tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post5470279796049217004..comments2023-12-02T14:56:14.755+05:30Comments on नारी , NAARI: "मै बहू नहीं बेटी लाया हूँ " सतीश सक्सेना -- बधाईरेखा श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-39111799232711754362012-03-24T14:15:56.682+05:302012-03-24T14:15:56.682+05:30आभार !
रचना को यह पोस्ट पसंद आई यह मेरे लिए प्रसन्...<b>आभार !<br />रचना को यह पोस्ट पसंद आई यह मेरे लिए प्रसन्नता का विषय है ....<br /><br />शादी के पहले दिन से, जब लड़की नए उत्साह से अपने नए घर को स्वर्ग बनाने में स्वप्नवद्ध होती है तब हम उसे डांट डपट और नीचा दिखा कर अपने घर का सारा भविष्य नष्ट करने की बुनियाद रख रहे होते हैं !<br /><br />पुरानी पीढ़ी, अपने जमाने की सारी परम्पराएं, इन घबराई हुई लड़कियों पर निर्ममता के साथ लादने की दोषी है ! मैंने कई जगह प्रतिष्ठित ओहदों पर बैठे लोगों के सामने भी यह परम्पराएं होती देखीं ! इन परम्पराओं के जरिये बहू को "शालीनता" के साथ बड़ों का सम्मान करना सिखाया जाता है ! कॉन्वेंट एजुकेटेड इंजिनियर और मैनेजर बहू , घूंघट काढ कर, बैठी रहे ...थकी होने पर भी सास को काम न करने दे आदि आदि <br />और अफ़सोस यह है कि शालीनता के पाठ को पढ़ाने में उस घर की महिलायें सबसे आगे होती हैं ऐसा करते समय उन्हें अपनी बेटी की याद नहीं रहती जिसे यही पाठ जबरदस्ती दूसरे घर पढाया जाना है !<br /><br />अपनी बच्ची के आंसू और घुटन महसूस होते हैं मगर दूसरों की बच्ची के आंसू हमें अपने नहीं लगते, २० साल बाद इसी बच्ची से, जो उस समय, घर की शासक होती है, हम प्यार और सपोर्ट की उम्मीद करते हैं ! <br /><br />हमें अपने घर में विरोध करना आना चाहिए ....<br /></b>Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-69827140794278166632012-03-20T10:50:36.983+05:302012-03-20T10:50:36.983+05:30— भारत देश के जब डॉ. अबुल कलाम जी राष्ट्रपति बने औ...— भारत देश के जब डॉ. अबुल कलाम जी राष्ट्रपति बने और उन्होंने अपना पहला उदबोधन दिया तो लगा कि अब भारत देश का भाग्य बदलने वाला है...<br /><br />— जब वर्ल्ड बैंक के कभी सेकेट्री रहे और भारतीय सरकार में वित्तमंत्री रहे डॉ.(?) मनमोहन सिंह जी प्राइममिनिस्टर मनोनीत हुए तो लगा कि शायद अब देश से गरीबी की विदाई हो जायेगी... <br /><br />........ जब भी कोई नयी पारी की शुरुआत करता है तो उसे नये पद व दायित्व संभालने की बधाई, और भविष्य में सदाचरण बनाए रखने की शुभकामनाएँ दी जाती हैं...यह हमारी संस्कृति है...अनुभवहीन और कमतर अनुभवियों को परिवार में उनके बड़े कुछ होमवर्क कराते ही हैं...लेकिन इसका भी ध्यान रखना चाहिए कि रिमोट से संचालित होने के बाद उनके पुत्र और पुत्रवधू सामाजिक प्रतिष्ठा खो बैठते हैं. ताज़ा उदाहरण हमारे सबके सामने हैं.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.com