tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post4862884473276045833..comments2023-12-02T14:56:14.755+05:30Comments on नारी , NAARI: मंथन जारी हैं शेष फिर कभीरेखा श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-24423331621553948092010-03-09T17:34:45.957+05:302010-03-09T17:34:45.957+05:30घुघूती बासूती जी
एक बात आपको मालूम ही होगा कि घर...घुघूती बासूती जी <br /><br />एक बात आपको मालूम ही होगा कि घर में कुछ गलत होने पर घर के मुखिया को ही इंगिता किया जाता है , कारण उन्हे वरियता प्राप्त होती है और वह श्रेष्ठ होता है । इसी तरह हमारे समाज में , हमारे संस्कृति में नारी उच्च स्थान प्राप्त है । जिस कार्य को नारी पहले अपना कर्तव्य समझ किया करती थी अब उसे बेड़ियो से पूकारा जा रहा है ।Mithilesh dubeyhttps://www.blogger.com/profile/14946039933092627903noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-16942567528393458572010-03-09T17:16:28.412+05:302010-03-09T17:16:28.412+05:30हमारी संस्कृति उस दिन से नष्ट होनी शुरू हुई जिस दि...हमारी संस्कृति उस दिन से नष्ट होनी शुरू हुई जिस दिन से पुरुष जी ने धोती व विभिन्न आभूषण पहनने बन्द किए। ऐसा क्यों किया? क्यों पश्चिमी सभ्यता, वेश भूषा का अंधा अनुकरण किया आर्यपुत्रों ने? अब तो वे धोती पहनना भी भूल गए हैं। शायद अब कुछ नहीं हो सकता। चचचच्!<br />हमारे कमजोर कंधे यह बोझ उठाने में अक्षम हैं। क्षमा करना।<br />घुघूती बासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-50391420805951446042010-03-09T17:16:27.315+05:302010-03-09T17:16:27.315+05:30अतिवाद नारी कि नज़र मे नारी को आगे ना आने देने कि ...अतिवाद नारी कि नज़र मे नारी को आगे ना आने देने कि भरकस कोशिश<br />अतिवाद पुरुष कि नज़र मे नारी का निरंतर आगे आने का दुस्साहसAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-49656116575493690192010-03-09T17:14:06.678+05:302010-03-09T17:14:06.678+05:30रूढ़िवादिता का मतलब हैं समाज के बनाये वो नियम / पर...रूढ़िवादिता का मतलब हैं समाज के बनाये वो नियम / परम्पराए जिनमे स्त्री और पुरुष को समान अधिकार नहीं हैं और जो संविधान कि समानता कि परिभाषा मे नहीं आते हैंAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-84714956922600129022010-03-09T17:05:35.792+05:302010-03-09T17:05:35.792+05:30रचना जी ,
ये बिल्कुल ठीक बात है कि अतिवाद किसी भी ...रचना जी ,<br />ये बिल्कुल ठीक बात है कि अतिवाद किसी भी तरह को और किसी भी रूप में हो वो अच्छा नहीं होता , जिसे आप रुढिवादिता कह रही हैंसंजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-59480797468576219992010-03-09T15:46:22.961+05:302010-03-09T15:46:22.961+05:30@मुक्ति जी
पहनावें की बात कहकर हम ये बताने की कोशि...@मुक्ति जी<br />पहनावें की बात कहकर हम ये बताने की कोशिश करते हैं कि हम नारी विकास के बाधक नहीं हैं , हमारा विरोध उस विकास से है जो भारतीत संस्कृति , भारतीय सभ्यता को कुचलकर पाने की चेष्टा कर रहे हैं । हिटलर ने कहा था कि " जिस देश को नष्ट करना हो वहाँ की संस्कृति, सामाजिक ढाँचे को नष्ट कर दो " । यहाँ से हमारी चिन्ता शुरु होती है , आगे आप खुद समझदार हैं , समझती होंगी ।