tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post4704533105713678254..comments2023-12-02T14:56:14.755+05:30Comments on नारी , NAARI: ये सब साइंस की तरक्की हैं या संस्कृति का पतन हैं या महज डिमांड एंड सप्लाई ??रेखा श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-63117113626495615922012-02-01T23:19:46.484+05:302012-02-01T23:19:46.484+05:30परिवर्तन हमेशा समाज के लिए उत्तम ही होता है यह जरु...परिवर्तन हमेशा समाज के लिए उत्तम ही होता है यह जरुरी नहीं है. ऐसा ना हो की IIT छात्रों के लिए नया पैकेज शुरू हो जाए.डॉ. सरिताhttps://www.blogger.com/profile/16465265738323224217noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-7262359892462461282012-01-18T03:32:47.431+05:302012-01-18T03:32:47.431+05:30इ़समे विज्ञान कहां से आ गया ? माचिस से कोई घर जलाय...इ़समे विज्ञान कहां से आ गया ? माचिस से कोई घर जलाये तो इसमे माचिस का क्या दोष ?<br /><br />ये नैतिक, सामाजित, सांस्कृतिक मुद्दा हो सकता है, वैज्ञानिक नही!Ashish Shrivastavahttps://www.blogger.com/profile/02400609284791502799noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-14086601485427374812012-01-17T23:06:09.453+05:302012-01-17T23:06:09.453+05:30इसे हमें परिवर्तित होती सामयिक स्थितियों के सन्दर्...इसे हमें परिवर्तित होती सामयिक स्थितियों के सन्दर्भ में देखना चाहिए ...संस्कृति कालातीत न होकर समय सापेक्ष होती है,इसलिए इसे संस्कृति का पतन तो कतई नहीं कहा जा सकता है .....परिवर्तन तो इस विश्व की शाश्वत प्रक्रिया है ........professor rajesh bhadoriyahttps://www.blogger.com/profile/10059637770339912723noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-31392607415972235692012-01-17T21:26:06.377+05:302012-01-17T21:26:06.377+05:30ये सब महज डिमांड एंड सप्लाई हैं .ये सब महज डिमांड एंड सप्लाई हैं .spjainhttps://www.blogger.com/profile/12528583075094983258noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-19174616895910655872012-01-17T21:09:42.437+05:302012-01-17T21:09:42.437+05:30ऐसा हो सकता तो हर घर में आइंस्टाइन ही पैदा होते. ल...ऐसा हो सकता तो हर घर में आइंस्टाइन ही पैदा होते. लेकिन मानव मन के लिए कुछ नहीं कहा जा सकता. सब भ्रम है, मति का फेर है.भारतीय नागरिक - Indian Citizenhttps://www.blogger.com/profile/07029593617561774841noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-21299744548968637732012-01-17T19:48:09.541+05:302012-01-17T19:48:09.541+05:30ये साइंस की तरक्की है...
आने वाले युग की यह तस्वीर...ये साइंस की तरक्की है...<br />आने वाले युग की यह तस्वीर है...<br />परिवार का स्वरूप क्या होगा...कोई नहीं जानता...<br />संस्कृति नए अध्याय रच रही है.मनोज भारतीhttps://www.blogger.com/profile/17135494655229277134noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-57471779759692882782012-01-17T17:26:30.171+05:302012-01-17T17:26:30.171+05:30ये सब साइंस की तरक्की हैं या संस्कृति का पतन हैं य...ये सब साइंस की तरक्की हैं या संस्कृति का पतन हैं या महज डिमांड एंड सप्लाई ??<br /><br />आप के विचारों का स्वागत हैं .<br /><br />sochne ki baat he.Ayaz ahmadhttps://www.blogger.com/profile/09126296717424072173noreply@blogger.com