tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post6898218151062439655..comments2023-12-02T14:56:14.755+05:30Comments on नारी , NAARI: महिला दिवस की सार्थकता!रेखा श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-33439119722666028932009-03-10T00:32:00.000+05:302009-03-10T00:32:00.000+05:30अगर मेरी आंखें धोखा खा गई हों तो मैं तो हाथ जोड़कर...अगर मेरी आंखें धोखा खा गई हों तो मैं तो हाथ जोड़कर माफी मांगी मांगूगा पर मुझे कल महिला दिवस पर किसी भी अखबार में राष्ट्रीय महिला आयोग का विज्ञापन नहीं दिखा। रोज़ सुबह 8 अखबार पढ़ता हूं और किसी को पलटकर नहीं लगा कि राष्ट्रीय महिला आयोग को पता है कि आज महिला दिवस है। उन महिलाओं का दिवस जिनके लिये आयोग बनाया गया है और जिनकी समस्यायें दूर करने के नाम पर महिला आयोग मे बैठे लोगों की रोज़ी रोटी चल रही है। राज्य महिला आयोगों से लेकर नेशनल बुक ट्रस्ट, दिल्ली पुलिस, महिला और बाल विकास विभाग, आवास बैंक और पंजाब नेशनल बैंक की नारी शक्ति योजनाओं तक के विज्ञापन दिखे, लेकिन गिरिजा जी के राष्ट्रीय महिला आयोग का नहीं। <BR/> उम्मीद की जाती है कि महिला दिवस के दिन राष्ट्रीय महिला आयोग का विज्ञापन छपेगा, उसमें हेल्पलाइन नंबर छपेंगे, उपलब्धियां छपेंगी..वगैरह वगैरह। लेकिन सिर्फ हाई प्रोफाइल मामलों (जो टीवी पर दिखते हैं) में ही दखल देने वाला राष्ट्रीय महिला आयोग आम महिलाओं के दिन को भूल गया, शर्म की बात हो ना हो गौरव की तो कतई नहीं है। राष्ट्रीय महिला आयोग के पास मोटी तनख्वाह वाले लोगों का जनसंपर्क और प्रचार विभाग ज़रुर होगा, मोटा बजट भी होगा। लेकिन उनको याद नहीं रहा 8 मार्च को महिला दिवस होता है, संभव है संडे की वजह से याद ना रहा हो। <BR/> लेकिन बात सिर्फ विज्ञापन की नहीं है। बात है राष्ट्रीय महिला आयोग के कामकाज की। जिस काम के लिये वो बनाया गया है वहीं ना करे तो क्या फायदा उसका। मैं एक महिला को जानता हूं जो एक साल से महिला आयोग के चक्कर काट रही है, कुछ मदद नहीं मिली उसको। हाल ये है कि डाक से भेजी गई कोई शिकायत यहां दर्ज होती हो सुना नहीं। जैसे-तैसे शिकायत नंबर मिल भी गया तो जहां की शिकायत है वहां के कलेक्टर, एसपी को खत भेजकर महिला आयोग अपने कर्तव्य की इतिश्री समझ लेता है और उस पर तुर्रा ये कि आयोग इसे अपनी तरफ से की गई कार्रवाई मानता है। <BR/>कलेक्टर, एसपी ने कोई कार्रवाई की या नहीं ये आयोग यदा-कदा ही पलटकर पूछता होगा। क्या फायदा ऐसे आयोग का, जो महिलाओं के नाम पर कुछ लोगों को मोटा वेतन देने और राजनीतिक तुष्टीकरण के लिये बना हो। बंद किया जाये इसे, देश की महिलाओं के लिये महिला दिवस का तोहफा होगा ये, या फिर इसकी कमान महिलाओं के हाथ से लेकर पुरुषों के हाथ में दी जाये। राष्ट्रीय महिला आयोग का रुख देखकर लगने लगा है कि महिलाओं के मामले में शायद पुरुष ज़्यादा संवेदनशील होते हैं बनिस्मत महिलाओं के।पप्पूhttps://www.blogger.com/profile/16178019972891228830noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-74403619758162474162009-03-09T16:13:00.000+05:302009-03-09T16:13:00.000+05:30रेखा जी लेख अच्छा रहा । सब बातों पर मैं सहमत नहीं ...रेखा जी लेख अच्छा रहा । सब बातों पर मैं सहमत नहीं । महिला दिवस और आम दिवस में कोई फर्क नहीं जिनको आपने निशाना बनाया है । उन्हें तो इस दिन का पता तक न होगा । जीवन में जिस बदलाव की मैं या आप , या फिर जितने लोग बात करते हैं उसके लिए कितना प्रयास करते हैं यह आपने आप में एक सवाल है । पुरूष समाज में शासक रहा है पितृसत्तात्मक समाज इसका उदाहरण है । पर आज स्थिति कुछ बदली है लेकिन जरूरत है उन ७५ प्रतिशत के लिए काम करें जो की हम नहीं कर रहे हैं । महिलाएं पुरूषों का दोष देती हैं मैं भी मानता हूँ ये सही बात है पर उन पर जो जुल्म होता है उसके लिए कितना संघर्ष करती हैं । बुराई का साथ देना या फिर बुराई देखकर चुप हो जाना एक बराबर है ।<BR/><BR/>परिवर्तन की लहर लाने के लिए आप हम और सभी एक को मिलकर काम करना होगा तब ये बातें सच हो सकती हैं वर्ना मात्र कल्पना होगी । शुभकामनाएं।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/16883786301435391374noreply@blogger.com