tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post5779227039746117790..comments2023-12-02T14:56:14.755+05:30Comments on नारी , NAARI: पति पत्नी और वो यानि गलती बलिदान व्यभिचाररेखा श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comBlogger21125tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-39943678051782818702011-02-22T13:32:23.653+05:302011-02-22T13:32:23.653+05:30hamara samaj stri aur purush se milkar to jarur ba...hamara samaj stri aur purush se milkar to jarur baba hai ,par sare adhikar purushon ne le liye jinme unke kukritya ke bhi adhikar maaf me aa gaye aur ek stri jo kisi bhi krity ke liye kisi tarah se samaj ke nazron me najayaj ho kamjor hone ke karam bhugnbhogi thahraaai jati hai jisme ek stri hi stri ko dosh deti ha jiska sabse bada karan hai mansikta ka sahi vikash ka na hona.....aaj bhi ek stri yadi har galat kaam ke liye vidroh par aa jaye to jarur badlega samaj ...डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) https://www.blogger.com/profile/00271115616378292676noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-72306809978149132852010-11-12T18:28:25.592+05:302010-11-12T18:28:25.592+05:30vicharniy postvicharniy postसंजय कुमार चौरसियाhttps://www.blogger.com/profile/06844178233743353853noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-64712575951936534752010-11-12T13:59:01.821+05:302010-11-12T13:59:01.821+05:30यहाँ रेखा जी से सहमति बनती है की बहुत सी महिलाएं प...यहाँ रेखा जी से सहमति बनती है की बहुत सी महिलाएं पता लगने के बाद दिल से तो कभी स्वीकार नहीं कर पाती होंगी.परन्तु विरोध नहीं कर पाती है.फिर भी जो महिलायें शिक्षित है,आर्थिक रूप से समर्थ है,इस तरह के कानूनों की जानकारी रखती है कम से कम उनसे तो उम्मीद की जानी चाहिए की वे क्षमताभर विरोध करे इस सम्बन्ध में क़ानून की मदद लें ऐसे में वे भी यही कहें की हमारे समाज का ढांचा ही स्त्री विरोधी है,पुरुष की मानसिकता ही ऐसी है,कोई साथ ही नहीं देता सब ठीक है परन्तु हे देवियों ये सारी समस्याएँ है इसीलिए ही तो कानूनों की जरुरत पडी है.अब आप क्या ये इन्तेजार कर रही है की जब ये सभी समस्याएँ दूर हो जायेंगी तब आप कोई कदम उठाएंगी.वैरी गुड.अब ज्यादा नहीं कहेंगे वरना भाई लोग कहेंगे की परिवार तोड़ने की बात कर रहे हो.वैसे भी परिवार हर हाल में बने रहने चाहिए प्रेम और विश्वास के मजबूत धागों से जुड़कर न सही समझोते (केवल पत्नी द्वारा ) के फेविकोल से ही.'वो' तो कुछ करे न करे तो भी चारों तरफ से लानत मलानत झेलती ही रहती है.पत्नी भी ऐसे रिश्ते में घुट घुट कर जीती रहती है.हो सकता है कोई सुहानी सुबह आये और सब कुछ ठीक हो जाये लेकिन इससे पहले इस तरह की सोच रखने वाले पतियों की तो........हा हा हा ...हुण मौजा ही मौजा.