tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post5501897902214023811..comments2023-12-02T14:56:14.755+05:30Comments on नारी , NAARI: कल की पोस्ट से बात आगे बढाते हुएरेखा श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-63771147766145099092011-03-19T13:35:49.940+05:302011-03-19T13:35:49.940+05:30दंड किसी भी घृणित अपराध की चिकित्सा नहीं है। यह के...दंड किसी भी घृणित अपराध की चिकित्सा नहीं है। यह केवल अपराधों की बढ़वार रोकने में कुछ हद तक कामयाब हो सकता है। आवश्यकता समाज में पैठे हुए जीवन मूल्यों को बदलने की है। वे कैसे बदलें? इस पर सोचा जाए और इस पर शोध भी हो कि वे कैसे बदलते हैं।<br />स्त्रियों की सामाजिक स्थिति में बदलाव का सब से उत्तम साधन उन की आत्मनिर्भरता है, स्त्रियों की कमाई पर उन का एकाधिकार होना चाहिए। वे जैसे चाहें अपनी कमाई का इस्तेमाल कर सकती हों। स्त्री की इच्छा के विरुद्ध उस के शरीर पर पति सहित किसी का भी अधिकार नहीं होना चाहिए। इस के लिए समाज की अर्थव्यवस्था में भी क्रांतिकारी परिवर्तन होना जरूरी है और यह सब एक लंबे मजबूत आंदोलन से ही संभव है।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-79472716594007148882011-03-19T13:06:51.932+05:302011-03-19T13:06:51.932+05:30राजन जी की बात से सहमत हूँ. दूसरी बात हमारे देश मे...राजन जी की बात से सहमत हूँ. दूसरी बात हमारे देश में न्याय बहुत देरी से मिलता है. यदि किसी अपराधी को जल्द से जल्द उसके अपराध की सजा मिल जय तो पीड़ित के मन में एक संतोष तो होगा की उसे न्याय मिला और अपराधी को सजा . बलात्कार के लिए माइक टायसन को कितनी शीघ्रता से सजा मिली थी और उसके बाद उसका पूरा करियर तबाह हो गया. अगर उसे भी सिर्फ कुछ जुर्माने के साथ छोड़ दिया जाता तो वो आज भी ऐश ही कर रहा होता. ऐसा ही कुछ हमारे देश में भी हो तो शायद इन अपराधो में कुछ तो कमी आए.VICHAAR SHOONYAhttps://www.blogger.com/profile/07303733710792302123noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-33249863967234349072011-03-19T12:37:41.462+05:302011-03-19T12:37:41.462+05:30राजन
सजा देने का प्रावधान तो कितने वर्षो से चल ही ...राजन<br />सजा देने का प्रावधान तो कितने वर्षो से चल ही रहा हैं पर फिर भी निरंतर बलात्कार के केस बाधा रहे हैं .<br />इस लिये नये कानून बनाने की चेष्टा की जा रही हैं<br />देश को आज़ाद हुए ६० साल हो चुके कानून तो कुछ उससे भी पुराने हैं .<br /><br />बदलाव की और अग्रसर तभी हुआ जाता हैं जब हम जो कर रहे उसमे नाकाम हो गए हैं<br />नए कानून हो सकता हैं बिलकुल फ्लॉप हो जाए पर बदलाव आ रहा हैं उस बदलाव को स्वीकार करने की जरुरत हैं क्युकी समय के साथ सोच मे जरूरतों मे बदलाव जरुरी हैंरचनाhttps://www.blogger.com/profile/03821156352572929481noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-43692355705363174542011-03-19T12:28:28.853+05:302011-03-19T12:28:28.853+05:30पीडिता यदि अमीर हो ओर बलात्कारी ही यदि गरीब हो या ...पीडिता यदि अमीर हो ओर बलात्कारी ही यदि गरीब हो या आत्मनिर्भर न हो तब क्या होगा?आर्थिक जुर्माने से इंकार नहीं लेकिन सजा क्यों नही?मैँ मानता हूँ कि बलात्कार पीडिता के प्रति समाज का नजरिया सही नही है वह उसके दुख को ओर बढा देता है.इस संबंध में अंशुमाला जी की एक पोस्ट इसी ब्लॉग पर हैं.लेकिन ये मानना थोडा मुश्किल है कि समाज अपना नजरिया बदल ले तो बलात्कार की शिकार इसे सामान्य मानने लगेगी.पश्चिम में तो इसे इज्जत के साथ नहीं जोडा जाता फिर क्यों पीडिता सामान्य हो पाती और ये छोडिये देहातों में दुराचार के शिकार छोटे लडके जीवन भर क्यों मानसिक संताप संताप सहते रहते है.पश्चिम में तो बलात्कार की सजा के रूप मेँ आर्थिक जुर्माने के साथ जेल भी है साथ ही बलात्कार शब्द का दायरा बहुत व्यापक समझा जाता है(यहाँ लगाइये गेहूँ और घुन वाला तर्क).पुरूष का दंभ तब भी टूट सकता है जब आर्थिक दंड के साथ जेल भी हो नही तो जो अमीर बाप की बिगडेल औलादे है उन्हें सहयोग देने वाले बहुत है ये एक बार बर्बाद होने के बाद अगले शिकार की तलाश में फिर निकल पडेंगें.राजनhttps://www.blogger.com/profile/05766746760112251243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-67747784107864287002011-03-19T12:26:11.382+05:302011-03-19T12:26:11.382+05:30This comment has been removed by the author.राजनhttps://www.blogger.com/profile/05766746760112251243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-69148056262986912382011-03-19T12:22:38.762+05:302011-03-19T12:22:38.762+05:30सहमत हूँ..... ऐसा एक उदहारण कईयों को सबक देने के ल...सहमत हूँ..... ऐसा एक उदहारण कईयों को सबक देने के लिए काफी होगा ...... जिन माँ बाप के बेटे ऐसा काम करते हैं वे उन्हें पैसे के दम पर ही तो बचाते हैं........ अगर ऐसी हरकत के बाद परिवार आर्थिक रूप से कमज़ोर हो जाये तो कोई साथ नहीं देगा ...... दुराचार के अधिकतर मामले ऐसे घरों के लाडलों से जुड़े होते हैं जिन्हें लगता है की पैसे के बल पर वे बच निकलेंगें.....आज की दुनिया में जब सभी धन पिपासु हो गए हैं.... यही युक्ति कारगर हो सकती है..... डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-16691386380808744772011-03-19T10:31:47.335+05:302011-03-19T10:31:47.335+05:30सारा घमंड पुरुष होने दंभ
और जहा वो आर्थिक रूप से स...सारा घमंड पुरुष होने दंभ<br />और जहा वो आर्थिक रूप से समर्थ हैं वहाँ उसके इस समर्थ होने के दंभ को तोडना जरुरी हैं<br />और तभी टूटेगा जब उसको अहसास होगा की रेप करने के बाद वो दाने दाने को मोहताज हो जाएगा ....very good and more over I have no time to inlight it .....going for 12164 SUPER now ..met you latter ....G.N.SHAWhttps://www.blogger.com/profile/03835040561016332975noreply@blogger.com