tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post7189979177427124944..comments2023-12-02T14:56:14.755+05:30Comments on नारी , NAARI: नारि न मोहे नारि के रूपा!रेखा श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-11384138705344984262009-11-30T23:07:30.258+05:302009-11-30T23:07:30.258+05:30"नारि न मोहे नारि के रूपा" या "औरत ..."नारि न मोहे नारि के रूपा" या "औरत ही औरत की दुश्मन होती है" जैसी बातें पुरुषसत्तात्मक समाज द्वारा फैलायी गयी बातें हैं क्योंकि हमारे समाज में भाषा, मुहावरे, कहावतें, शब्दावलियाँ सब पुरुषों की बनायी हुयी हैं.<br /> परिवार के अन्दर कौन किस तरह का व्यवहार करता है, यह तो उसके पालन-पोषण और स्वभाव पर निर्भर करता है. यदि औरत का स्वभाव अच्छा नहीं है, तो वह अच्छा व्यवहार कैसे कर सकती है? हम यह नहीं कहते कि सभी औरतें अच्छी हैं और सभी पुरुष खराब. लेकिन, हमारे समाज की बनावट इस तरह की है कि सभी अवगुणों के लिये औरतों को ज़िम्मेदार ठहरा दिया जाता है, और पुरुष बच जाते हैं. <br />परिवार को तोड़ने का काम सिर्फ़ औरतें नहीं करतीं, उसके साथ पुरुष भी ज़िम्मेदार है. यदि कोई बहू घर में आकर बेटे पर अपना अधिकार जमाना चाहती है तो बेटा क्यों उसके कहने में आ जाता है. मेरे विचार से ऐसे मामलों में तो बेटे की ज़िम्मेदारी बढ़ जाती है.<br />परिवार को बनाये रखने की ज़िम्मेदारी भी सभी की होती है मैं आपकी इस बात से सहमत हूँ कि ससुराल में जाकर बहू को उसे अपना परिवार समझना चाहिये. आखिर जहाँ रहना है वहाँ सभी से अच्छा व्यवहार करके रहने से परिवार की शान्ति बनी रहती है. पर, ये सभी को सोचना चाहिये. मैं आपकी इस बात से भी सहमत हूँ कि औरतों को अपनी बुराइयाँ सबसे पहले दूर करनी चाहिये जिससे कोई उनपर ऐसे इल्जाम न लगा सके.muktihttps://www.blogger.com/profile/17129445463729732724noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-29266071579362745952009-11-30T17:00:50.967+05:302009-11-30T17:00:50.967+05:30बहुत बढिया सार्थक आलेख. निश्चित रूप से महिलायें ही...बहुत बढिया सार्थक आलेख. निश्चित रूप से महिलायें ही महिलाओं की दुश्मन होतीं है. और इस सच को सभी महिलाओं ने झेला है, झेलेंगीं.वन्दना अवस्थी दुबेhttps://www.blogger.com/profile/13048830323802336861noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-76011893436996500102009-11-30T16:31:02.623+05:302009-11-30T16:31:02.623+05:30ak sashkt aalekh .aise kai udaharn mil jayege jaha...ak sashkt aalekh .aise kai udaharn mil jayege jaha kanya ke janm lene par ghar me lakshmi aai hai yh kahkar khushiya manai jati hai .<br />kintu aanshik buraiyo ko bdha chdhakar btana smaj me arajkta failana hi hai .शोभना चौरेhttps://www.blogger.com/profile/03043712108344046108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-43570906612878821152009-11-30T16:28:06.256+05:302009-11-30T16:28:06.256+05:30रिश्तों के प्रति पसेसिवनेस हर इंसान में होती है, म...रिश्तों के प्रति पसेसिवनेस हर इंसान में होती है, महिलाओं में यह अपने पति, परुष साथी, बेटे या भाई के प्रति होता है. आदमी की रिश्तों के प्रति पसेसिवनेस पत्नी और स्त्री साथियों तक सीमित रहती है. इसके इतर लड़कियां पिता तो लड़के माँ के प्रति पसेसिव होते हैं. <br /><br />यह फ्रायड का मत है.<br /><br />---------------------<br /><br />पर अगर महिलाऐं भी व्यस्त रहें तो वे भी पुरुषों की तरह इतनी छोटी छोटी बातों पर वैमनस्य नहीं पालेंगी. यह समस्या स्त्री पुरुष की नहीं बल्कि बंद दिमाग और फालतू समय की है, खाली दिमाग शैतान का घर. दिमाग खोलना और इतना काम करना की बेकार लड़ने का तो दूर मिलने जुलने का समय ही मुश्किल से मिले.ab inconvinientihttp://limestone0km.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-80131120687427911072009-11-30T16:22:41.043+05:302009-11-30T16:22:41.043+05:30hamen sabase pahale apani kamajori ko hi door kara...hamen sabase pahale apani kamajori ko hi door karane ki disha men agrasar hona hai.रेखा श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-31782835259359893322009-11-30T15:32:15.135+05:302009-11-30T15:32:15.135+05:30स्त्रियों की आपसी ईष्या ही उनकी सबसे बडी कमजोरी ह...स्त्रियों की आपसी ईष्या ही उनकी सबसे बडी कमजोरी है ।अर्कजेशhttp://www.arkjesh.blogspot.com/noreply@blogger.com