाह करें। उसे यह कहकर ही विवाह करें कि यह घर सदा तुम्हारा रहेगा। विदाई व कन्यादान जैसी रस्मों का बहिष्कार करें।<BR/>घुघूती बासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-80897240181856787532008-05-06T19:31:00.000+05:302008-05-06T19:31:00.000+05:30इस तरह की ख़बरों का सिलसिला थमने को नही आता है औ...इस तरह की ख़बरों का सिलसिला थमने को नही आता है और पढ़ पढ़ के दिल दहल जाता है ..कई बार सोचती हूँ कि क्या इस तरह के इंसान सच में इंसान कहलाने लायक हैं ..?सच में दोष हमारे समाज के उन नियमों का है जिसका जैसा जब चाहे ऐसे लोग इस्तेमाल करते हैं ..बदलाव आएगा क्या ? यह अभी तो एक बहुत बड़ा सवाल है .,..क्यूंकि मुझे तो अभी कोई ख़ास परिवर्तन दिखायी नही देता इस तरह के केस में .रोज ही अखबार का एक पन्ना जरुर इस तरह की घटना से भरा होता है ..हत्या या आत्महत्या ......और फ़िर आसानी से ऐसे लोगों का बच के निकल जाना ..!!!!!!रंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-69236242956830544682008-05-06T17:55:00.000+05:302008-05-06T17:55:00.000+05:30सुनीता जी दिल दहला देने वाला वर्णन है। ऐसे लोगों क...सुनीता जी दिल दहला देने वाला वर्णन है। ऐसे लोगों को तो जितनी सजा दी जाए कम है। पर अफ़सोस ये लोग हमेशा बच ही जाते है।mamtahttps://www.blogger.com/profile/05350694731690138562noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-83072669275063802382008-05-06T16:20:00.000+05:302008-05-06T16:20:00.000+05:30सुनीता जीबहुत ही मार्मिक वर्णन है। इस प्रकार का अप...सुनीता जी<BR/>बहुत ही मार्मिक वर्णन है। इस प्रकार का अपराध करने वालों को बड़ी से बड़ी सज़ा मिलनी चाहिए। ऐसे पापियों के लिए कोई भी सज़ा कम है। किन्तु हमारे समाज की व्यवस्था इतनी दोष पूर्ण है कि सब बच जाते हैं। मुझे तो लगता है कि स्त्री को यह अधिकार मिलना ही चाहिए कि अपने अपराधी को स्वयं दंड दे सके।शोभाhttps://www.blogger.com/profile/01880609153671810492noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-18544463150473272822008-05-06T14:52:00.000+05:302008-05-06T14:52:00.000+05:30जब तक समाज मे ये माना जाता रहेगा की लड़की /बेटी की...जब तक समाज मे ये माना जाता रहेगा की लड़की /बेटी की शादी करना एक कर्तव्य हैं जिसे पूरा करना हैं किसी भी तरह , किसी भी कीमत पर क्योकि बेटी बोझ हैं घर पर समाज पर तब तक ये होता ही रहेगा । कन्यादान करो , मोक्ष का रास्ता खोलो और मुक्ति पायो । जब तक बेटी दान की वस्तु , पत्नी भोग्या और बहु एक परिवार से बाहरी प्राणी रहेगी ये ही होगा । कोई किसी को जवाब नहीं दे सकता और माँगना भी बेकार ही हैं क्योकि समाज हम बनाते हैं , ये सब ढकोसले हमनी ख़ुद बनाए हैं की जाओ अब ससुराल ही तुम्हारा घर हैं । अरे जो अपनी बेटी को दूसरे घर को अपना कहने के लिये कहते हैं वह बेटी के पेर के नीचे से ज़मीन तो पहले ही निकाल लेते हैं । <BR/>ख़ुद अपने पड़ोस मे मेने ऐसा देखा हैं डॉ बेटा , डॉ बहु और उसको भी गर्भवती अवस्था मे मारा । तिहाड़ जेल मे रहे सास ससुर पति देवर नन्द नन्दोई १० साल आज फिर दूसरी शादी करके जिन्दगी बसर कर रहे हैं । लड़की के माता पीता से पूछा था आप ने पहले क्यों नहीं कुछ किया जो अब मुकदमा लड़ रहे हैं । जवाब था १० लाख देकर तो शादी की थी वापस बुला लेते तो दूसरी की कैसे करते और अब मुकदमा लड़ कर समान तो वापस मिल गया , दूसरी के काम आ जाएगा । धन्य हैं हम , हमारी सोच । <BR/><BR/>लड़की पैदा कर और कुएं मे डालAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-18338971271687653922008-05-06T14:43:00.000+05:302008-05-06T14:43:00.000+05:30Aise logo ko sare Bazar fasi deni chahiye.... sale...Aise logo ko sare Bazar fasi deni chahiye.... sale insaan nahi hai yeh insaan ki shakl mein rakshak hai.. kamine hai sale. aise logo ko zinda rehne ka koi adhikar nahitravel30https://www.blogger.com/profile/00114463185726816112noreply@blogger.com