tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post667023530562703707..comments2023-12-02T14:56:14.755+05:30Comments on नारी , NAARI: कितनी बदनामी होती हैं एक परिवार कि जब एक पुरुष एक अश्लील हरकत करता हैं क्यूँ नहीं उस परिवार को कानूनन उस पुरुष को परिवार से बेदखल करने का अधिकार हो और हर्जाना लेने का भी रेखा श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comBlogger22125tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-31612992885949371112013-12-04T09:57:51.419+05:302013-12-04T09:57:51.419+05:30राजन ये ब्लॉग नारी अधिकारो के प्रति जागरूकता लाने ...राजन ये ब्लॉग नारी अधिकारो के प्रति जागरूकता लाने का प्रयास मात्र हैं आप या कोई भी अगर यहाँ रिवर्स जेंडर बायस कि बात करते है तो सहमत या असहमत कि बात नहीं होती हैं बस वाई नोट यानि क्यूँ नहीं मै कहती हूँ। <br />कोई भी नया कानून जब भी बनता हैं हम सब को लगता हैं बन ही नहीं सकता हैं लेकिन फिर भी बनता हैं आज जिस प्रकार से गे और लिस्बन को ले कर कानून बनाए जा रहे कभी इन्हे रोगी कहा जाता था रचनाhttps://www.blogger.com/profile/03821156352572929481noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-16437574382393445612013-12-04T09:57:31.479+05:302013-12-04T09:57:31.479+05:30राजन ये ब्लॉग नारी अधिकारो के प्रति जागरूकता लाने ...राजन ये ब्लॉग नारी अधिकारो के प्रति जागरूकता लाने का प्रयास मात्र हैं आप या कोई भी अगर यहाँ रिवर्स जेंडर बायस कि बात करते है तो सहमत या असहमत कि बात नहीं होती हैं बस वाई नोट यानि क्यूँ नहीं मै कहती हूँ। <br />कोई भी नया कानून जब भी बनता हैं हम सब को लगता हैं बन ही नहीं सकता हैं लेकिन फिर भी बनता हैं आज जिस प्रकार से गे और लिस्बन को ले कर कानून बनाए जा रहे कभी इन्हे रोगी कहा जाता था रचनाhttps://www.blogger.com/profile/03821156352572929481noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-43981923613826193352013-12-03T16:18:56.383+05:302013-12-03T16:18:56.383+05:30रचना जी आपके मुझसे सहमत होने से कुछ नहीं होगा।ये w...रचना जी आपके मुझसे सहमत होने से कुछ नहीं होगा।ये why not उन कानूनी पेचीदगियों का हल नहीं है ।और देखिए जैसे ही मैंने महिलाओं की बात की तो यहाँ कमेंट में कैसे बहानेबाजी भी शुरू हो गई है।ऐसे ही थोड़ा और सोचें तो और भी कई बातें निकलेगी।बलात्कार कोई अपने घरवालों की मानहानि कराने के लिए नहीं करता है।हाँ उसके सजा के साथ ही कुछ जुर्माना लगा पीडिता को दिया जाए तो बात कुछ समझ में भी आती है हालाँकि यह भी तभी संभव है जब बलात्कारी की आर्थिक स्थिति अच्छी हो।वर्ना तो यह सजा उसके घरवालों को ज्यादा मिलेगी ।वो तो जेल में बैठा बैठा रोटियाँ तोडेगा ।राजनhttps://www.blogger.com/profile/05766746760112251243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-42743123608543531112013-12-03T16:17:52.117+05:302013-12-03T16:17:52.117+05:30रचना जी आपके मुझसे सहमत होने से कुछ नहीं होगा।ये w...रचना जी आपके मुझसे सहमत होने से कुछ नहीं होगा।ये why not उन कानूनी पेचीदगियों का हल नहीं है ।और देखिए जैसे ही मैंने महिलाओं की बात की तो यहाँ कमेंट में कैसे बहानेबाजी भी शुरू हो गई है।