tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post5458305418443954962..comments2023-12-02T14:56:14.755+05:30Comments on नारी , NAARI: काफी दिनों से एक बात बराबर मन मे हैं सो आज आप लोग के सामने एक प्रश्न के रूप मे दे रही हूँ ।रेखा श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comBlogger17125tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-19970631285180488102009-10-31T20:32:44.575+05:302009-10-31T20:32:44.575+05:30नेचुरल इन्हेरिटेन्स और सेल्फ एक्वायर्ड में यही फरक...नेचुरल इन्हेरिटेन्स और सेल्फ एक्वायर्ड में यही फरक है. <br /><br />सामाजिक संरचना है. <br /><br />समाज के नियम न पालन करो, तो समाज निकाला से जेल तक, देश के नियम पालन करो तो देश निकाला का प्रावधान, घर के न पालन करो तो घर निकाले का..यह सब अनुशासन कायम रखने के लिए बनाये गये प्रावधान हैं, जिससे घर, समाज और देश और दुनिया सही तरीके से चलती रहे. और जब नियम हैं हमारे द्वारा ही बनाये हुए तो कुछ परीभाषायें जुड़ जाना और प्रश्न फॉर्म होजाना स्वभाविक हैं, जैसे:<br /><br />पिता जी के घर में रहते हो? आदि आदि..<br /><br />मैं ऐसा सोचता हूँ.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-53208803522970742562009-10-31T17:33:30.368+05:302009-10-31T17:33:30.368+05:30नई पीढ़ी का प्रयोग यहाँ माता पिता के सन्दर्भ में है...नई पीढ़ी का प्रयोग यहाँ माता पिता के सन्दर्भ में है| <br /><br />नई पीढ़ी अर्थात एव्री न्यू जेनेरेशन, इन रेफेरेंस ऑफ़ देयर पेरेंट्स ; <br /> न कि केवल आज की अपेक्षा और सन्दर्भ में नई जेनेरेशन.Kavita Vachaknaveehttps://www.blogger.com/profile/02037762229926074760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-82413228145136738122009-10-31T17:29:05.714+05:302009-10-31T17:29:05.714+05:30यानी वंदना आप कहना चाहती हैं की आज तक किसी भी पीढी...यानी वंदना आप कहना चाहती हैं की आज तक किसी भी पीढी ने अपना कर्तव्य नहीं निभाया हैं इसीलिये उस पीढी की पुरानी पीढी उसको जब चाहे अपने घर से बेदखल कर सकती हैं । मे यहाँ किसी एक पीढी की बात नहीं कर रही हूँ । क्या ये कह सकती हूँ एक बार फिर से मेरी पोस्ट देखे शायद कुछ दूसरा पहलु दिखे ।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-26619587203676030482009-10-31T15:19:07.757+05:302009-10-31T15:19:07.757+05:30main kavita ji ki baat se poorntah sahmat hun........main kavita ji ki baat se poorntah sahmat hun........adhikar aur kartavya ka joda hamesha sath sath chalta hai aur jab hum apne adhikar pana chahte hain to usse pahle apne kartavya bhi nibhane chahiye to phir adhikar swatah hi mil jayenge.vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-72604889963655408282009-10-31T13:46:16.289+05:302009-10-31T13:46:16.289+05:30शोभना चौरे
