tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post6088482866209375707..comments2023-12-02T14:56:14.755+05:30Comments on नारी , NAARI: विज्ञापन मे नारी -- क्यूँ ??रेखा श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-47464765944047147562010-03-10T17:23:03.754+05:302010-03-10T17:23:03.754+05:30sahi kaha hai.....sahi kaha hai.....संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-35942160573284036732009-04-28T16:11:00.000+05:302009-04-28T16:11:00.000+05:30शायद इसलिए ही पुरूष ही नहीं परोक्ष रूप में नारी भी...शायद इसलिए ही पुरूष ही नहीं परोक्ष रूप में नारी भी वैसा दिखने के लिए उसकी ओर आकर्षित होती है। वैसे यह मेरा विचार मात्र है, जरूरी नहीं कि सब लोग इससे सहमत हों।<br /><br />----------<br /><A HREF="http://sciblogindia.blogspot.com/" REL="nofollow">S.B.A.</A> <br /><A HREF="http://tasliim.blogspot.com/" REL="nofollow">TSALIIM.</A>adminhttps://www.blogger.com/profile/09054511264112719402noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-88012801216331215492009-04-28T10:20:00.000+05:302009-04-28T10:20:00.000+05:30नारी को तीव्रता से समझ आने लगा है कि उसका सौंदर्य ...नारी को तीव्रता से समझ आने लगा है कि उसका सौंदर्य बिकाऊ है, अत: होड़ लगी है प्रदर्शन की। किसी को भी और कोई भी किसी का शरीर प्रदर्शित नहीं कर सकता जब कि हम ही कतार में नहीं लगे हों। नारी को पुरुष की कमजोरी का फायदा नहीं उठाना चाहिए। समाज को विकृति से बचाना भी नारी का ही कार्य है।अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-89207439468907798392009-04-28T08:17:00.000+05:302009-04-28T08:17:00.000+05:30नारी पहले अपने दिमाग से इस बात को निकाल दे कि उसकी...नारी पहले अपने दिमाग से इस बात को निकाल दे कि उसकी हर स्थिति के पीछे पुरुष का हाथ है....बस सभी सवालों के जवाब मिल जायेंगे। <br /><br /><br />डॉ० कुमारेन्द्र सिंह सेंगर <br />सवाल ये नहीं हैं की विज्ञापन मे नारी अपनी मर्ज़ी से हैं या नहीं , सवाल ये हैं की ऐसा कब और किन कारण से शुरू हुआ । समस्या का उद्गम क्या हैं ।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-63821047849302145562009-04-27T22:30:00.000+05:302009-04-27T22:30:00.000+05:30एक बार मैं दिल्ली में सड़क पर चल रहा था। मेरे आगे ...एक बार मैं दिल्ली में सड़क पर चल रहा था। मेरे आगे एक महिला चल रही थी, जो काफी बनी-ठनी थी। उसके आगे एक और महिला चल रही थी, जिसने पीछे मुड़कर दो बार देखा। एक महिला दूसरी महिला की सुंदरता पर दो बार पीछे मुड़कर देख सकती है। लेकिन पुरुष कितना भी "हैंडसम" हो जाये, कोई उसे पीछे मुड़कर नहीं देखता/देखती।<br /><br />मुझे ऐसा लगता है कि महिलाएँ सुंदरता का प्रतीक होती हैं। इसीलिये विज्ञापनों में उन्हें बार-बार दिखाया जाता है, फिर चाहे चड्डी बेचनी हो या सिगरेट।<br /><br />दूसरी ओर भारतीय पुरुषों का महिलाओं को घूर-घूर कर देखना भी विज्ञापनों में महिलाओं को दिखाने का कारण हो सकता है।Anil Kumarhttps://www.blogger.com/profile/06680189239008360541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-58103202764328066422009-04-27T22:11:00.000+05:302009-04-27T22:11:00.000+05:30इस विषय पर नारियों को सुनने की यदि हिम्मत हो तो अप...इस विषय पर नारियों को सुनने की यदि हिम्मत हो तो अपनी कलम चलायें अन्यथा यहाँ भी नारी सशक्तिकरण को रोकने की तोहमत लगेगी और पुरुष समाज के द्वारा हम पर भी यह आरोप लगेगा कि पुरुष ही नारी की मजबूरी का फायदा उठाकर उसे बाजार में नंगा खड़ा करता है। नारी पहले अपने दिमाग से इस बात को निकाल दे कि उसकी हर स्थिति के पीछे पुरुष का हाथ है....बस सभी सवालों के जवाब मिल जायेंगे। <br />(वैसे आप कहें तो इस विषय पर भी पर्याप्त चिंतन कर चुके हैं, आपको सामग्री भेज सकते हैं पर पढ़ने के लिए पूर्वाग्रह रहित होना पड़ेगा।)राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगरhttps://www.blogger.com/profile/16515288486352839137noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-43056414745119954902009-04-27T21:47:00.000+05:302009-04-27T21:47:00.000+05:30अब खरीदने की क्षमता पुरुषों के हिस्से से निकलकर मह...अब खरीदने की क्षमता पुरुषों के हिस्से से निकलकर महिलाओं के पास भी खूब पहुंची है। टेलीविजन पर सिर्फ अंतवर्स्त्रों में दिख रहे पुरुषों को देखकर इसे समझा जा सकता है।Batangadhttps://www.blogger.com/profile/08704724609304463345noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-75703671800101345592009-04-27T21:05:00.000+05:302009-04-27T21:05:00.000+05:30दिनेश जी से सहमत.दिनेश जी से सहमत.L.Goswamihttps://www.blogger.com/profile/03365783238832526912noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-74234222679731950802009-04-27T19:52:00.000+05:302009-04-27T19:52:00.000+05:30अब नारी सौंदर्य भी बना एक बाजार।
बिकते तब सामान जब...अब नारी सौंदर्य भी बना एक बाजार।<br />बिकते तब सामान जब नारी करे प्रचार।।<br /> <br />सादर <br />श्यामल सुमन <br />09955373288 <br />www.manoramsuman.blogspot.com<br />shyamalsuman@gmail.comश्यामल सुमनhttps://www.blogger.com/profile/15174931983584019082noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-44365607492039146842009-04-27T19:02:00.000+05:302009-04-27T19:02:00.000+05:30विज्ञापन में नारी इसलिए क्यों कि दुनियाँ में वस्तु...विज्ञापन में नारी इसलिए क्यों कि दुनियाँ में वस्तुओं को खरीदने की अधिकांश क्षमता पुरुषों के पास है।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.com