ऐसे ही थोड़ा और सोचें तो और भी कई बातें निकलेगी।बलात्कार कोई अपने घरवालों की मानहानि कराने के लिए नहीं करता है।हाँ उसके सजा के साथ ही कुछ जुर्माना लगा पीडिता को दिया जाए तो बात कुछ समझ में भी आती है हालाँकि यह भी तभी संभव है जब बलात्कारी की आर्थिक स्थिति अच्छी हो।वर्ना तो यह सजा उसके घरवालों को ज्यादा मिलेगी ।वो तो जेल में बैठा बैठा रोटियाँ तोडेगा ।राजनhttps://www.blogger.com/profile/05766746760112251243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-83324403599879676632013-12-03T14:44:20.785+05:302013-12-03T14:44:20.785+05:30I always wait for comments from young woman like y...I always wait for comments from young woman like you, alokita and rewa because they give a insight on what young woman think and want . Its the way the the new society will work रचनाhttps://www.blogger.com/profile/03821156352572929481noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-37445740785634408702013-12-02T15:32:52.602+05:302013-12-02T15:32:52.602+05:30"जिस दिन स्त्री ने ये सोच लिया कि "उसको ..."जिस दिन स्त्री ने ये सोच लिया कि "उसको अब फर्क नहीं पड़ता " जो करेगा वो ही दोषी हैं और उसको निर्वस्त्र करके समाज का हित स्त्री कर रही हैं उस दिन समाज बदेलगा।"<br /><br />मैं सहमत हूँ, परिवार के किसी पुरुष के कारण हुई बदनामी का हर्जाना पाने का हक़ परिवार की महिलाओं को मिलना ही चाहिए… यू सी, लड़कियों के कारण कोई 'तथाकथित बदनामी' हो जाए तो परिवार वाले कैसे बदला निकाल लेते हैं… समाज़ तो हमें अपना हक़ देने से रहा…कानून का होना ही कम से कम कुछ बदल सकेगा। कम से कम समझ में तो आयेगा कि महिलाओं का मान सम्मान दरअसल है क्या। और महिलांए खुद ये समझेंगी कि उनका सम्मान सबसे पहले उनकी स्वंय की नज़रों में होना ज़रूरी है और ज़माने से तो इसे जीतकर ही हासिल किया जाता है, इसकी झूठी मर्यादों में फ़ंसकर खुद को बर्बाद करके, अग्निपरीक्षा देकर नहीं।Rashmi Swaroophttps://www.blogger.com/profile/14615276585404778659noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-66322370517797426242013-12-02T11:08:42.874+05:302013-12-02T11:08:42.874+05:30यहाँ तक कि अब तो अमीर और नौकरीशुदा या व्यापारी महि...यहाँ तक कि अब तो अमीर और नौकरीशुदा या व्यापारी महिलाएँ भी भ्रष्टाचार ,हत्या ,नौकरों का शोषण और तस्करी या सुपारी किलिंग में आने लगा है तो क्या इनके घरवाले भी ऐसा कोई क्लेम करें<br /><br /><br />why not rajan रचनाhttps://www.blogger.com/profile/03821156352572929481noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-76465035915568803602013-12-01T18:09:58.405+05:302013-12-01T18:09:58.405+05:30क्यूँ नहीं एक माँ बीवी या बहिन को ये अधिकार होना च...