font aap khud hi badaa kar saktee haen...शोभना चौरे <br />font aap khud hi badaa kar saktee haen agar naa aatii ho taknik to nisankoch yahaan yaa apnae blog par punch kar daekahe jarur batayee jayaegi <br />regdsAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-48193441519476977152009-10-31T13:43:32.828+05:302009-10-31T13:43:32.828+05:30इस टेम्पलेट मे कुछ भी एडिट करने की सुविधा नहीं हैं...इस टेम्पलेट मे कुछ भी एडिट करने की सुविधा नहीं हैं !!!! एडिट हटमल मे बस टेक्स्ट का कलर ही बदला जा सकता था जो सुरेश के कमेन्ट के बाद बदल दिया । टेक्स्ट बड़ा छोटा करना तो अपने कंप्यूटर पर भी किया जा सकता हैं सो अगर तब भी बड़ा नहीं होता तो फिर पुरानी टेम्पलेट पर कर दूंगी लेकिन प्लीज़ एक बार इस को कुछ दिन ट्राई करते हैं सुविधा नहीं लगेगी तो बदल देगे अर्शियाAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-32137449164077909842009-10-31T12:44:14.389+05:302009-10-31T12:44:14.389+05:30mujhe thodi blog pdhne me tkleef ho rhi hai krpya ...mujhe thodi blog pdhne me tkleef ho rhi hai krpya font thode bade ho jay to achha rhega .शोभना चौरेhttps://www.blogger.com/profile/03043712108344046108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-16654608092225037882009-10-31T11:45:17.363+05:302009-10-31T11:45:17.363+05:30आपके ब्लॉग का लेआउट डार्क है और फांट छोटे हैं, इसल...आपके ब्लॉग का लेआउट डार्क है और फांट छोटे हैं, इसलिए पढने में बहुत दिक्कत हो रही है। कृपया इसका कुछ उपाय करें।<br />--------------<br /><a href="http://ts.samwaad.com/" rel="nofollow">स्त्री के चरित्र पर लांछन लगाती तकनीक</a><br /><a href="http://sb.samwaad.com/" rel="nofollow">आइए आज आपको चार्वाक के बारे में बताएं</a>Arshia Alihttps://www.blogger.com/profile/14818017885986099482noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-55989805702627696082009-10-31T10:39:30.063+05:302009-10-31T10:39:30.063+05:30ये बात सही है और आपका उठाया सवाल भी जायज है।घर के ...ये बात सही है और आपका उठाया सवाल भी जायज है।घर के मामले मे मैं सिर्फ़ इतना कह सकता हूं कि लड़को को उसे अपना घर कहने का हक़ ज़रूर मिला है और लड़कियों के साथ बहुत नाईंसाफ़ी हुई है।वो जिस घर मे पैदा होती है वो उसका मायका यानी माता-पिता का घर होता है और जब विवाह के बाद अपने पति के घर जाती है तो वो उसका ससुराल होता है यानी सास-ससुर का घर।तो उसका अपना घर कंहा है।ये सामाजिक व्यवस्था का दोगलापन नही है तो क्या है?और ये बात भी सही है, शादी ना हो तो तमाम सवाल और नसीब फ़ुटने का लेबल, हम लोगो के बारे मे बारे मे कोई सवाल नही और ब्रम्हचारी का तमगा चाहे कितना भी दुराचारी क्यों ना हो।मैं दुराचारी नही लेकिन शादी नही करने के कारण ब्रम्हचारी हूं।बहुत सी बातें है।ज्यादा कुछ नही कहना चाहता हो सकता है जितना कहा उसीपर किसी को आपत्ति हो जाये।एडवांस मे उन लोगों से क्षमा मांगते हुये सिर्फ़ इतना कि ये मेरे अपने विचार है ज़रूरी नही इससे सब सहमत हों।Anil Pusadkarhttps://www.blogger.com/profile/02001201296763365195noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-86352727418439146732009-10-31T09:32:54.909+05:302009-10-31T09:32:54.909+05:30रचना जी थोडा विस्तृत तौर पर आपके सवाल का जबाब देना...