tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post6770240907166448994..comments2023-12-02T14:56:14.755+05:30Comments on नारी , NAARI: धर्म, आस्था और स्त्री मुक्तीरेखा श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-55613809756137647822010-03-13T16:38:37.901+05:302010-03-13T16:38:37.901+05:30आपने जिस तरह गहरे सोच-विचार से "धर्मं,आस्था व...आपने जिस तरह गहरे सोच-विचार से "धर्मं,आस्था व स्त्री मुक्ति" जैसे गंभीर मुद्दे पर लेख लिखा है,बहुत उच्च कोटि का बन पड़ा है. वास्तव में समाज में प्रचलित इस तरह के सवाल जब बुद्धिजीवी वर्ग उठाएँगे तो उसकी गूँज दूर-दूर तक जायेगी. सर्व-विदित है कि स्त्री को कैसी मुक्ति चाहिए.संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-29797399089166507792009-03-14T01:28:00.000+05:302009-03-14T01:28:00.000+05:30बेहद विचारपूर्ण आलेख लिखा है स्वप्नदर्शी जी ने - ल...बेहद विचारपूर्ण आलेख लिखा है स्वप्नदर्शी जी ने <BR/>- लावण्यालावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-71348183489822157182009-03-14T00:08:00.000+05:302009-03-14T00:08:00.000+05:30स्वप्नदर्शीजी ,आपको सादर साधुवाद व बधाई ,आपने जिस ...स्वप्नदर्शीजी ,आपको सादर साधुवाद व बधाई ,<BR/>आपने जिस तरह गहरे सोच-विचार से "धर्मं,आस्था व स्त्री मुक्ति" जैसे गंभीर मुद्दे पर लेख लिखा है,बहुत उच्च कोटि का बन पड़ा है. वास्तव में समाज में प्रचलित इस तरह के सवाल जब बुद्धिजीवी वर्ग उठाएँगे तो उसकी गूँज दूर-दूर तक जायेगी. सर्व-विदित है कि स्त्री को कैसी मुक्ति चाहिए. वह केवल अपने लिए पूर्ण वैचारिक स्वतंत्रता चाहती है जो अभी तक संपूर्ण रूप से उसको नहीं मिली है.<BR/>१. समाज के हर क्षेत्र में प्रारंभ से पुरुषों का ही वर्चस्व रहा है. उसमे उनके द्वारा बनाई गयी व्यवस्था में महिलाओं की तांक-झांक तकपर प्रतिबन्ध रहा करता था वहीँ जब उसने कदम बढाया तो स्त्री-मुक्ति का नाम दिया. <BR/>२.वर्षों से मुख्य समाज के दायरे से अलग वो हाशिये में शोषक बनी रही तब उसकी ओर किसी ने ध्यान नहीं दिया. अब जब वो चैतन्य होकर ज्यादा योग्य होकर आगे आई तो उसको नाम रखा जाने लगा.<BR/>३.पुरोहिताई ही नहीं समाज के हर रास्ते की ओर जबसे उसके सजग कदम बढ चले तो वे उसके अशम्य अपराध बनने लगे. धीरे धीरे ही सही अब नारी शक्ति जाग्रत हो चली है. और विरोध करने वालों से साहसपूर्वक अपना लोहा मनवा रही है, अपनी पहचान बना रही है. तो बस *नारी-मुक्ति आन्दोलन या विद्रोही * नारा मिल गया है. <BR/>अलका मधुसूदन पटेलGyaana-Alka Madhusoodan Patelhttps://www.blogger.com/profile/13177952733157767138noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-48651863233519422282009-03-13T23:27:00.000+05:302009-03-13T23:27:00.000+05:30वैचारिक व संयत आलेख अच्छा लगा.वैचारिक व संयत आलेख अच्छा लगा.Kavita Vachaknaveehttps://www.blogger.com/profile/02037762229926074760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-82155282741795392882009-03-13T11:25:00.000+05:302009-03-13T11:25:00.000+05:30स्वप्नदर्शी जी, इस लेख का तो हर शब्द मोती है. पोस्...स्वप्नदर्शी जी, इस लेख का तो हर शब्द मोती है. पोस्ट की जितनी तारीफ़ की जाए उतनी कम है. आपने मुद्दे के हर पहलू को उठाया है, बखूबी उठाया है और बहुत ही संतुलित तस्वीर प्रस्तुत की है. <BR/>पक्ष-विपक्ष से परे, असल मुद्दे की बात की है आपने. न तो पुरोहित बनकर औरतों का उत्थान या शोषण होने वाला है और न ही धर्म को छोड़ देने से. दोनों से दोनों हो सकते हैं - यानी धर्म को उत्थान व शोषण दोनों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है और जाता है; इसी प्रकार धर्म का त्याग भी उत्थान व शोषण दोनों का कारण बन सकता है. उसके उदाहरण भी दिए हैं आपने. अतिउत्तम !! <BR/>मैं तो सभी से अनुरोध करूंगी कि इस पोस्ट को ध्यानपूर्वक पढें.Reemahttps://www.blogger.com/profile/11983466677054631482noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-63726448463216821532009-03-13T10:13:00.000+05:302009-03-13T10:13:00.000+05:30ek jaruri aur sulhi hui post kae liyae swapandarsh...ek jaruri aur sulhi hui post kae liyae swapandarshi ji thanksAnonymousnoreply@blogger.com