राजनhttps://www.blogger.com/profile/05766746760112251243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-85927526729594312532010-11-11T16:02:39.771+05:302010-11-11T16:02:39.771+05:30vichaarneey...badhiya mudda uthaya hai aapne.vichaarneey...badhiya mudda uthaya hai aapne.arvindhttps://www.blogger.com/profile/15562030349519088493noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-36426074271172114932010-11-11T15:24:51.274+05:302010-11-11T15:24:51.274+05:30विचार शून्य जी की ये बात सही है की चाहे समाज के नि...विचार शून्य जी की ये बात सही है की चाहे समाज के नियम हो या कानून के वो सिर्फ कमजोरो के लिए होते है और रेखा जी की बात भी सही है की नैतिकता के सारे नियम केवल माध्यम वर्ग पर ही लागु होते है और आप से भी सहमत हु की चाहे समाज के नियम हो या नैतिकता की बात सब कुछ व्यक्ति अपने हिसाब से प्रयोग करता है | एक सर्वे में पढ़ा था की ८०% पत्निया पति के एक बार की गई नैतिक भूल को वो बड़े आराम से माफ़ कर देंगी | यही वजह है की पति इस तरह के सम्बन्ध बानाने में थोडा कम हिचकते है क्योकि उन्हें पता है की वह जब चाहे वहा से लौट कर अपने घर आ सकते है पर इसका उल्टा सोचे कोई पत्नी इस बात का ख्याल भी दिमाग में लाये तो वो पाप बन जाता है | कोई झुटा आरोप भी लगा दे तो भी उसे अपनी पवित्रता साबित करनी पड़ती है सभी के सामने |<br /><br />@ऐसी बहुत सी विवाहित स्त्रियो हैं जहाँ बच्चे होने के बाद पति पत्नी मे दैहिक सम्बन्ध ना के बराबर हो जाते है । कामकाजी पत्नी या घर गृहस्थी मे उलझी पत्नी अपने पति कि ज़रूरतों को भूल जाती हैं और फिर पति बाहर जाता हैं , तो क्या ऐसी पत्नी पर समाज मे अनैतिकता को बढ़ावा देने का दोष नहीं लगना चाहिए ??<br /><br />बस आप की इस बात से सहमत नहीं हु | मेरे नजर में किसी भी अनैतिक सम्बन्ध को कभी भी किसी भी कारण से सही नहीं ठहराया जा सकता है ये सारे बहाने दूसरो को धोखा देने के लिए होते है ये सम्बन्ध पति पत्नी में से कोई भी बनाये वो गलत है | ये संभव है की पति या पत्नी के रहते किसी दूसरे के प्रति आकर्षण हो ऐसे स्थिति में या तो खुद को नियंत्रित कीजिये या फिर अपने जीवन साथी से अलग हो कर उससे कोई सम्बन्ध बनाइये |anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-11069110422828677822010-11-11T14:20:43.794+05:302010-11-11T14:20:43.794+05:30सच्चाई तो यही है कि पुरुष प्रधान इस समाज में आज भी...सच्चाई तो यही है कि पुरुष प्रधान इस समाज में आज भी नारी को उसका स्थान नहीं मिल पाया है ,हाँ बहुत हद तक सुधार अवश्य हुआ है!<br />इस दिशा में आपके ब्लॉग का योगदान सराहनीय है ! दुनियाँ को एक दिन अपनी आँखे खोलनी ही पड़ेगी !<br />-ज्ञानचंद मर्मज्ञज्ञानचंद मर्मज्ञhttps://www.blogger.com/profile/06670114041530155187noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-40166132862311030782010-11-11T13:33:22.808+05:302010-11-11T13:33:22.808+05:30आदरणीय सभ्य समाज के नागरिक जन,
सबको मेरा प्रणाम,
...आदरणीय सभ्य समाज के नागरिक जन,<br /><br />सबको मेरा प्रणाम,<br />मुद्दा बहुत ही बढ़िया हैं मगर सिर्फ पुरुष ही दोषी क्यों। अगर एक विवाहित पुरुष किसी महिला ( चाहे वो विवाहित हो या अविवाहित) से सम्बन्ध बनाता हैं तो क्यों बनाता हैं, और महिला इसके लिए राजी ही क्यों होती हैं, गलती दोनों कि ही हैं और मेरे समझ से दोनों को ही ऐसा करने से बचना चाहिए। <br /><br />इसी विषय पर मैंने एक पोस्ट भी लिखी हैं, तू बेवफा क्यों ? - तारकेश्वर गिरी.Taarkeshwar Girihttps://www.blogger.com/profile/06692811488153405861noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-22014178462576437582010-11-11T10:35:57.875+05:302010-11-11T10:35:57.875+05:30पुरुष प्रधान होने के कारण हमारे समाज में नैतिक मू...