tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post4684818628456782205..comments2023-12-02T14:56:14.755+05:30Comments on नारी , NAARI: हिन्दू उत्तराधिकार कानून तुरंत बदलने की आवश्यकतारेखा श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-91861815488516776492010-03-10T17:19:00.705+05:302010-03-10T17:19:00.705+05:30सम्पत्ति का हक स्पष्ट होना चाहिए.सम्पत्ति का हक स्पष्ट होना चाहिए.संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-63071626266940090492009-05-10T22:21:00.000+05:302009-05-10T22:21:00.000+05:30ek sarthak,upyogi tatha achhi post k liye hardik b...ek sarthak,upyogi tatha achhi post k liye hardik badhai........Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/09116344520105703759noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-43387838808460412982009-05-09T23:13:00.000+05:302009-05-09T23:13:00.000+05:30यह बिलकुल सही बात है कि लिंग-आधारित भेदभाव की जड़ें...यह बिलकुल सही बात है कि लिंग-आधारित भेदभाव की जड़ें समाज की सरंचना में कहीं गहरे पैठी हैं और इन्हें उखाड़ फेंकने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है .muktihttps://www.blogger.com/profile/17129445463729732724noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-61267316012766423972009-05-09T17:37:00.000+05:302009-05-09T17:37:00.000+05:30http://indianwomanhasarrived.blogspot.com/2009/05/...http://indianwomanhasarrived.blogspot.com/2009/05/blog-post_7975.htmlAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-7171189065664460262009-05-09T16:04:00.000+05:302009-05-09T16:04:00.000+05:30आपने यहाँ नारी व सम्पति को लेकर लिखा है, मगर हमारे...आपने यहाँ नारी व सम्पति को लेकर लिखा है, मगर हमारे कानून आज भी 1860 के है और तब से दुनिया बहुत बदल गई है. <br /><br />सम्पत्ति का हक स्पष्ट होना चाहिए.संजय बेंगाणीhttps://www.blogger.com/profile/07302297507492945366noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-25889290427304012862009-05-09T14:14:00.000+05:302009-05-09T14:14:00.000+05:30इस बात को स्वर देने के लिए धन्यवाद!इस बात को स्वर देने के लिए धन्यवाद!दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-72369633609517013132009-05-09T13:33:00.000+05:302009-05-09T13:33:00.000+05:30सुबह-सुबह भास्कर में ये खबर पढ़ी और विद्वान न्याया...सुबह-सुबह भास्कर में ये खबर पढ़ी और विद्वान न्यायाधीश के तर्क सुनकर मन खिन्न हो गया। न्यायाधीश ने कहा था कि कानून भावना से नहीं चलता, बल्कि तर्कों से चलता है। लेकिन सवाल ये है कि जहां कानून कई मामलों में मौन हो उसकी व्याख्या कौन करेगा। अदालत में भी इंसान ही बैठा है और उसकी जिम्मेदारी है कि वो हालात के हिसाब से फैसला करे। कानूनन ये फैसला कितना भी सही हो लेकिन किसी के गले नहीं उतर रहा। क्या कई बार अदालतें कानूनी प्रावधानों में ढ़ील देते हुए मानवीय और कई दूसरे फैसले नहीं करती-उस समय तो वो इंसानियत और तमाम बड़े-बड़े चीजों की दुहाई देती हैं। पिछले दिनों उच्चशिक्षा में पिछड़ों के आरक्षण को अदालत ने इन्ही कई आधारों पर रोका था, यहांतक की 50 फीसदी की सीमीरेखा भी उसने इन्ही भावनाओं को ध्यान में रखकर तय की-जबकि इसबारे में संविधान मौन है। तो फिर अदालन ने नारायणी देवी के मामले में कैसे किताबी रुख अख्तियार कर लिया। अब जरुरत है ऐसे मुहिल की जो उत्रराधिकार अधिनियम में बदलाव ला सके।sushant jhahttps://www.blogger.com/profile/10780857463309576614noreply@blogger.com