क्यूँ नहीं एक माँ बीवी या बहिन को ये अधिकार होना चाहिये कि वो अपने पुरुष सम्बन्धी के कारण बदनामी के लिये डिफेमेशन का केस कर सके और हर्जाना प्राप्त कर सके <br />बिल्कुल होना चाहिये. बल्कि ऐसे अधिकार को प्राप्त करने के लिये बाकायदा लड़ाई लड़े जाने की ज़रूरत है. पुरुष के रेप जैसे कांड को उसकी पत्नी बर्दाश्त कर लेती है... समझ में नहीं आता कि क्यों बर्दाश्त करती है? क्यों उसका पक्ष लेती है? यदि पत्नी ऐसी कोई हरकत करे, तो क्या पति उसे इतनी ही आत्मीयता से स्वीकार करेगा? कभी नहीं. जिस देश में केवल शक की बिना पर पत्नियों की हत्या तक कर दी जाती हो, वहां ऐसे किसी सम्बंध का क्या नतीजा होगा? मुझे तो ऐसे सभी मामलों में औरतें ही दोषी नज़र आती हैं, जो अपने घर के उन पुरुषों के खिलाफ़ कुछ नहीं करतीं जिनसे उनके मान,सम्मान, विश्वास सब को ठेस पहुंची हो. जरूरी है कि कम से कम इस मोर्चे पर तो महिलाएं एकजुटता दिखायें, तब जबकि ऐसे केस बढते ही जा रहे हों..वन्दना अवस्थी दुबेhttps://www.blogger.com/profile/13048830323802336861noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-26658684673361366362013-12-01T14:45:25.508+05:302013-12-01T14:45:25.508+05:30बात केवल मानसिकता बदलने की नहीं है।ऊपर जो रश्मि जी...बात केवल मानसिकता बदलने की नहीं है।ऊपर जो रश्मि जी ने कहा कानूनी पेचीदगियों की भी है।मानहानि क्या केवल बलात्कार के मामलों में होती है?फिर तो हर एक अपराध में ऐसा नियम होना चाहिए।यहाँ तक कि अब तो अमीर और नौकरीशुदा या व्यापारी महिलाएँ भी भ्रष्टाचार ,हत्या ,नौकरों का शोषण और तस्करी या सुपारी किलिंग में आने लगा है तो क्या इनके घरवाले भी ऐसा कोई क्लेम करें? वैसे भी कानूनन सजा होने से पहले ऐसे किसी दावे पर कोई कार्रवाही नहीं की जा सकती।ये सारे सवाल उठेंगे।वैसे भी मानहानि का मामला तकनीकी रूप से भी नहीं बनता।बलात्कारी ने जो किया उसकी सजा कानून उसे देगा लेकिन उसके घरवाले इस वजह से अपमानित महसूस करते हैं तो गलती उनकी है या यदि कोई उन्हें ताने देता है तो उनकी जैसे तेजपाल की लडकी को ट्विटर एकाउंट बंद करना पडा ।राजनhttps://www.blogger.com/profile/05766746760112251243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-33005547502790670332013-12-01T12:11:11.093+05:302013-12-01T12:11:11.093+05:30धर्म\जति\वर्ग\ लिंग से हटकर देखने लगेंगे
yes i a...धर्म\जति\वर्ग\ लिंग से हटकर देखने लगेंगे<br /><br />yes i agree रचनाhttps://www.blogger.com/profile/03821156352572929481noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-91295306477461662782013-12-01T12:08:06.284+05:302013-12-01T12:08:06.284+05:30मानवीय स्वभाव isii par to jeet hasil karnae ki sab...मानवीय स्वभाव isii par to jeet hasil karnae ki sabsey jyadaa jarurat haen <br />chahey stri ho yaa purush usko apnae basic instincts ko jeetna padtaa haen <br />naetiktaa wahaan sae hi shuru hoti haen <br /><br />aaj vichaar haen is liyae avavharik haen lekin kal agr aesa kanun ban jaaye to yae hi vyavharik hogaa <br /><br />sexual harassment kanun nahin thaa , sab kuchh मानवीय स्वभाव sae chaltaa thaa phir badlaav aayaa , aavaji uthii ki मानवीय स्वभाव ko hi badlo रचनाhttps://www.blogger.com/profile/03821156352572929481noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-75936333394852745592013-12-01T00:10:30.344+05:302013-12-01T00:10:30.344+05:30सिर्फ़ अधिकार मिल जाने से ही समस्यायें सुलझती होती ...सिर्फ़ अधिकार मिल जाने से ही समस्यायें सुलझती होती तो देश में न कहीं भूख की समस्या होती और न अज्ञान की। हमें तो अधिकार वाली थ्योरी से कर्तव्य वाली थ्योरी बेहतर लगती है। और ऐसी अपेक्षा भी सिर्फ़ औरतों से क्यों की जाये? जिस दिन हम शोषित और शोषक को धर्म\जति\वर्ग\ लिंग से हटकर देखने लगेंगे, सही न्याय तभी शुरू होगा।संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-58479419870089408942013-11-30T22:55:03.260+05:302013-11-30T22:55:03.260+05:30रचना जी