पुरुष प्रधान होने के कारण हमारे समाज में नैतिक मूल्य सदा से एकतरफा रहे हैं ...<br />घर टूटने में जिस भी पक्ष की जिम्मेदारी हो , दोषी स्त्री ही कहलाती है ...कटु सत्य है ..<br />विचारणीय पोस्ट !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-33282180026090317972010-11-11T00:01:48.474+05:302010-11-11T00:01:48.474+05:30नैतिक मूल्य समाज व्यवस्था के साथ बदलते हैं। हमारा ...नैतिक मूल्य समाज व्यवस्था के साथ बदलते हैं। हमारा समाज आज भी पुरुष प्रधान ही है। पुरुष प्रधानता को नष्ट होना चाहिए।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-89850501303014714642010-11-10T23:50:31.466+05:302010-11-10T23:50:31.466+05:30कौन ... नैतिकता से वास्ता रखता है भारत में. हर व्य...कौन ... नैतिकता से वास्ता रखता है भारत में. हर व्यक्ति की नैतिकता की परिभाषा अपनी सुविधानुसार तोड़-मरोड़-बदल ली जाती है. हम ढ़ोंग करते हैं, दिखावा करते हैं और गाली देते हैं पश्चिमी देशों को, लेकिन कई मायनों में वे अधिक नैतिक हैं बनिस्बत हमारे... आजादी के बाद नैतिकता नाम की चिड़िया लुप्त हो गयी है...भारतीय नागरिक - Indian Citizenhttps://www.blogger.com/profile/07029593617561774841noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-55969098433174570922010-11-10T23:19:16.602+05:302010-11-10T23:19:16.602+05:30यह बहुत अफसोसजनक है की समाज में आज भी बडी से बडी ग...यह बहुत अफसोसजनक है की समाज में आज भी बडी से बडी गलती करने पर भी पुरुषों को कोई सजा नहीं मिलती ........ जहाँ तक बात वो की है कभी कभी अपने रिश्ते की दरारे छुपाने के लिए दूसरी महिला पर आक्षेप लगाये जाते हैं..... यह महिला कोई विधवा, परित्यक्ता या अविवाहित महिला हो तो लोग आसानी से इन बातों का विश्वास भी कर लेते हैं...... ना जाने क्यों..... डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-79364132168799623612010-11-10T21:31:43.924+05:302010-11-10T21:31:43.924+05:30विषय ज्वलंत है और इस पर बहस होना भी अनिवार्य और सा...विषय ज्वलंत है और इस पर बहस होना भी अनिवार्य और सार्थक है. समाज किससे बना है ? स्त्री और पुरुष से , इसकी संरचना में पुरुष को अधिक अधिकार और छूट दे दी गयी थी और उसके लिए सब जायज माना गया था. लेकिन अब स्थिति बदल रही है. ये सारे नियम और क़ानून सिर्फ और सिर्फ मध्यम वर्ग के लिए बने हैं. उच्च वर्ग में ऐसा कुछ भी नहीं है - कई तलाक और कई विवाह देखे जा रहे हैं और तलाकशुदा से अविवाहित भी विवाह करने में गुरेज नहीं करते हैं. निम्न वर्ग के अलग नियम है उनमें भी तथाकथित समाज की दखलंदाजी कम ही होती है.