रचना जी थोडा विस्तृत तौर पर आपके सवाल का जबाब देना चाहता हूँ ! पहले तो यह बात पूर्ण रूप से सत्य नहीं है की बच्चा जिस देश में पैदा होता है उसका नेचुरल नागरिक होता है ! मै इसे इस उदाहरण के तौर पर आपको समझाता हूँ : मेरा कजिन, पिछले बारह- चौदह साल से अमेरिका में रह रहा है, वहा जाकर उसने कांट्रेक्ट मैरेज की, तब उसे ग्रीन कार्ड मिला और अब उसे वह की सिटिजनशिप मिल गई है ! उसने भारत आकर देहरादून में अपने माता-पिता के घर से शादी की ! (आप यहाँ पर फर्क समझने की कोशिश करना ) शादी के एकाध महीने बाद वह वापस अमेरिका चला गया बहु को माता पिता के पास छोड़ कर ! अब बहु उम्मीद से है , दिसम्बर में जब देहरादून में डिलीवरी के बाद जो बच्चा पैदा होगा वह जन्म द्वारा(बाई बर्थ ) भारत का नहीं, अमरीकी नागरिक होगा ! रही बात माता पिता का घर कहने की तो इसे मै इस उदाहरण से समझाता हूँ : प्रकृति का नियम- चिडिया घोसला बनाती है (वह घोसला उस चिडिया का ही कहलाता है ) बच्चे हुए और कुछ दिनों बाद फुर्र करके उड़ गए, वे माता-पिता के बनाए घोसले पर एकाधिकार नहीं जमाते, तो ऐसा ही इंसानों के साथ भी है !<br /><br />हाँ यह सरासर गलत है कि जो अशिक्षित ( चाहे वे कहने को डिग्री धारी ही क्यों न हो ) माँ-बाप, बेटी को पराया धन कहते है ! अगर माँ-बाप औलाद को अपने बुढापे का आसरा मानते है तो मेरा तजुर्बा है कि बेटे से बढ़कर बेटी अपने माँ-बाप का ख्याल रखती है ! माँ-बाप की सम्पति बार बेटे और बेटी का बराबर का हक़ होना चाहिए और धीरे-धीरे ही सही लेकिन अब यह ट्रेंड आने लगा भी है !पी.सी.गोदियाल "परचेत"https://www.blogger.com/profile/15753852775337097760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-41311103385909542632009-10-31T09:21:38.293+05:302009-10-31T09:21:38.293+05:30मैने हर नयी और पुरानी पीढी मे ये होते देखा हैं कवि...मैने हर नयी और पुरानी पीढी मे ये होते देखा हैं कविता । बात नई पीढी के प्रति माता पिता को संकुचित प्रमाणित करने से कोई सम्बन्ध नहीं रखती हैं हैं । और बात बच्चो के अधिकार और कर्तव्य की भी नहीं हैं बात सिर्फ़ इतनी हैं की जिस जगह हम पैदा होते हैं उस जगह से कोई हमे कैसे निकल जाने के लिये कह सकता हैं { और इसे किसी एक पीढी से ना जोड़ कर देखे } हम पीढी दर पीढी ये दोहरा रहे हैं मै इसका कारण जानना चाहती हूँ {क्युकी मै मानती हूँ ब्लोगिंग से बहुत कुछ सीखा जा सकता हैं }Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-40210195029172190682009-10-31T06:34:44.629+05:302009-10-31T06:34:44.629+05:30बहुत सही प्रश्न उठाया है आपने ...माता पिता अपने वि...बहुत सही प्रश्न उठाया है आपने ...माता पिता अपने विचारों से असहमत बच्चों को बहुत आसानी से कह देते है ..हमारा कहा मानो ...नहीं तो घर से निकल जाओ ...एक ही परिवार के सदस्यों के अलग अलग मत हो सकते हैं ...जीने के तरीके में भी अंतर होता है ...सबसे एक जैसे व्यवहार की उम्मीद करना कहाँ तक उचित है ...बहुत से संयुक्त परिवार माता पिता के ऐसे व्यवहार के कारण भी टूटते हैं ...एक दूसरा पहलू सामने लेन के लिए बहुत आभार ...!!<br />टेम्पलेट अच्छा है मगर गहरे रंग का बैकग्राउंड होने के कारण थोडा असुविधाजनक भी है ...!!वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-39916264696695427702009-10-30T21:37:22.134+05:302009-10-30T21:37:22.134+05:30" उस घर से जब मन हो उसको निकलने का अधिकार भी ..." उस घर से जब मन हो उसको निकलने का अधिकार भी रखते हैं ।"<br />किस जमाने की बात है? अब तो माता-पिता को बेघर किया जा रहा है। रही अधिकार की बात तो कविताजी से सहमत- अधिकार की बात सदैव कर्तव्य के बाद आती है॥चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-2736912606750997472009-10-30T21:30:21.378+05:302009-10-30T21:30:21.378+05:30यदि यह प्रश्न वास्तव में जानकारी के लिए पूछा गया ह...यदि यह प्रश्न वास्तव में जानकारी के लिए पूछा गया है ( और नई पीढी के प्रति माता पिता को संकुचित प्रमाणित करने के लिए यह लिखा गया है तो मेरी प्रतिक्रिया निरस्त मानें ) तो मैं कहना चाहूँगी - <br /><br /><br />जिस प्रकार जिस देश की नागरिकता जन्म से मिलती है, उस देश के प्रति आप को संवैधानिक सारे कर्तव्य निभाने पड़ते हैं (वस्तुतः तो भावनात्मक रूप से भी होने अपेक्षित हैं), ऐसा न करने पर वह राज्य आप को दण्डित करने का अधिकार रखता है,आप को आपके अधिकारों से वंचित कर देता है/कर सकता है| <br /><br />इसी प्रकार जीवन और अस्तित्व देने वाले माता पिता के प्रति यदि कोई संतान केवल अधिकार/ लेने/ प्राप्ति/कब्जा जमाने/ खसोट लेने जैसे कम या अधिक किसे भी भाव से रहे तो उसका क्या किया जाए? घर का भी तो परम्परा से चला आया एक अलिखित संविधान और आचार संहिता होती है न?<br /><br />अधिकार की बात सदैव कर्तव्य के बाद आती है| अपने माता पिता के प्रति सम्पूर्ण सद्भाव से अपने सभी कर्तव्य निभाने वाली संतान को ऐसा नहीं सुनना पड़ता| न कोई माता पिता ऐसा करते कहते हैं| हाँ, न्यूनाधिक अपवाद सदैव समाज में विद्यमान रहते हैं|Kavita Vachaknaveehttps://www.blogger.com/profile/02037762229926074760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-41668632517102105722009-10-30T21:18:56.885+05:302009-10-30T21:18:56.885+05:30फ़ॉण्ट थोड़े बड़े और सफ़ेद अक्षरों में हो जायें तो अधि...फ़ॉण्ट थोड़े बड़े और सफ़ेद अक्षरों में हो जायें तो अधिक बेहतर रहेगा… लेख पर टिप्पणी बाद में…Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/02326531486506632298noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-65967747129659611612009-10-30T21:10:20.899+05:302009-10-30T21:10:20.899+05:30सारे झगड़े निजि संपत्ति के ही हैं। यह न थी तब मनुष...सारे झगड़े निजि संपत्ति के ही हैं। यह न थी तब मनुष्य समाज खूबसूरत था। जब यह न होगा तब भी खूबसूरत होगा।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-71800997495290980362009-10-30T21:06:33.393+05:302009-10-30T21:06:33.393+05:30हमको कई बार धमकी मिली और एक बार पिताजी ने घर के बा...हमको कई बार धमकी मिली और एक बार पिताजी ने घर के बाहर खडा भी कर दिया। खैर हम भी शरीफ़ नहीं थे।<br />बहरहाल हम गुस्से में नहीं आये और कहीं जाने के बजाय बाहर खडे रहे। थोडी देर में माताजी बाहर आयीं और साथ अन्दर ले गयीं। उसके बाद डांट पडती रही, फ़िर हम सो गये।Neeraj Rohillahttps://www.blogger.com/profile/09102995063546810043noreply@blogger.com