पहली बात तो ऐसे केस में ज्यादात...रचना जी <br /> पहली बात तो ऐसे केस में ज्यादातर निकट के लोग आरोप को सही नहीं मानते है , फिर वो बहिष्कार वो क्या करेंगे, दूसरी समस्या ये है की स्त्री सामाजिक , आर्थिक रूप से पति , पिता भाई के ऊपर निर्भर है , वो उसके खिलाफ कैसे जा सकती है , इस मामले को छोड़ दे तो आरोपी के जेल जाते ही उसके आर्थिक स्थिति उलटा ख़राब हो जाती है उससे क्या मुआवजा लेगा कोई , इस केस की बाते करे तो तेजपाल की पत्नी बेटी बहन का रुतबा ही समाज में इसलिए है क्योकि वो तेजपाल के रिश्तेदार है , तेजपाल का बहिष्कार का अर्थ हुआ की अपने रुतबे को छोड़ देना जो उनके लिए मुकशन का सौदा होगा , वो जानेगे तो भी उसको नहीं छोड़ेंगे , इसलिए ये सम्भव ही नहीं है । फिर इसमे एक बात और है की जब तक क़ानूनी रूप से कोई अपराध साबित न हो जाये ( परिवार के लिए तो उसके बाद भी वो निर्दोष ही होता है ) तब तक उससे ऐसी किसी चीज कि मांग नहीं की जा सकती है , और कोर्ट केस से आप जानती ही है आधी आयु निकाल देता है । इसलिए ये एक अच्छा विचार हो कर भी व्यवहारिक नहीं है , और न ही मानवीय स्वभाव के हिसाब से काम कर पायेगा । anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-90750302427496109422013-11-30T18:53:40.054+05:302013-11-30T18:53:40.054+05:30Waise bhi himmat se jeena hi zindagi hai...comprem...Waise bhi himmat se jeena hi zindagi hai...compremise karke ya Sacrifice karke jeena marne ke barabar hai. Aur main ghut-ghutkar jeene ko zindagi nahi manti. Pahle koi kaam karo, use sacrifice kahna aur fir baad mein dil ko khush rakhne ke liye use CHOICE ka name dena...It's just showing DIL KO KHUSH RAKHNE KE LIYE GALIB YE KHAYAL ACHCHA HAI....kintu under se ghutan bhari zindagi. रेवा स्मृति (Rewa)https://www.blogger.com/profile/13005191329618003468noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-3299772094480338272013-11-30T18:49:11.152+05:302013-11-30T18:49:11.152+05:30Another virus degenerating us is ‘log kya kahenge’...Another virus degenerating us is ‘log kya kahenge’? Stop living with the dilemma 'log kya kahenge, samaaj kya bolega'! A woman who is regularly ill-treated by her near and dear one, is unable to come out of the nightmare just because she is worried about log kya kahenge if she tries to break the shackles of cruelty? I personally do not care what people say! Who are these people to tell us what is right for the society and what is wrong for us? I tell you, the day we come out of the attitude "log kya kahenge", we actually start living life. This is our freedom as well as