<br /> पति का दूसरी स्त्री से सम्बन्ध अंतर से कोई भी स्त्री स्वीकार नहीं कर पाती है लेकिन पता नहीं वे कौन सी परिस्थितियां होती हैं कि इसके बाद भी वह उस पति को पति का अधिकार लेने से रोक नहीं पाती है. इसमेंकमजोरी स्त्री की ही है. उसको विरोध और जम कर विरोध करना चाहिए. उस स्त्री पर दोष क्यों? पति पर क्यों नहीं? आप एक पत्नी के बाद दूसरी से भी सम्बन्ध रखना चाहते हैं और वह अगर अविवाहित है या तलाकशुदा है तो दोषी वह ही क्यों? इस सोच को तो हमें ही बदलना है. नहीं तो कानून तक कोई जाना नहीं चाहता और समाज इसके लिए खामोश रहता है. अगर स्त्री का मामला तो व्यंग्य जरूर होगा और उस पर फब्तियां कसी जाएँगी और पुरुष तो इसके लिए समाज में कई किवदंतियां प्रचलित है और वही सुनने को मिलती रहती हैं.<br />--रेखा श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-42224873299255691392010-11-10T21:14:09.759+05:302010-11-10T21:14:09.759+05:30अच्छा मुद्दा उठाया है......अच्छा मुद्दा उठाया है......Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/07499570337873604719noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-60778002562043305882010-11-10T20:39:43.882+05:302010-11-10T20:39:43.882+05:30अच्छी पोस्ट है...अच्छी पोस्ट है...फ़िरदौस ख़ानhttps://www.blogger.com/profile/09716330130297518352noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-62624157973805154822010-11-10T20:02:42.553+05:302010-11-10T20:02:42.553+05:30VICHAAR SHOONYA
आप सही कह रहे हैं लेकिन आज तक &q...VICHAAR SHOONYA <br /><br />आप सही कह रहे हैं लेकिन आज तक "दूसरी" का तमगा एक स्त्री को ही मिला हैं "घर तोडने के लिये वही जिम्मेदार मानी जाती हैं और हर वर्ग मे ऐसा ही हैं चाहे वो माध्यम हो या निचला या एलीट कही भी पत्नी या पति को उतनी प्रतारणा समाज नहीं देता जितनी उस स्त्री को जिसकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं हैं और वो मातृ अपने लिये एक जीवन साथी खोज रही हैं । ये समस्या अब और बढ़ रही हैं क्युकी अब लडकियां ज्यादा उम्र तक अविवाहित हैं और नौकरी कर रही हैं ।रचनाhttps://www.blogger.com/profile/03821156352572929481noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-72196353542243841912010-11-10T19:58:02.666+05:302010-11-10T19:58:02.666+05:30मूल प्रश्न ये हैं कि पति और पत्नी तथा समाज अपने दो...मूल प्रश्न ये हैं कि पति और पत्नी तथा समाज अपने दोषों के लिये दोषारोपण हमेशा उस स्त्री का करता हैं जो single / widow /divorcee हैं ये नैतिकता का दोहरा मापदंड हैं और क्यूँ हैंरचनाhttps://www.blogger.com/profile/03821156352572929481noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-78392204157793461102010-11-10T19:50:20.086+05:302010-11-10T19:50:20.086+05:30रचना जी मैं सोचता हूँ की हमारा समाज नैतिकता के दो...रचना जी मैं सोचता हूँ की हमारा समाज नैतिकता के दो पैमाने लेकर चलता है एक पैमाना समर्थ के लिए और दूसरा गरीब, कमजोर और असहाय के लिए. समर्थ को सब कुछ माफ़ है. सभी उसका साथ देते हैं और असमर्थ के लिए समाज में हर बंदिश है और नैतिकता का सारा बोझ उसे अपने कन्धों पर ढोना पड़ता है. यहाँ मैं इन्सान को स्त्री पुरुष में नहीं बल्कि समर्थ और असमर्थ में बाट रहा हूँ.VICHAAR SHOONYAhttps://www.blogger.com/profile/07303733710792302123noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-10661833582708843932010-11-10T19:37:09.496+05:302010-11-10T19:37:09.496+05:30sawal yeh nahi ki kaun