tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post6431950167260836954..comments2023-12-02T14:56:14.755+05:30Comments on नारी , NAARI: काश बाबा साहिब जी ये भी लिख जाते संविधान में की रेप या बलात्कार या यौन शोषण जैसा शब्द भारत जैसे देश में इस्तमाल नहीं होगा और ना ही ये अपराध माना जायेगा। रेखा श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-59827397793384377152013-08-26T22:52:31.596+05:302013-08-26T22:52:31.596+05:30हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल {चर्चामंच} के शुभारंभ पर आपको...<a href="http://hindibloggerscaupala.blogspot.com/" rel="nofollow">हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल {चर्चामंच}</a> के शुभारंभ पर आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आप को चर्चाकार के रूप में शामिल किया जाता है। आपको किस दिन चर्चा करनी पसंद है। और <a href="http://hindibloggerscaupala.blogspot.com/" rel="nofollow">हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल </a> की पहली चर्चा <a href="http://hindibloggerscaupala.blogspot.com/" rel="nofollow">हिम्मत करने वालों की हार नहीं होती -- हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल चर्चा : अंक-001</a> में आपका सह्य दिल से स्वागत है। कृपया पधारें, आपके विचार मेरे लिए "अमोल" होंगें | आपके नकारत्मक व सकारत्मक विचारों का स्वागत किया जायेगा | सादर .... Lalit ChaharAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-72584155393623637752013-08-26T11:44:16.271+05:302013-08-26T11:44:16.271+05:30प्रकृति ने सभी पशुओं के भीतर विपरीत लिंग के प्रति ...प्रकृति ने सभी पशुओं के भीतर विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण और उत्तेजना की प्रवृत्ति स्थापित कर रखी है। लेकिन मनुष्य योनि में पैदा होने के बाद बुद्धि और विवेक की जो अतिरिक्त थाती प्रकृति ने हमें सौंपी है उसके कारण ही हम सभ्य कहलाते हैं और दूसरे पशुओं से अलग एक अनुशासित और सामाजिक मूल्यों से आबद्ध जीवन जीते हैं। यही मूल्य हमें पशुओं से अलग करते हैं और मानव बनाते हैं। जिनके भीतर पशुता की मात्रा अधिक है वे यौन अपराध करने और समाज में दुर्व्यवस्था फैलाने को अग्रसर होते हैं। ऐसे पशुओं का समय से बंध्याकरण कर देने का कर्तव्य इस सभ्य समाज के प्रत्येक सदस्य का है।<br /><br />पूरी बात यहाँ है...<br />http://tootifooti.blogspot.com/2013/08/blog-post_25.htmlसिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-33060878261093877372013-08-26T10:53:41.681+05:302013-08-26T10:53:41.681+05:30"कब बाबा मरे कब भये परेत"...काहे बेकार म..."कब बाबा मरे कब भये परेत"...काहे बेकार में बेचारे बाबा को खींच रही हैं इस सनातन पचड़े में। अपने देश में अंधी सरकारें हैं! चौरासी कोस की परिक्रमा, जो किसी त्यौहार और पर्व की तरह है उस पर तो सेना की छावनी बना देते हैं मानो हिन्दू न हो गए आतंकवादी हों। लेकिन महिलाओं की सुरक्षा के नाम पर कुछ नहीं करेंगे! बलात्कार होता है तो होता रहे ! <br /><br />मुम्बई रेप की पत्रकार तो बेचारी निर्दोष , थी लेकिन कुछ महिलाएं गंदे पुरुषों के चिन्हित हो जाने पर भी , उनकी पहचान हो जाने पर भी , उनसे सम्बन्ध नहीं तोड़तीं। ऐसी महिलाएं अपने बच्चों को सही शिक्षा और मार्गदर्शन नहीं दे पातीं और उनके ही परिवार की बच्चियां दुर्घटना का शिकार होती हैं !