our honor and we have to respect it. रेवा स्मृति (Rewa)https://www.blogger.com/profile/13005191329618003468noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-76914673768572522862013-11-30T15:15:27.273+05:302013-11-30T15:15:27.273+05:30 दूर क्यों जाएँ ? हाल ही में हुए तरुण तेजपाल के म... दूर क्यों जाएँ ? हाल ही में हुए तरुण तेजपाल के मामले में उनकी पत्नी और बेटियां साथ है। हो सकता है कि उनकी नजर में ये अपराध न हो। अगर इस तरह शिकायतें लड़कों की किशोर होने पर माँ के पास आती हैं तो वह अपने बेटे को कम ही डांटती है , उलटे दूसरे पक्ष को कुसूरवार बताने लगती है। कई बार दबंग पति के चलते उनकी पत्नियां विरोध करना तो दूर पीड़िता के शिकायत पर उसको भगा देती हैं। जब कि कोई भी महिला अपने पति की इस दृष्टि से किसी दूसरे के प्रति आकर्षित होते सहन नहीं कर सकती है। अभी इस समाज में माँ , पत्नी , बहन और बेटी विरोध करने के लिए मानसिक तौर पर तैयार नहीं हुई हैं यही क्या कम है कि अब पीड़िताओं ने बड़े लोगों की इस हरकत के प्रति मुंह खोलना शुरू कर दिया है। ऐसे लोगों के कर्म सामने आने पर लाख वे उसको गलत आरोप या फिर फंसाने की दलील देते रहें अपना सम्मान खो देते हैं। कानूनन भले ही उनको प्रताड़ित न किया जा सके लेकिन ऐसी छवि वाले लोग समझ में आ ही जाते हैं। घर वाले कब उनका बहिष्कार कर पाएंगे ये बता पाना अभी बहुत मुश्किल है। रेखा श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-25978222537108414252013-11-30T15:06:24.793+05:302013-11-30T15:06:24.793+05:30achha haiachha haicharansinghrajputhttps://www.blogger.com/profile/08230006786575094592noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-23097358254319134912013-11-30T13:36:02.239+05:302013-11-30T13:36:02.239+05:30रश्मि जिस समाज में नारी का सम्मान उसके पति से होता...रश्मि जिस समाज में नारी का सम्मान उसके पति से होता हैं उस समाज में वो अपने पति के विरोध में तभी जा सकती हैं जब उसको ये समझ आये कि उसका अपना भी " कोई मान " हैं जिसकी " हानि " हुई हैं <br /><br />the law should provide not only equal status but also a security that they can claim compensation if defamed due to act of man folk of the family रचनाhttps://www.blogger.com/profile/03821156352572929481noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-74389736923398677742013-11-30T13:16:17.026+05:302013-11-30T13:16:17.026+05:30स्त्रियों को ऐसे पुरुषों का बहिष्कार तो जरूर करना ...स्त्रियों को ऐसे पुरुषों का बहिष्कार तो जरूर करना चाहिए. उनके बचाव में नहीं आना चाहिए .माँ-पत्नी-बहन-पुत्री ,ये लोग ही अगर उस से किनारा कर लें तो पुरुष को बहुत चोट पहुंचेगी और दुसरे पुरुषों को भी सबक मिलेगा . पर बहुत सारे vested interests होते हैं.इस वजह से परिवार के लोग अपराधी का साथ देते हैं. उनकी भी समाजिक प्रतिष्ठा दांव पर लगी होती है . और अपराधी को निर्दोष बता कर अपनी झूठी प्रतिष्ठा बचाने की झूठी कोशिश करते हैं. भले ही अकेले में उन्हें जितना भला-बुरा कहें क्यूंकि असलियत उन्हें भी पता होती है. <br />एक पुलिस ऑफिसर (नाम नहीं याद आ रहा ) जिनपर एक जर्नलिस्ट की ह्त्या का आरोप था .