galat hai. sawal yeh hai ki...sawal yeh nahi ki kaun galat hai. sawal yeh hai ki pati aur patni kaha tak ek dusare se discipline me bandhe hai , agar pati aur patni discipline me ho to n talak hogi n o.sab kuchh thik hi rahega.Galati dono taraf se hai.anusasan ka palan karane walo ke samane o ki paresani nahi hai.G.N.SHAWhttps://www.blogger.com/profile/03835040561016332975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-65466898716621390182010-11-10T19:28:10.602+05:302010-11-10T19:28:10.602+05:30नहीं रचना जी , बिल्कुल नहीं मेरी राय में विधुर के ...नहीं रचना जी , बिल्कुल नहीं मेरी राय में विधुर के लिए भी वही पैमाना होना चाहिए और शायद मेट्रोमोनियल साइट्स में भी ऐसी व्यवस्था को ही तरज़ीह दी जाती है .,..एक साइट भी है ऐसी ही ...second marriage ..के नाम से संभवत: । वैसे भी मैंने कहा न कि समाज के नजरिए की बात तो बहस का विषय है और इस पर जम कर बहस होनी चाहिएअजय कुमार झाhttps://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-58474071550639064662010-11-10T18:18:04.590+05:302010-11-10T18:18:04.590+05:30अजय तलाक शुदा स्त्री को तलाकशुदा पुरुष से विवाह कर...अजय तलाक शुदा स्त्री को तलाकशुदा पुरुष से विवाह करना चाहिये लेकिन विधुर तक का विवाह भी अविवाहित स्त्री से हो सब कि यही इच्छा होती हैं फिर ये दोयम भाव किसी तलाक शुदा स्त्री के लिए क्यूँरचनाhttps://www.blogger.com/profile/03821156352572929481noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-40234127997615126222010-11-10T18:13:35.528+05:302010-11-10T18:13:35.528+05:30"क्यो हमारे समाज और कानून व्यवस्था मे ऐसे पुर..."क्यो हमारे समाज और कानून व्यवस्था मे ऐसे पुरुषो के लिये कोई सजा का प्रावधान नहीं हैं? जो एक महिला के साथ विवाह करता हैं और दूसरी महिला के साथ भी कुछ समय सम्बन्ध रखता हैं और फिर सामजिक दबाव के चलते वापस पत्नी के पास जाता हैं . क्यो नैतिकता कि कोई जिमेदारी इस पुरूष कि नहीं होती हैं ? क्या नैतिकता एक व्यक्तिगत प्रश्न हैं ?? जो समाज मे सुविधा के हिसाब से लागू किया जाता है ।"<br /><br />ऐसा कतई नहीं है रचना जी , बल्कि इसके लिए पर्याप्त कानून बने हुए हैं , बशर्ते कि पहल उन दोनों में से ,,,,ध्यान दीजीए कि मैंने दोनों कहा है ..दोनों में से कोई भी यदि ऐसी कोई शिकायत दर्ज़ कराती है तो भारतीय कानून में इसके लिए वाजिब कानून बना हुआ है । बिना शिकायत के कुछ भी नहीं किया जा सकता । <br /><br />रहा सवाल मानसिकता का , तो उस पर बहस की गुंजाईश है , हां आज भी समाज में तलाकशुदा महिला के लिए समाज का नजरिया , कानून की असहाय सी स्थिति और सरकार की तमाशबीन सी हालत देखकर जरूर अफ़सोस होता है । <br />ये ठीक है कि तलाकशुदा महिला को भी अपने लिए करने कहने का पूरा अधिकार है मगर फ़िर भी वरीयता देने की बारी आए तो मेरे विचार से किसी शादीशुदा पुरूष को अपना साथी चुनने के बनिस्पत ...किसी अविवाहित को साथी के रूप में पाना ज्यादा बेहतर साबित होता है । <br /><br />अच्छा मुद्दा उठाया है , देखें कि प्रतिक्रिया में ब्लॉग समाज क्या क्या कहता है ???अजय कुमार झाhttps://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.com