tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post5326970421226071782..comments2023-12-02T14:56:14.755+05:30Comments on नारी , NAARI: पुरुष सौभाग्यशाली है की वो माँ नहीं बन सकता या ये पुरुष का दुर्भाग्य है की वो माँ नहीं बनतारेखा श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-80515318181702256702011-05-09T18:56:36.486+05:302011-05-09T18:56:36.486+05:30स्पष्ट और सुलझा हुआ लेख पढकर भी पुरुष इस लेख का मर...स्पष्ट और सुलझा हुआ लेख पढकर भी पुरुष इस लेख का मर्म न समझ पाए तो अफ़सोस है...स्त्री प्रसव पीड़ा या आनन्द माने..यह सबका अलग अलग अनुभव है लेकिन पुरुष को एहसास होना ज़रूरी है कि वह दिल से औरत को उसकी हर अवस्था में मान सम्मान दे..मीनाक्षीhttps://www.blogger.com/profile/06278779055250811255noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-72453077249371157842011-05-09T14:04:55.131+05:302011-05-09T14:04:55.131+05:30" छोटे से बच्चे तक को नहीं संभाल सकती तो और क..." छोटे से बच्चे तक को नहीं संभाल सकती तो और क्या कर सकती हो "<br />इस जुमले ने मेरी एक दूर की ननद को अपने डेढ़ महीने के बेटे को छोड़ इस दुनिया से जाने पर विवश कर दिया था |<br />मेरी ननद के हाथका संतुलन (एक बार वो गिर गई तो उस हाथ में प्लास्टर चढ़ा था ) बच्चे को उठा ने में बिगड़ गया और बच्चा हाथ से फिसल कर गोद में गिर गया |तब उनके पति ने यही शब्द कहे थे जिसे वो सहन नहीं कर पाई और अपने को आग के हवाले कर दिया था |<br />आपकी इस पोस्ट ने १७ साल पहले घटी और मई माह में घटी इस दुर्घटना को ताजा कर दिया और बेटी की म्रत्यु की खबर माँ नहीं सह पाई तो उसी समय बैठे बैठे उनके प्राण पखेरू उड़ गये |<br />ऐसी होती है माँ |माँ तो ऐसी ही होती है महिमामंडन की जरुरत ही नहीं |शोभना चौरेhttps://www.blogger.com/profile/03043712108344046108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-53774987981503962162011-05-09T12:27:48.077+05:302011-05-09T12:27:48.077+05:30डॉ . श्याम गुप्ता जी
य...डॉ . श्याम गुप्ता जी <br /><br /> ये परिवार तोड़ने वाला आलेख नहीं परिवार जोड़ने वाला है फर्क बस अपने नजरिये का है | मै यहाँ पुरुष को नारी के प्रति खासकर माँ बन रही नारी के प्रति और संवेदनशील होने उसकी परेशानियों कष्टों को समझने और उसे सहयोग देने के लिए कहा रही हूँ पिता से माँ बन जाने के लिए नहीं कह रही हूँ | गाड़ी तो तभी ठीक चलेगी जब दोनों पिहियो पर बराबर बोझ पड़े और दोनों साथ चले न की एक आगे भागे और दूसरा उसके पीछे सिर्फ सर झुकाए चलता रहे उसके आदेश पर और फिर दोनों पहियों का समान रूप से स्वास्थ्य होना भी जरूरो है एक पहिया बोझ टेल दब कर पंचर हो जाये और दूसरा कहे की मै ठीक हूँ इसी स्थिति में आगे चलो तो वो गाड़ी कभी अपनी मंजिल पर नहीं पहुँच पायेगी |anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-14083199413871027582011-05-09T09:56:59.794+05:302011-05-09T09:56:59.794+05:30पुरुष-- नारी में विभेद करने वाले इन व्यर्थ के नारो...पुरुष-- नारी में विभेद करने वाले इन व्यर्थ के नारोन को उछालने की कोई आवश्यकता ही नहीं है----गाडी के दोनों पहियों को समता से चलना चाहिये.....पिता बनना भी कोई आसन कार्य नहीं....पैदा करना आसान है( जो अवश्यम्भावी है )... पालन-पोषण कठिन..जो स्वेच्छिक है ओडा हुआ....संतानोत्पत्ति एक सम्मिलित निर्णय होता है अतः बराबर दायित्व है .....