Mithilesh dubeyhttps://www.blogger.com/profile/14946039933092627903noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-31763196906728393082010-03-09T15:40:27.233+05:302010-03-09T15:40:27.233+05:30time pass ke liye thik hai lekin nirarthak post ...time pass ke liye thik hai lekin nirarthak post haiAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/09116344520105703759noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-28069095055787156102010-03-09T15:30:29.841+05:302010-03-09T15:30:29.841+05:30यहाँ सब अपनी बात कहने के लिये स्वतंत्र हैं, पर हमे...यहाँ सब अपनी बात कहने के लिये स्वतंत्र हैं, पर हमें आपत्ति इस बात से है कि नारी के पहनावे से संस्कृति के दूषित होने जैसी बातें लिखने से नारी-सशक्तीकरण के मुद्दे से सबका ध्यान हट जाता है. शीर्षक में "नारी" शब्द डालकर अपनी लोकप्रियता बढ़ाने के प्रयास में ये भूल जाते हैं कि ये वास्तव में क्या कर रहे हैं? इनका उद्देश्य क्या है? क्या औरतों के रहन-सहन पर लिखकर ये उसे बदलना चाहते हैं या बदल सकते हैं? नब्बे प्रतिशत औरतों की समस्याओं के स्थान पर इन्हें ५-१० प्रतिशत औरतों का रहन-सहन ज्यादा महत्त्वपूर्ण लगता है. खैर, ब्लॉग इनका है, जो मन में आये लिखें. पर अगर टिप्पणी का विकल्प है, तो हम भी अपनी बात रखेंगे.muktihttps://www.blogger.com/profile/17129445463729732724noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-18285588646255317092010-03-09T15:10:23.395+05:302010-03-09T15:10:23.395+05:30रचना जी ,
ये बिल्कुल ठीक बात है कि अतिवाद किसी भी...<i> <b> रचना जी , <br />ये बिल्कुल ठीक बात है कि अतिवाद किसी भी तरह को और किसी भी रूप में हो वो अच्छा नहीं होता , जिसे आप रुढिवादिता कह रही हैं उन्हें बहुत लोगों ने परंपरा माना हुआ है अभी भी भारतीय संस्कृति में , कहीं कहीं पर आप खुद अंतर्द्वंद में फ़ंसी लगी हैं , अब देखिए न आपका ही कहना है कि मौडल, मसाज पार्लर ,और इसी तरह के क्रियाकलापों में उलझा कर महिलाओं का शोषण किया जाता रहा है , तो यहां फ़िर प्रश्न उठ जाता है कि ये सब कौन कर रहा है आधुनिकता का जामा पहनने वाली महिलाएं । मगर यहां बहुत दृढता से ये बात कहता चलूं कि जो सबल है सशक्त है वो ठीक है , समाज उसका कुछ नहीं बिगाड सकता , सीधी सी बात है कि नारी शक्ति को अपने अंदर की छुपी ताकत को पहचानना होगा , यदि हर घर में इंदिरा, किरन बेदी, कल्पना चावला, जैसी बेटियां पैदा होंगी तो किस मर्द के बच्चे , किस व्यक्ति या किस समाज की इतनी हैसियत है कि वो कोई भी सवाल उठा सके । हां सोच को संकुचित रखना मुझे कतई पसंद नहीं है ..फ़िर चाहे वो पुरूष हो या महिला ..... </b> </i><br /><a href="http://www.google.com/profiles/ajaykumarjha1973#about" rel="nofollow"> अजय कुमार झा </a>अजय कुमार झाhttps://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-6804602790493742282010-03-09T14:56:12.515+05:302010-03-09T14:56:12.515+05:30यानी दूसरे कि पत्नी और बेटी को कैसे रहना चाहिये जो...यानी दूसरे कि पत्नी और बेटी को कैसे रहना चाहिये जो इस पर होता हैं इनकी पत्नी और बेटी कैसे रहती हैं उस पर बस नहीं चलता<br /><br />इससे पता चलता है कि नारी ही नारी की दुश्मन होती है । यहाँ जितनी महिलाएं लिखती है नारी सशक्तिकरण को लेकर वे या तो अपने घर में अपने पती , अपने बेटे , पिता के प्यार से वंचित होती है या अपनी व्यक्तिगत झुझंलाहट को यहाँ लिखती है । इनका जमिनी अस्तर से कोई वास्ता नहीं है , जिस नारी सशक्तिकरण के लिए आप लोग चिल्ल पों करती रहती है आपने जमीनि स्तर पर कितना किया नारी विकास के लिए ये तो आप लोगों को ही पता होगा ।Mithilesh dubeyhttps://www.blogger.com/profile/14946039933092627903noreply@blogger.com