tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post5074677255219671898..comments2023-12-02T14:56:14.755+05:30Comments on नारी , NAARI: महिला लेखन , हम खुश हैं की आप भी अब इस पर बात करते हैंरेखा श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-79884676204170416492008-09-19T15:04:00.000+05:302008-09-19T15:04:00.000+05:30ब्लॉग जगत से मेरा नाता है न कि मेरे परिवार का....ब...ब्लॉग जगत से मेरा नाता है न कि मेरे परिवार का....बच्चे अपना जीवन साथी खुद चुनने के अधिकारी हैं...लेखन और उस पर प्रतिक्रिया कैसी हो, इस विषय पर सबकी अपनी अलग अलग राय हो सकती है. देखने और सोचने का अलग अलग नज़रिया हो सकता है.मीनाक्षीhttps://www.blogger.com/profile/06278779055250811255noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-19060834262550187262008-09-18T22:09:00.000+05:302008-09-18T22:09:00.000+05:30मैं उस वर्ग से आता हूँ जिनके बच्चों का विवाह हो चु...मैं उस वर्ग से आता हूँ जिनके बच्चों का विवाह हो चुका है. मेरे परिवार में सबको अपनी इच्छा से जीवन जीने का अधिकार है. मेरा विश्वास है कि सबको यह अधिकार होना ही चाहिए.Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/10037139497461799634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-78637958079776104052008-09-18T15:15:00.000+05:302008-09-18T15:15:00.000+05:30वर्ग पहला ....यह आपने अपने विचार लिखे हैं शायद......वर्ग पहला ....यह आपने अपने विचार लिखे हैं शायद... ऐसा कुछ नही हैं कि लड़की को ब्याहना है तो कहीं इस तरह की पोस्ट पर कमेंट्स नहीं करते ..आज कल सब बहुत समझदार हैं ..कैसे किसको जीना है वह खूब जानते हैं ...रंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-84512121431682702932008-09-18T06:43:00.000+05:302008-09-18T06:43:00.000+05:30मैं मूरख - वर्ग 3-4 में पहुँचने की लालसा वालावर्ग ...<B>मैं मूरख - वर्ग 3-4 में पहुँचने की लालसा वाला</B><BR/><BR/><I>वर्ग 1 से अभी तक कोई नहीं!?</I><BR/><BR/>चलिये, ब्लॉग समाज वाले नहीं करेंगे शादी अपने बच्चों की इस समाज में।<BR/><BR/>लेकिन हमारे वास्तविकस्थल, कार्यस्थल, निवासस्थल, पहचानस्थल, सोसायटीस्थल, बाज़ारस्थल, पार्टीस्थल, आभासस्थल, वार्तास्थल, रिश्तेदारीस्थल के भी अपने अपने निर्मित समाज हैं। कहाँ-कहाँ संस्कार और अधिकार का बोझ उठाने-रखने का ख्याल करता है मानव।<BR/><BR/>फिर इस ब्लॉगस्थल पर भी ख्याल करे तो क्या हर्ज है?<BR/><BR/>वैसे आप कौन से वर्ग में हैं?ज्ञानhttps://www.blogger.com/profile/03778728535704063933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-60347408645711876692008-09-17T20:05:00.000+05:302008-09-17T20:05:00.000+05:30आती तो मैं वर्ग 2 में हूँ लेकिन आप की बात से असहमत...आती तो मैं वर्ग 2 में हूँ लेकिन आप की बात से असहमत हूँ। पहले तो ये बताइए कि कितने लोग ये उम्मीद लगाये बैठें है कि उन्हें अपने भावी बहू या दामाद इस ब्लोग की दुनिया से मिलने वाले हैं। और अगर ऐसी कोई उम्मीद नहीं लगा सकते तो खुल के अपनी बात कहने में क्युं डरेग़ें। और वास्तविक दुनिया के कितने हमारे जान पहचान वाले हमारा ब्लोग पढ़ते हैं या जहां हम लिख आते हैं वहां पढ़ते हैं। मेरी वास्तविक दुनिया का तो कोई भी मित्र या नातेदार ये भी नहीं जानता कि हम ब्लोग लिखते हैं पढ़ना तो दूर की बात है। तब डर काहे का, आप का ऐसा सोचना सही नहीं लगताAnita kumarhttps://www.blogger.com/profile/02829772451053595246noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-90665898544340766982008-09-17T12:38:00.000+05:302008-09-17T12:38:00.000+05:30अच्छा ये भी होगा कि बेटी और बहुओं को ब्लॉग लिखने क...अच्छा ये भी होगा कि बेटी और बहुओं को ब्लॉग लिखने के लिए प्रोत्साहित करें।वर्षाhttps://www.blogger.com/profile/01287301277886608962noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-59071989499019671842008-09-17T09:21:00.000+05:302008-09-17T09:21:00.000+05:30http://sandoftheeye.blogspot.com/2008/09/blog-post...http://sandoftheeye.blogspot.com/2008/09/blog-post_08.htmlAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-51020077094337453312008-09-16T19:18:00.000+05:302008-09-16T19:18:00.000+05:30रचना जी !द्विवेदी जी की ही तरह मैं भी तीसरी और चौथ...रचना जी !<BR/>द्विवेदी जी की ही तरह मैं भी तीसरी और चौथी दोनों श्रेणियों में आता हूँ , और जैसा आप सोचती हैं वैसा बिल्कुल नही हूँ ! यकीन करें यह कोरी वाहवाही के लिए नही लिख रहा ! फैसला लें अपने विचारों पर ....Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-26620619891741473522008-09-16T17:39:00.000+05:302008-09-16T17:39:00.000+05:30रचना जी मैं तीसरी और चौथी दोनों श्रेणियों में आता ...रचना जी मैं तीसरी और चौथी दोनों श्रेणियों में आता हूँ। फिर भी वैसा नहीं करता जैसा आप ने लिखा है। क्या मेरी संतानों को उस सब का शिकार होना पड़ेगा जैसा आप ने लिखा है? <BR/><BR/>यदि यह सही है तो फिर मुझे अपने विचारों का समर्पण कर देना चाहिए और घोंघे के खोल में छुप जाना चाहिए। <BR/><BR/>रचना जी ऐसा नहीं है। चाहे कम मात्रा में ही सही समाज बदल रहा है। लोग बातों को समझते हैं। चाहे ऐसे लोग कम हों लेकिन हैं। तलाश करने पर जरूर मिलेंगे। मेरे बेटे बेटी अविवाहित नहीं रहने वाले।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-53196220292774219352008-09-16T13:36:00.000+05:302008-09-16T13:36:00.000+05:30बढ़िया है!अब पिता सशक्तिकरण/ समानता और पिता के प्र...बढ़िया है!<BR/>अब पिता सशक्तिकरण/ समानता और पिता के प्रति सोच पर भी चर्चा की जाने लगी है।<BR/>लिखते रहें, आपकी सोच बहुतेरों को बदल देगी।बलबिन्दरhttps://www.blogger.com/profile/17445621491372314409noreply@blogger.com