अतः एसे परिवार तोडक आलेखों की कोई आवश्यकता व महत्व ही नहीं है shyam guptahttps://www.blogger.com/profile/11911265893162938566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-65021788183027975002011-05-09T09:46:15.288+05:302011-05-09T09:46:15.288+05:30कही पढ़ा था और इससे सहमत भी हूँ ... ." यदि पुर...कही पढ़ा था और इससे सहमत भी हूँ ... ." यदि पुरुष प्रसव पीड़ा से गुजरते तो जनसँख्या आधी रह जाती "वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-88263784067680883682011-05-09T02:18:39.906+05:302011-05-09T02:18:39.906+05:30मुझे नहीं लगता वहाँ जितने भी लोग थे आज भी इस टिप्प...मुझे नहीं लगता वहाँ जितने भी लोग थे आज भी इस टिप्पणी को भूल पाएँ होंगे.मेरे द्वारा पढी गई अब तक की सबसे बेहतरीन टिप्पणी जो मुझे तब से ही लाईन बाई लाईन याद हैँ.<br /><br />माँ न बन पाना पुरूष का सौभाग्य है या दुर्भाग्य इस बहस में न पडते हुए ये मानता हूँ कि ज्यादातर पुरुष माँ से त्याग की अपेक्षा तो करते है परंतु उसका उचित सम्मान नहीं करते.वैसे इस पर बहस होनी चाहिये.मेरे मन में भी कुछ सवाल उठ रहे है.हो सका तो आपके सामने जल्दी ही रखता हूँ.राजनhttps://www.blogger.com/profile/05766746760112251243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-25941972006491600792011-05-08T22:59:51.961+05:302011-05-08T22:59:51.961+05:30*आसान*आसान डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-18932891357120069632011-05-08T22:58:56.647+05:302011-05-08T22:58:56.647+05:30माँ बनाना आसन नहीं है..... शारीरिक मानसिक वेदना का...माँ बनाना आसन नहीं है..... शारीरिक मानसिक वेदना का यह सफ़र एक स्त्री कितनी तकलीफें उठाकर तय करती है वो ही जानती है...... फिर भी ममता के लिए सब कुछ न्योछवर करने को तैयार जीवन भर ........ मैं तो इसे सौभाग्य ही मानती हूँ की स्त्री माँ बनकर जीवन को गढ़ती है..... सुंदर सार्थक ...तार्किक पोस्ट अन्शुमालाजी डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-49266568404021558492011-05-08T22:10:56.452+05:302011-05-08T22:10:56.452+05:30भगवान राम ने शिव-धनुष तोंड़ा, सचिन ने क्रिकेट में ...भगवान राम ने शिव-धनुष तोंड़ा, सचिन ने क्रिकेट में रिकार्ड तोड़ा, अन्ना हजारे ने अनशन तोड़ा, प्रदर्शन-कारियों रेलवे-ट्रैक तोड़ा, विकास-प्राधिकरण ने झुग्गी झोपड़ियों को तोड़ा। तोड़ा-तोड़ी की परंपरा हमारे देश में पुरानी है। आपने कुछ तोड़ा नहीं अपितु माँ की ममता से समाज को जोड़ा है। इस करुणा और ममता को बनाए रखिए। यह जीवन की पतवार है। आपकी रचना का यही सार है। मातृ-दिवस पर मेरी मंगल कामना स्वीकारिए।<br />=====================<br />सद्भावी -डॉ० डंडा लखनवीडॉ० डंडा लखनवीhttps://www.blogger.com/profile/14536866583084833513noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-8220393745850415452011-05-08T19:26:11.222+05:302011-05-08T19:26:11.222+05:30सभी को मदर्स डे शुभकामनायें.सभी को मदर्स डे शुभकामनायें.Sawai Singh Rajpurohithttps://www.blogger.com/profile/14297388415522127345noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-31216214423304953792011-05-08T19:25:12.385+05:302011-05-08T19:25:12.385+05:30माँ तो माँ ही है उसकी जगह कोई नहीं ले सकता है और म...माँ तो माँ ही है उसकी जगह कोई नहीं ले सकता है और मैं भी आज मेरी माँ का स्मरण कर रहा हूँ, जो आज हमारे बीच नहीं हैं फिर भी उनकी दी हुई शिक्षा और आदर्श हमें मार्ग दर्शन करती हैं!Sawai Singh Rajpurohithttps://www.blogger.com/profile/14297388415522127345noreply@blogger.com