<br /><br />ज्यादातर पुरुषों की फितरत ही होती है--चाटना ....महिलाओं को चाहिए कि सतर्क रहे और इन लोगों की बदनीयती भांपते ही चप्पलों से इनकी धुनाई कर दें! सावधानी हटी , दुर्घटना घटी। <br /><br />बदनीयत पुरुष हर जगह मिलेंगे , एक ढूंढो चार मिलेंगे! मुम्बई में , दिल्ली में , शिक्षण संस्थाओं में और ब्लौग-जगत में, हर जगह मिलते हैं ऐसे कापुरुष!ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-4703074261917025992013-08-26T09:48:26.772+05:302013-08-26T09:48:26.772+05:30मुंबई के एसपी के नेता जी ने कहा की महिलाए सोने के ...मुंबई के एसपी के नेता जी ने कहा की महिलाए सोने के समन होती है उन्हें घर में छुपा कर रखना चाहिए नेता जी की बहु है अभिनेत्री आशिया टाकिया , उनके बेटे बहु पहले भी उनकी इस तरह की बातो से असहमत हो चुके है , तो ऐसे लोगो की बात पर ध्यान ही नहीं देना चाहिए , जब सरकारों प्रशासन का रैवैया ये है की अपराध एक सा किन्तु अपराधी के खिलाफ उसकी हैसियत रुतबे के हिसाब से व्यवहार तो अपराध कैसे नियंत्रण में होगा , मुंबई के अपराधी गिरफ्तार हो गए , किन्तु आशाराम जैसे की गिरफ्तारी तो दूर की बात पूछ ताछ के लिए भी इतने दिनों बाद ससम्मान समन दिया गया है की १० दिन बाद हाजिर हो उनसे पूछ ताछ होगी , इससे किसके हौसले बुलंद होंगे , कहा गया सविधान में कानून की नजर में समानता की बात,सविधान और कानून दोनों का ही कोई मतलब नहीं रह गया है । <br />anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-82595486080664369592013-08-26T09:16:05.687+05:302013-08-26T09:16:05.687+05:30कभी कभी सोचता हूँ कि बलात्कार के लिए महिला के कपडो...कभी कभी सोचता हूँ कि बलात्कार के लिए महिला के कपडों को दोषी बताने वाले के स्वयं की घर परिवार की महिलाएँ क्या सोचती होंगी।राजनhttps://www.blogger.com/profile/05766746760112251243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-81234406220398827362013-08-25T19:44:37.459+05:302013-08-25T19:44:37.459+05:30पहली बात कि सम्विधान के लिये एक ड्राफ्टिंग कमेटी ...पहली बात कि सम्विधान के लिये एक ड्राफ्टिंग कमेटी थी, दूसरी बात कि आदरणीय़ बाबा साहब की कितनी बातों पर अमल हो रहा है. इन्डियन इवीडेंस एक्ट में बदलाव की जरूरत है, कानून में संशोधन की जरूरत है, मुकदमे की समय सीमा फिक्स करने की जरूरत है, अधिकारियों को दिये गये प्रोटेक्शन की जरूरत है और यह सब ऊपर से नीचे की ओर होता है न कि नीचे से ऊपर की ओर.भारतीय नागरिक - Indian Citizenhttps://www.blogger.com/profile/07029593617561774841noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-52722284859507469362013-08-25T12:59:18.332+05:302013-08-25T12:59:18.332+05:30.
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@ काश बाबा साहिब जी ये भी लिख जाते संविधान ....<br />.<br />.<br /><br /><b>@ काश बाबा साहिब जी ये भी लिख जाते संविधान में की रेप या बलात्कार या यौन शोषण जैसा शब्द भारत जैसे देश में इस्तमाल नहीं होगा और ना ही ये अपराध माना जायेगा। </b><br /><br />बाबा साहब तो यह भी लिख गये संविधान में कि कानून की नजरों में सब बराबर होंगे... पर <a href="http://praveenshah.blogspot.com/2013/08/blog-post.html" rel="nofollow">अब समय बदल गया है दोस्तों ! </a><br /><br /><br /><br />...<br /><br />प्रवीण https://www.blogger.com/profile/14904134587958367033noreply@blogger.com