tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post7073459011330175577..comments2023-12-02T14:56:14.755+05:30Comments on नारी , NAARI: आधुनिक बाबागिरीरेखा श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-33876916317120642262010-12-31T12:07:14.420+05:302010-12-31T12:07:14.420+05:30@ मीनाजी आपको एवं नारी ब्लॉग से जुड़े सभी मित्रों ...@ मीनाजी आपको एवं नारी ब्लॉग से जुड़े सभी मित्रों को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं..सादर।pratibhahttps://www.blogger.com/profile/05243107661736776242noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-16536212402781694822010-12-30T18:44:35.686+05:302010-12-30T18:44:35.686+05:30प्रतिभाजी मैं आपकी बात से सहमत हूँ.ईश्वर को याद कर...प्रतिभाजी मैं आपकी बात से सहमत हूँ.ईश्वर को याद करना,ईश्वर की भक्ति करना अच्छा है उसका विरोध हम नहीं करते, लेकिन भक्ति के नाम पर अपने कर्त्तव्यों से बचकर हम 'सत्संग' के नाम पर प्रतिदिन घर से भागते हैं,,जिससे हम घर की जिम्मेदारियों से बच सकें । जब उनसे पूछा जाता है कि आप घर में रहकर प्रभु भजन क्यों नहीं करतीं। उनका उत्तर होता है कि यदि हम घर में ही रहेंगी तो बस घर के काम में ही उलझी रहेंगी। मैं उनके इस सोच से तनिक भी सहमत नहीं हूँ। ऐसी महिलाएँ अपने बच्चों को भी ऐसे संस्कार देती हैं,जो घर से पलायन की प्रवृत्ति को अपनाकर ही जीवन जीते हैं। मैं अपने घर के आस-पास की अनेक महिलाओं को जानती हूँ। उन्हें समझाती भी हूँ। पर मेरी बात उन्हें कड़वे नीम जैसी लगती है। पर मुझे यह भी विश्वास है कि एक दिन उनकी समझ में आएगा अवश्य। नववर्ष की बधाई।<br />मीना अग्रवालडा.मीना अग्रवालhttps://www.blogger.com/profile/10411559782145200692noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-50691566671839484432010-12-29T20:24:43.488+05:302010-12-29T20:24:43.488+05:30एक सामाजिक बुराई के खिलाफ जोरदार आवाज -सचमुच इस बढ़...एक सामाजिक बुराई के खिलाफ जोरदार आवाज -सचमुच इस बढ़ती सामाजिक कुप्रवृत्ति का पुरजोर विरोध होना चाहिए !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-56059226677133939032010-12-29T19:46:00.685+05:302010-12-29T19:46:00.685+05:30मुझे लगत है की आज कल लोगों का झुकाव भी कुछ ज्यादा ...मुझे लगत है की आज कल लोगों का झुकाव भी कुछ ज्यादा ही इन चीजो की तरफ हो गया है और बाबा से लेकर टीवी सभी इसको भुनाने में लगे है | लोगों को खुद अपने दिमाग लगाना चाहिए |anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-90946054785491965002010-12-29T18:17:45.375+05:302010-12-29T18:17:45.375+05:30यह एक सामान्य पोस्ट है। इस विषय पर और पोस्टें भी आ...यह एक सामान्य पोस्ट है। इस विषय पर और पोस्टें भी आनी चाहिए। जिन में तथ्य भी हों।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-50390224169812547872010-12-29T15:48:20.985+05:302010-12-29T15:48:20.985+05:30Bilkul sarthak post. thank you.Bilkul sarthak post. thank you.G.N.SHAWhttps://www.blogger.com/profile/03835040561016332975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-80736863138318215632010-12-29T12:59:30.775+05:302010-12-29T12:59:30.775+05:30आप ये भी तो देखिये कि एक तरफ हम आधुनिकता के नाम पर...आप ये भी तो देखिये कि एक तरफ हम आधुनिकता के नाम पर संस्कृति और संस्कारों को भुला रहे हैं और दूसरी तरफ इन्हीं बाबाओं के सामने नतमस्तक होते जा रहे हैं. मीडिया ने तो पूरी तरह से युवा पीढ़ी को ज्योतिष, धर्म, कर्म-काण्ड में फंसा लिया है. कोई दिन ऐसा नहीं होता जब राष्ट्रीय स्तर के चैनल पर किसी दिन विशेष को किसी नक्षत्र विशेष के साथ जोड़ कर उसका विश्लेषण न किया जाता हो.<br />वैसे बाबागिरी बुरी भी नहीं है, बिना महनत के माल-पुआ, मेवे, धन, सुख सब तो है फिर युवा अपनी शक्ति देश हित में, मेहनत में क्यों खर्चे?<br /><b>जय हिन्द, जय बुन्देलखण्ड</b>राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगरhttps://www.blogger.com/profile/16515288486352839137noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-14846168840982198972010-12-29T12:14:31.553+05:302010-12-29T12:14:31.553+05:30आज बाबगिरी एक व्यापार बन गई है। कम समय में ज्यादा ...आज बाबगिरी एक व्यापार बन गई है। कम समय में ज्यादा पैसे कमाने का उत्तम साधन.<br />.<br /><br />और बाबा गिरी की दुकान अन्धविश्वासी लोगों के कारण चला करती है ...शिक्षा ही इस का हल हैएस एम् मासूमhttps://www.blogger.com/profile/02575970491265356952noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-6310457874649041532010-12-29T12:08:47.245+05:302010-12-29T12:08:47.245+05:30सही कहा जी
दोष केवल बाबाओं का नहीं, समाज भी दोषी ह...सही कहा जी<br />दोष केवल बाबाओं का नहीं, समाज भी दोषी है।<br />रोष तो जब होता है जब पढे-लिखे लोग भी इनके पांव पखारते हैं।<br /><br />प्रणामअन्तर सोहिलhttps://www.blogger.com/profile/06744973625395179353noreply@blogger.com