(क्यूंकि उसके साथ उनका अवैध सम्बन्ध था और एक संतान भी थी ) .उनका केस उनकी वकील पत्नी ने लड़ा ...पब्लिक में तो वे उन्हें निर्दोष बतातीं पर जब जेल में उनसे केस डिस्कस करतीं तब उन्हें दोषी ठहरातीं और बहुत भला-बुरा कहतीं .अन्दर से सबको सच्चाई पता रहती है,पर समाज के सामने इसे कुबूल करना आसान नहीं होता .<br /><br />मानहानि का मुकदमा एक अच्छा आइडिया है ,पर व्यावहारिक नहीं . कानून में इतनी सारी पेचीदगियां होती हैं कि ऊन्हे लागू करना बहुत मुश्किल होता है. ऐसे व्यक्ति का बहिष्कार ही शुरू कर दें, वो ही बड़ी बात होगी. पर ऐसा होता अभी दिखता नहीं. क्लिंटन के साथ भी उनकी पत्नी और बेटी खड़ी थीं. तेजपाल की बेटियाँ और पत्नी भी पब्लिकली विरोध न करतीं कम से कम चुपचाप तो रहतीं. पर वे तो पूरे समाज के सामने , सार्वजनिक रूप ऐसे व्यक्ति के साथ खड़ी हो अपन सहयोग दिखा रही हैं. rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-38779666094427065712013-11-30T12:33:07.478+05:302013-11-30T12:33:07.478+05:30आलोकिता
मानहानि का अधिकार कानून मिलते ही सबसे बड़ी ...आलोकिता<br />मानहानि का अधिकार कानून मिलते ही सबसे बड़ी बात होंगी कि कि स्त्री का अपना "दर्जा" होगा उसके "मान " कि जो " हानि " हुई हैं उसकी भरपाई होनी चाहिये<br /><br />अभी जो ये कहा जाता हैं पत्नी का सम्मान पति से होता हैं उसको बदलने का समय हैं क्युकी पत्नी का एक अपना सम्मान हैं जिसका अपमान उसके पति कि निकृष्ट हरकतो से भी होता हैं तो वो मान हानि के दावे में क्यूँ नहीं आना चाहिये<br /><br />अच्छा लगा मेरी छोटी सी बिटिया मेरे विचारो से सहमत हैं रचनाhttps://www.blogger.com/profile/03821156352572929481noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-47355794341577035232013-11-30T12:20:16.853+05:302013-11-30T12:20:16.853+05:30और सिर्फ कानून में संसोधन या नए आयाम जोड़ देना काफ...और सिर्फ कानून में संसोधन या नए आयाम जोड़ देना काफी नहीं उससे कहीं ज्यादा अहम् है हमारे तथाकथित "संस्कारों" में परिवर्तन लाना।<br />हर भारतीय औरत को 'भला है बुरा है जैसा भी है मेरा पति मेरा देवता है' वाले सोच से ऊपर उठना होगा। हर माँ को अपने बेटे को यदि वह अपराधी हो जाए तो उसे त्यागने का साहस रखना होगा वरना बाकी कानूनों की तरह हीं इस कानून का कोई फायेदा नहीं होगा।Alokita Guptahttps://www.blogger.com/profile/09633732245477861725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-20330853543395509292013-11-30T12:05:59.909+05:302013-11-30T12:05:59.909+05:30बिल्कुल सही हर स्त्री को यह अधिकार होना चाहिए कि व...बिल्कुल सही हर स्त्री को यह अधिकार होना चाहिए कि वह अपने परिवार के किसी भी यौन अपराधी पुरुष से कानून सम्बन्ध विच्छेद कर के अपनी बदनामी का हर्जाना ले सके।<br />हमारे पुरुष प्रधान समाज में हमेशा से हीं दुराचार करने वाले पुरुष से अधिक भुक्त-भोगी स्त्री को हीं उपेक्षित माना जाता है, समाज में उसे हीं हेय दृष्टी से देखा जाता है। कमसकम अब तो हमें न्याय संगत दृष्टी से देखते हुए उन कुकर्मी पुरुषों को परिवार और समाज से बहिष्कृत किया जाना चाहिए। Alokita Guptahttps://www.blogger.com/profile/09633732245477861725noreply@blogger.com